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बिहार : जब टेम्पों चालक जबरन यात्रियों से जेब से राशि निकलवाते थे!

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auto drivar in ppatna
पटना। कुछ दिनों की बात है। भगवान भास्कर की रोशनी में निर्धारित भाड़ा 12 रू. में ही टेम्पों चालक स्टेशन से दानापुर तक अप-डाउन किया करते थे। रूक-रूककर पैट्रोल और डीजन की कीमत में बढ़ोतरी होते रहने से बेहाल टेम्पों चालकों ने गिरगिट की तरह रंग बदल लेते। स्टेशन आने के बाद स्टैंड में टेम्पों लगा देते। शाम के समय घर जाने की जल्दी में यात्री टेम्पों पर आकर बैठ जाते। टेम्पों चालक टेम्पों को स्टार्ट ही नहीं करता। किराया भाड़ा में 3 रू.बढ़ोतरी करने पर असहमति व्यक्त करने वाले यात्री विरोध करने लगते। इसका परिणाम सामने आता कि आप टेम्पों पर ही बैठकर इंतजार करते रहे। जबतक टेम्पों चालक जबरन यात्रियों से जेब से 15 रू. भाड़ा की राशि नहीं निकाल पाते। तबतक मनमौजी उगाही करने वाले टेम्पों चालक लक्ष्मण रेखा पार ही नहीं करते। इसको लेकर यात्री बवाल भी करते देखे जाते थे।

भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर 7 जून को दानापुर-बेली रोड और दानापुर-खगौल रोड पर टेम्पों चालन बंद कर दिए। अवैध ढंग से भाड़ा उगाही करने वाले टेम्पों चालक चुस्त नजर आए। वहीं जिला प्रशासन चुस्त नजर आए। दिनभर यात्री बिलबिलाते रहे। आखिर टेम्पों चालक भाड़ा उगाही करने में सफल हो गए। दानापुर से स्टेशन तक 12 रू. के बदले 15 रू. भाड़ा लेने लगे। दानापुर से आशियाना 8 रू. के बदले 10 रू. लेने लगे। गोला रोड से हड़ताली मोड़तक 10 रू. के बदले 12 रू. लेने लगे। कोई समान भाड़ा नहीं ले रहे हैं। एक टेम्पों चालक ने कहा कि 9 रू. के बदले 10 रू., 10 के बदले 12 रू. और 12 के बदले 15 रू. भाड़ा ले रहे हैं। लोकल भाड़ा खुदरा रहने पर चार रू. ले लेते हैं। खुदरा नहीं रहने पर 5 रू. डकार जाएंगे। केन्द्रीय विघालय में कला संकाय में कार्यरत श्वेता सिंह कहती हैं कि दानापुर से खगौल तक 7 रू. लिया जाता था। अब 3 रू. भाड़ा में बढ़ोतरी करके 10 रू. कर दिया गया है। इसकी दूरी 7 किलोमीटर है। 

आज दानापुर-पटना मुख्यमार्ग पर टेम्पों चालकों ने भाड़ा बढ़ाने की मांग को लेकर टेम्पों नहीं चलाए। कल और आज भी टेम्पों चलता रहा। मगर भाड़ा अधिक करके टेम्पों चालक ले रहे थे। कहीं भी पुलिस को नहीं देखा गया कि वह यात्रियों के पक्ष में उतरे। टेम्पों चालकों और प्रशासन से बात कराए। इसके कारण यात्री परेशान होते रहे। जहां पर हल्का विरोध हुआ कि टेम्पों चालक सवारी को नीचे उतार देते थे। इसके कारण पैदल ही घर और कार्यालय जाना पड़ा। इसके आलोक में अब जरूरत है कि जिला प्रशासन भाड़ा निर्धारित करें। 





आलोक कुमार
बिहार 

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