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दलालों व दंगाईयों के बयान से आरोपियों बचाने की जुगत

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suresh gandhi
भदोही के वरिष्ठ पत्रकार सुरेश गांधी की गृहस्थी लूटवाने व फर्जी मुकदमें दर्ज कर उत्पीड़न करने वाले पुलिस व प्रशासनिक अधिकारियों को बचाने में जुट गया है महकमा। आरोपित कोतवाल संजयनाथ तिवारी, तत्कालीन जिलाधिकारी अमृत त्रिपाठी व तत्कालीन पुलिस अधीक्षक अशोक शुक्ला के काले कारनामें उजागर न हो, इसके लिए प्रशासन मुहर्रम के दौरान हुए दंगे में शामिल आरोपियों व थाना के नामित दलालों का बयान लेकर उन्हें बचाने का प्रयास कर रही है। इस मामले में पीडि़त पत्रकार सुरेश गांधी ने प्रधानमंत्री, राष्टपति, मानवाधिकार आयोग, मुख्यमंत्री, डीजीपी, प्रमुख गृह सचिव समेत आला अधिकारियों को पत्र भेजकर निष्पक्ष जांच कराने की मांग की है। 

अपनी खामी छिपाने व जनता की आवाज उजागर न हो इसके लिए झूठ की बुनियाद पर उपरोक्त आरोपियों ने पहले गुंडाएक्ट, फिर जिलाबदर कर 16 साल से तिनका-तिनका जुटाई गृहस्थी लूटवा दी। और जब पुलिस व प्रशासन की सारी कार्रवाईयों पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी तो कोतवाल संजयनाथ तिवारी ने पत्रकार को सरेराह सड़क पर पकड़कर न सिर्फ लाठी-डंडे से पीटा, बल्कि एक और फर्जी मुकदमा दर्ज कर दिया। पीडि़त पत्रकार श्री गांधी व उनकी पत्नी रश्मि गांधी की याचिका पर जिला न्यायालय के आदेश पर पुलिस ने आईपीसी की धारा 156 3 के तहत लूट का मुकदमा दर्ज तो कर लिया है, लेकिन घटना में कोतवाल के आरोपित होने से विवेचना में लीपापोती की जा रही। 

पुलिस अपनी बचाव में लूटेरे माफिया विनोद गुप्ता पुत्र स्व बाकेलाल, सुमित गुप्ता, बीरु गुप्ता व हर्षित गुप्ता निवासी काजीपुर रोड-भदोही की सिर्फ इसलिए मदद कर रही है कि उन पर पूर्वांचल के ईनामी माफियाओं का संरक्षण है। न्यायालय के आदेश बाद भी पुलिस न ही लूटे गए सामानों की बरामदगी कर रही है और न ही आरोपियों की गिरफतारी। इतना ही नहीं इस उत्पीड़नात्मक कार्रवाई की जब पीडि़त पत्रकार ने आईजी जोन जीएल मीणा सहित आला अधिकारियों से जांच की मांग की तो आईजी के निर्देश पर प्रकरण की जांच कर रहे सीओं सदर राहुल ने कोतवाली में ही आरोपित कोतवाल की मौजूदगी में उसी के दलाल व दंगे के आरोपियों का बयान लेकर जांच पूरी कर रिपोर्ट शासन को भेज दी। जबकि इस जांच की भनक लगते ही पीडि़त पत्रकार ने डीजीपी से मिलकर शिकायत भी किया कि जांच कार्रवाई सही नहीं हो रही। डीजीपी के निर्देश पर ही जांच सीओं सदर चंदौली सुधाकर यादव को दी गयी। लेकिन आरोपित कोतवाल संजयनाथ तिवारी व गृहस्थी लूटने वाले लूटेरों ने अपनी बयान उन्हें नहीं दी। पुलिस इस जांच को पूरी हुए बगैर ही फर्जी जांच राहुल के बयान को ही अंतिम मानकर रिपोर्ट शासन को भेज रही है। पुलिस बयान में गत 25 नवम्बर 2012 को भदोही में हुए दंगे के मुख्य अभियुक्त पन्नालाल यादव, उसके सहयोगी शोभनाथ यादव, अशोक यादव, ब्लाक प्रमुख सुनीता यादव व उसके पति विकास यादव, अमर उजाला का दलाल पत्रकार साजिद अंसारी आदि को धमकाकर बयान लेकर दोषियों को बचाने का षडयंत्र रच रही है। 

दलित महिला संतोषी बलात्कारकांड के मुख्य अभियुक्त गुलाम रसूल से लाखों रुपये लेकर दलाल पत्रकार साजिद अंसारी ने उसे समाजसेवी के रुप में छापा और कोतवाल संजयनाथ तिवारी ने विकास यादव की पत्नी सुनीता यादव को लाठी के बल पर जितवाया था। इसके अलावा कई निर्यातकों को फर्जी मुकदमें में फंसाने की धमकी देकर विकास ने कोतवाल को लाखों कमवाएं। गुंडई व सत्ता के धौंस के बल पर जीते हुए भदोही ब्लाक प्रमुख प्रत्याशी चिट्टूर को हरा दिया गया। दरोपुर में साम्प्रदायिक हिंसा में किसकी मौजूदगी में बवाल हुआ। सूचना के बावजूद लापरवाह अधिकारियों व संबंधित घटनाक्रम में शामिल लोगों पर कार्यवाही सिर्फ इसलिए नहीं हो सकी उन पर माफिया विधायक का छत्रछाया रहा। भदोही पुलिस पत्रकार की लूटी गई गृहस्थी के मामले में रपट तो दर्ज कर ली, लेकिन 10 माह बाद भी ताला तोड़कर 25 लाख से भी अधिक की घरेलू सामानों, जेवरों व विवाह में मिले सामानों को लूटने वाले सुमित गुप्ता, विनोद गुप्ता, बीरु गुप्ता, हर्षित गुप्ता की न ही गिरफतारी कर सकी और न ही लूटे गए सामानों की बरामदगी ही कर सकी। 

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