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बिहार : दीघा पुल से लेकर एम्स तक नहर और सड़क के किनारे रहने वालों पर सरकारी जुल्म

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encroachment destruction
पटना। गांव से पलायन करके आने वाले। नहर और सड़क के किनारे बना लिए आशियाना। कई  दशक से गरीब लोग रहते हैं। कल्याणकारी सरकार ने कल्याण और विकास का द्वार खोल दिया। और गरीबों की न्यूनतम जरूरते पूरी कर दी। वोट डालने के लिए परिचय पत्र बना दिए। बीपीएल में शामिल करके खाघान्न मुहैया कर दिया। बच्चों को पढ़ाने के लिए आंगनबाड़ी केन्द्र और राजकीय मध्य विघालय खोल दिए। अब एक ही झटके में आसमान से नीचे गिरा दिया। तिनका-तिनका जोड़कर आशियाना बनाने वाले लोग खुद ही अपने हाथों से आशियाना को ढाहने के लिए मजबूर हो रहे हैं। 

यह हाल दीघा पुल से लेकर एम्स तक है। गरीब लोग नहर और सड़क के किनारे रहते हैं। कोई झोपड़ी निर्माण किए हैं। तो कोई ईंट की दीवार और खप्परैल मकान बनाए हैं। सबका एक ही इलाज हो रहा है। इस गरमी के दिनों में और बरसात के मौसम में घर से बेदखल किया जा रहा है। प्रशासन के द्वारा ऐलान कर दिया गया है कि आप निर्मित घर को हटा दें। अगर आप खुद ही नहीं हटाते हैं तो जेसीबी मशीन से घर ढाह दिया जाएगा। इस ऐलान के आलोक में खुद ही घर के समान हटाना शुरू कर दिए हैं। 

encroachment destruction
बताते चले कि पूर्व मध्य रेलवे के द्वारा गंगा नदी पर रेल सह सड़क सेतु का निर्माण करवाया जा रहा है। किसी भी हाल में अप्रैल 2015 तक रेल सह सड़क सेतु को निर्माण कर देना है। मुख्यमंत्री जीतन राम मांझी भी प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से मिलकर जानकारी दी है। नियत समय में सेतु का निर्माण हो। उसके लिए 600 करोड़ रू. की मांग कर दी है। प्रधानमंत्री ने भरपूर सहयोग देने का वादा कर दिए हैं। लगभग गंगा नदी में निर्माण कार्य पूर्ण होने वाला है। अभी सिर्फ 5 पायों को जोड़ना बाकी है। उसी तरह एम्स से लेकर सड़क मार्ग के लिए पुल निर्माण युद्धस्तर पर चल रहा है। इसका मतलब रेल और सड़क कार्य परवान पर है। निर्माण कार्य में बाधा डालने वाले लोगों को हटाया जा रहा है। अभी दीघा पुल के दक्षिण तरह कुछ झोपडि़यां सीना तानकर खड़ी है। उसको भी कुछ दिनों के बाद हटा दिया जाएगा। तब निर्माण कार्य में व्यवधान नहीं पड़ेगा। 

मगर सरकार ने निर्माण कार्य में व्यवधान पड़ने वाले लोगों की झोपडि़यों को जरूर हटा दिया है। मगर व्यवधान डालने वाले लोगों को विस्थापन के पहले पुनर्वास की व्यवस्था नहीं की है। इसको लेकर लोगों में आक्रोश व्याप्त है। सरकार के पास योजना है। सरकार को कार्यशक्ति का प्रभाव है। मांझी सरकार को चाहिए कि दीघा पुल से लेकर एम्स तक नहर और सड़क के किनारे अधिकांश मुसहर समुदाय के लोग ही रहते हैं। जो आवासीय भूमिहीन हैं। अगर सरकार चाहे तो सभी की पहचान आवासीय भूमिहीनों में करके 10 डिसमिल जमीन दे दें। महादलित मुख्यमंत्री को खुद ही संज्ञान लेने की जरूरत है। नौकरशाहों के सहारे चलने में मुसहर समुदाय का अहित निश्चित है। 

हुजूर, आपके पास तो खुद मुसहर समुदाय के हित करने वाले पुराने साथी लोग हैं। आप पुराने साथियों से मशविरा करके मुसहर समुदाय को आगे कल्याण और विकास कार्य से जोड़ने का प्रयास करना ही चाहिए। 



आलोक कुमार
बिहार 

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