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कहीं पर निगाहे कहीं पर निशाना : प्रदेश अध्यक्ष पर नाराजगी तो राज्यसभा सीट पर निशाना

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vijay bahuguna
देहरादून, 21 जून (राजेन्द्र जोशी )।कांग्रेस के भीतर पदो ंके लिए चल रही नूराकुश्ती में भले ही कांग्रेस के दोनों गुटों ने शह और मात का खेल चल रहा हो लेकिन हकीकत कुछ अलग बयां करती हैं। यह लड़ाई प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष पद पर किशोर उपाघ्याय की ताजपोशी को लेकर कहने को तो सामने है लेकिन इसके पीछे बहुगुणा गुट की जो चाल है उससे कांग्रेस आलाकमान भी वाकिफ हो गया है। 

सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री की कुर्सी से हटाये जाने के बाद से विधायकी रास नहीं आ रही है। उनके सामने सबसे बड़ा सवाल ‘‘इगो’’ का बना हुआ है। कल तक जो उनको सलाम ठोकते थे, आज कुर्सी से हटने के बाद बहुगुणा को उन्हें सलाम ठोकना पड़ रहा है। यहीं कारण है कि बहुगुणा की नजर सितारगंज की विधायकी छोड़ राज्य में खाली हुई राज्य सभा की सीट पर है।  लेकिन कांग्रेस आलाकमान उनके इन मनसूबों को परवान नहीं चढ़ने दे रहा है। पुख्ता सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार राज्य में खाली हुई राज्यसभा की सीट पर कांग्रेस आलाकमान किसी बड़े नेता को उतारने का मन बना रहा है। इस कड़ी में सबसे पहले प्रदेश कांग्रेस प्रभारी अंबिका सोनी का नाम सबसे ऊपर है, क्योकि वे जहां कांग्रेस की वरिष्ठतम नेताओं में एक है वहीं वह लोकसभा चुनाव भी हार चुकी है। इतना ही नहीं सोनिया दरबार में भी उनकी खासी पकड़ बताई जाती है। यहीं कारण है कि उत्तराखंड राज्य में खाली हुई राज्यसभा सीट पर वे सम्भावित प्रत्याशी हो सकती है। 

बीते तीन दिनों से दिल्ली में डेरा डाले पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा और उनके सिपहसलार सुबोध उनियाल को बामुश्किल शुक्रवार को सोनिया के सामने गिड़गिड़ाने का मौका मिला। सूत्रांे से मिली जानकारी के अनुसार इस दौरान उन्होंने मौजूदा मुख्यमंत्री हरीश रावत के खिलाफ जमकर गुबार निकाला। इतना ही नहीं आवेश में वे यह भी भूल गए कि प्रदेश अध्यक्ष किशोर उपाध्याय को पार्टी आलाकमान ने ताजपोशी के उत्तराखंड भेजा है। उन्होंने इस दौरान मुख्यमंत्री पर ही आरोप लगा दिए कि उन्होंने अपने निकट सहयोगी किशोर उपाघ्याय को अध्यक्ष बनवा डाला। जिससे उनकी उपेक्षा हुई है। प्रदेश कांग्रेस के इन नेताओं के आरोप पर आलाकमान को जहां हंसी आई वहीं आलाकमान ने साफ कह दिया कि अब न तो प्रदेश अध्यक्ष बदला जाएगा और न उनकी कोई बात सुनी जाएगी। यहां यह भी गौरतलब हो कि प्रदेश अध्यक्ष का निर्णय पार्टी आलाकमान का था  और बहुगुणा गुट द्वारा इस तरह की शिकायत पर आलाकमान सकते में आया कि कांग्रेसी नेता उनके ही फैसले पर सवालियां निशान लगा रहे है। 

बहरहाल कांग्रेस आलाकमान के दर से ठोकर खाकर वापस आए मुख्यमंत्री विरोधी खेमंे के ये लोग अब कौन सी चाल चलेगें यह तो भविष्य के गर्भ मंे है। लेकिन कांग्रेस आलाकमान के दो टूक निर्णय से हरीश रावत खेमे की बांछे खिली हुई है। 

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