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बिहार : लाडली को लेकर डोनर,एनजीओ और सरकार चितिंत

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  • कोई जन्म दिन मनाता तो कोई कन्या शिशु के नाम पर लगाता पौधा

tree plantation on girl child birth
गया। गर्भावस्था में महिला के गर्भ से गर्भ जल लेकर जांच करने के उपरांत कन्या शिशु रहने पर गर्भपात करवा दिया जाता था। इस पर डोनर और एनजीओ के द्वारा आवाज बुलंद करने पर जांच करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया। इसके बाद बाजार में अल्ट्रासाउंड को उतारा गया। इसका चिकित्सकों ने नाजायज प्रयोग किया। लिंग की जानकारी करने के बाद भ्रूण हत्या होने लगी। तब सरकार ने कानून बनाकर लिंग की जानकारी देने वालों पर कानूनी कार्रवाई की जाने लगी। अब लगभग गर्भ के समय लिंग की जानकारी नहीं मिल पाती है। वैसे तो सरकारी स्तर पर एमटीपी वैध है। जो मरीज और बच्चे के स्वास्थ्य के आलोक में चिकित्सक निर्णय लेते हैं। यह सब कवायद सिर्फ कन्या भ्रूण हत्या को रोकने और कन्या शिशु को मौत के गड्ढे में ढकलने से बचाना है। 

आॅक्सफैम इंडिया नामक डोनर ने एनजीओ के सहयोग से कन्याओं और लाडली को बचाने के लिए जोरदार से अभियान चलाया। यह पाया कि महिलाओं की जनसंख्या कम होती जा रही है। जो चिंता का विषय बनते चला जा रहा है। इसके बाद एक्शन एड नामक डोनर ने एनजीओ को सहयोग देने लगे। आप लड़कियों के जन्म दिन मनाएं। हेप्पी बर्थ डे टू यू कहकर केक काटे। यह सब गांव की महिलाओं के साथ लड़की के परिवार वालों के साथ जश्न बनाएं। उस अवसर पर गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली योजनाओं के बारे में जानकारी दें और जोरदार चर्चा करें। आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका और सहायिका दीदी को जरूर बुलाएं। एएनएम दीदी, आशा बहन, ममता बहन, दाई नानी आदि को बुलाएं। अगर मुखिया जी महिला हैं। तो जन्म दिन के अवसर पर केक खाने के लिए बुलावा जरूर दें। मसलन अंडर फाइव तक मृत्यु दर में कमी लाने पर फोकस डालना है। 

अब तो बिहार महिला समाख्या के द्वारा बेटियों के जन्म पर खुशियां बनाया जा रहा है। किन्नरों की तरह गांवघर में पहुंचकर ‘बेटा-बेटी एक समान’ नारा बुलंद करने लगे हैं। यह एक छोटा सा पहल है। ग्रामीण क्षेत्रों में बेटियों के जन्म पर खुशियांें मनाते हैं। इसको लेकर लोगों के बीच में चेतना जागृति पैदा करके लोगों को जागरूक करते हैं। शिवानी के जन्म पर बधाई गीत गाई जा रही है। ऐसा दिन बार-बार आए, बार-बार मन हर्षाए, तू शिवानी जीओ, हजार साल, यह है मेरी आरजू,। इतना ही नही एक कदम्ब का पौधा लगाया गया।जो पर्यावारण संरक्षण के प्रति संवेदनशीलता की पे्ररणा देता है। पौधा का नाम भी शिवानी रखा गया । जैसे-जैसे कदम्ब का पौधा बढ़ेगा एवं उसकी सुरक्षा का दायित्व पूरे परिवार का होगा। उसी तरह उस बच्ची को सुरक्षा एवं संरक्षण प्राप्त होगा। इस अवसर पर सभी जिला कर्मी -सुनीता कुमारी, प्रभारी जिला कार्यक्रम समन्वयक,रिंकू कुमारी जिला साधन सेवी और प्रखंड के सहयोगिनी जैसे रिंकू कुमारी, रेणु कुमारी, शोभा देवी, शबाना प्रवीण एवं सहेली और सखी भाग लिये। सजी-धजी उसकी माँ कलावती उसे गोद में लेकर फूले नहीं समा रही है।दादा श्री राजेश्वर साह एवं दादी सभी व्यवस्था करने में लगे हुए हैं सभी आंगतुक महिलाओं को शर्बत पिलाया जा रहा है।



आलोक कुमार
बिहार 

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