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बिहार : आज से जापानी इंसेफ्लाइटिस का विशेष टीकाकरण अभियान शुरू

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पटना। आज से दो दिवसीय जापानी इंसेफ्लाइटिस का विशेष टीकाकरण अभियान शुरू हुआ।  मुजफ्फरपुर जिले में प्रसार इंसेफ्लाइटिस बीमारी का खौफ के साये में अभियान सफल रहा। काफी संख्या में 9 माह से 15 साल के बच्चे अपनी मां,दादी और पिता जी के साथ आए। ए.एन.एम.दीदी ने जापानी इंसेफ्लाइटिस (जेइं) का 0.5 एमएल का टीका दिया। यह अभियान कल सोमवार को भी चलेगा।

मालूम हो कि सूबे के प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र और उप स्वास्थ्य केन्द्र में टीकाकरण अभियान चलता है। जन्म लेने के एक माह के अंदर बच्चे को बीसीजी का टीका दिया जाता है। इसके बाद डेढ़ माह के होने पर बच्चे को डीपीटी और पोलियो की खुराक दी जाती है। जो द्वितीय ढाई महीने पर और तृतीय साढ़े तीन पर पर डीपीटी और पोलियो की खुराक दी जाती है। 6 माह होने के बाद बच्चे को विटामिन ‘ए’ की खुराक दी जाती है। जब बच्चा 9 माह का हो जाता है,तब मिजल्स और जापानी इंसेफ्लाइटिस का टीका पड़ता है। बाये हाथ जेइं और दाये हाथ में मिजल्स दिया जाता है। इसके बाद 16 से 24 माह पर जेइं के और मिजल्स के द्वितीय टीका मिलता है। उसी समय बच्चे को डीपीटी और पोलियो का बुस्टर डोज दिया जाता है। 

मुजफ्फरपुर जिले में प्रसार इंसेफ्लाइटिस बीमारी के आलोक में सरकार ने जापानी इंसेफ्लाइटिस का विशेष टीकाकरण अभियान शुरू किया गया है। इस समय सरकार और स्वास्थ्य विभाग ने महादलित मुसहर समुदाय को लक्ष्य समूह के रूप में मान रही है। इस लिए महादलित टोलों में ‘टीकाकरण केन्द्र’बनाया गया है। कुछ ही जानकारी देने पर लोग उत्साहित होकर जेइं का टीका दिलवा रहे हैं। 

एक मोमबती जलायें-बच्चों से प्यार जतायें- आर्य कुमार रोड, मछुआ टोली में रहने वाले समाज सेवी विजय कुमार और सगुना मोड़, दानापुर में रहने अधिवक्ता पवन कुमार ने कहा कि बिहार के लिए इंसेफ्लाइटिस अभिशाप बनता चला जा रहा है। 1994 से आजतक हजारों मां की गोद सुनी हो गयी है। इस ओर केन्द्र और राज्य सरकार निःसहाय बन गयी है। स्वास्थ्य विभाग खामोश ही है। सरकार वादे से ही काम चला रही है। आखिर 20 साल में रोग को नियंत्रित नहीं कर पाना तो जाहिर ही करता है निकम्मापन। इससे बढ़कर शर्मनाक साबूत और क्या हो सकता है। असामयिक मौत के गाल में समाने वाले बच्चों के अभिभावकों को मुआवजा देने की मांग की गयी है। 5 लाख रू. देने की मांग की गयी है। सैकड़ों की संख्या में लोग मोमबर्ती जुलूस निकाले। डाक बंगला चैराहा से चलकर कारगिल चैक तक पहुंचे। इसके बाद बच्चों को श्रद्धांजलि दी गयी । जो सरकारी उदासीनता की बलि बेदी पर चढ़ गए। 




आलोक कुमार
बिहार 

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