गया। गया के सहदेव मंडल कहते हैं कि प्रारंभ में लोग पांचवीं,सातवीं और मैट्रिक उत्र्तीण करके ही सरकारी नौकरी पर कब्जा कर लेते। उसमें मुसहर समुदाय की स्थिति दयनीय है। जब लोग पांचवीं पास करके नौकरी ले रहे थे, तब हमलोग तीसरी कक्षा में ही सो रहे थे। जब हम पांचवी कक्षा उत्र्तीण कर पाए तो सरकार ने शैक्षणिक स्तर को उन्नत करके नौकरी की न्यूनतम सीमा सातवीं कर दी। जब सातवीं के शिखर पर चढ़े तो सरकार ने न्यूनतम स्तर को बढ़ाकर 10 वीं कर दी। जब काफी परिश्रम करके 10 वीं उत्र्तीण किए तो सरकार ने आई.ए.,आई.काॅम और आई.एस.सी. कर दी। जब हम आई.ए.,आई.काॅम और आई.एस.सी. किए तो सरकार ने स्तर को बढ़ाकर बी.ए.,बी.काॅम और बी.एस.सी. कर दी। इस मुसहर समुदाय के 98 प्रतिशत महिलाएं तथा 90 प्रतिशत पुरूष वर्ग आज भी अशिक्षित है। राज्य ही नहीं बल्कि देश भर में अपवाद स्वरूप डॉक्टर, जज, वकील, इंजीनियर, आई.ए.एस. पदाधिकारी तथा विषय विद्र पी.एच.डी. मिल पाते हैं।
इसका तात्र्पय यह है कि हमलोगों को पीछे ही ढकेलने की साजिश है।आरक्षण से भी लाभ नहीं मिल पाता है। दलित और महादलित के 22 दांतों के बीच में फंसे रह जाते हैं। बिहार सरकार के कार्मिक और प्रशासनिक सुधार विभाग द्वारा महादलित के रूप में पहचानी गई। अनुसूचित जातियों की फेहरिश्त नम्बर 3267 दिनांक 3.6.2008 है। इसके तहत बंतार, बौरी, भोगता, भुईया, या भूमजीज, चैपाल, धोबी,डोम या धनगर, घासी, हलालखोर, हरि, मेहतर या भंगी, कंजर, कुरियर, लालबेगी, डबगर, मुसहर, नट, पान या सवासी, पासी, रजवार, तुरी और चमार जाति के लोगों को मिलाकर 21 और मिस्टर मिनिस्टर रामविलास पासवान की जाति को मिलाकर 22 जाति हंै। आकड़े में अन्तर होने के बाद भी 60 लाख की संख्या मुसहर समुदाय हैं। इसके आलोक में पूर्व मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मुसहर समुदाय के बच्चों को विकास मित्र और टोला सेवक में बहाल कर दिए हैं।
महादलित आयोग के उदय मांझी कहते हैं कि सरकार ने 2012 में टोलों सेवकों की सेवाकाल को समाप्त कर दी थी। महादलित आयोग के अध्यक्ष 9 जनवरी 2012 को बने। मुख्यमंत्री जी से जोरदार ढंग से एडवोकेसी किए।तब जाकर टोला सेवकांे की सेवाकाल को बढ़ाया गया। पंचायत में विकास मित्र और टोला सेवक हैं। जो सरकार और जनता के बीच में सेतु का कार्य करते हैं। विकास मित्र लाभकारी योजनाओं के बारे में जानकारी देकर अधिकाधिक लाभ वंचित समुदाय को दिलवाएं। वहीं टोला सेवक शिक्षा का अलख जगाएं। विकास मित्र और टोला सेवक को 5 हजार रू. का मानदेय दिया जाता है। अन्य सरकारी सेवकों की तरह अवकाश की सीमा 60 साल करने की मांग हो रही है। आप बेहतर कार्य करेंगे तब न अधिक सुविधा लेने के अधिकारी बन सकते हैं। गांवघर की समस्याओं को निकालकर महादलित आयोग के पास रेफर करें। मैं हूं न। अब तो आपके अपना आदमी मुखिया बन गया है। उनको सम्मान और अधिकार दिलवाने में पीछे नहीं रहे। तब न आपके लिए जोरदार ढंग से कार्य करते रहेंगे। श्री मांझी ने दुख व्यक्त किया कि वंचित समुदाय के लोग समस्याओं को लेकर आते ही नहीं है और न ही आवेदन देते हैं। आयोग के पास शक्ति है कि डीएम महोदय का सीआर खराब कर दें।
आलोक कुमार
बिहार