Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

उत्तर प्रदेश में थर्रा रही है महिलाएं

$
0
0
  • सड़कों पर निकलना हुआ मुश्किल, छुट्टा सांड की तरह घूम रहे मनचलें व हौसलाबुलंद अपराधी, दे रहे गैंगरेप की घटनाओं को अंजाम 
  • मुलायम सिंह यादव के बेतुके बयान से माफियाओं, गुंडों व लापरवाह अधिकारियों भ्हुए बेलगाम 
  • निर्दोष पर हो रही गुंडा एक्ट-जिलाबदर व फर्जी गिरफतारी की कार्रवाई कर रोजनामचे दुरुस्त करने में जुटा पुलिस महकमा 
  • पिछली सरकारों के सापेक्ष यूपी में 55 फीसदी बढ़ा अपराध का ग्राफ 
  • दिल्ली के बाद अब अदब व तहजीब के लिए जाना जाने वाले शहर राजधानी लखनउ में हुआ सेकेंड दामिनी गैंगेरेप 
  • वर्ष 2011 में 2042, वर्ष 2012 में 1963, वर्ष 2013 में 3050 व 2014 में अब तक 2500 से अधिक हो चुकी है बलातकार की घटनाएं 


rape and murder
लड़के है, लड़कों से गलती हो जाती है, के बाद अब यूपी आबादी के लिहाज से बड़ा प्रदेश है, इसलिए अपराध होता है, यूपी में महिलाओं पर अपराध अन्य प्रदेश के सापेक्ष काफी कम है। ये बयान कोई और नहीं बल्कि सूबे के मुख्यमंत्री अखिलेश सिंह यादव के पिता मुलायम सिंह यादव की है। मतलब साफ है, वह माफियाओं, गुंडों व लापरवाह अधिकारियों की इस बेतुके बयान के जरिए बचाव कर रहे है। इस तरह के बयानों का भी परिणाम सामने है। अपराधी बेलगाम है। हौसलाबुलंद अपराधी एक के बाद एक घटनाओं को अंजाम दे रहे है। जिम्मेदार अधिकारी कानून व्यवस्था चाक-चैबंद करने के नाम पर निर्दोष व फर्जी तरीके से 20 साल पुराने मामलों को दर्शाकर गुंडा एक्ट-जिलाबदर व फर्जी गिरफतारी दिखाकर अपने रजिस्टर दुरुस्त करने में जुटे है। 

परिणाम यह है कि पिछली सरकारों के सापेक्ष यूपी में दो-चार नहीं बल्कि 55 फीसदी अपराध का ग्राफ बढ़ गया है। दिल्ली के बाद अब अदब व तहजीब के लिए जाना जाने वाला यूपी की राजधानी में सेकेंड दामिनी के साथ जिस विभत्स तरीके से गैंगरेप कर हत्या कर दी उससे न सिर्फ लखनउ बल्कि सूबे की सभी महिलाएं व युवतिया थर्रा उठी है। सड़कों पर निकलने में पसीने छूट रहे है। बात आंकड़ों में की जाएं तो यूपी में सर्वाधिक अत्याचार महिलाओं पर ही हो रहे है। हालांकि राजधानी लखनउ के मोहनलालगंज की हृदयविदारक घटना के बाद महिला स्वयंसेवी संगठनों ने विधानसभा के सामने जबरदस्त धरना-प्रदर्शन कर विरोध जताया, कहा अब महिलाओं पर अत्याचार नहीं सहेंगे। अपराधियों की जल्द गिरफतारी व फास्टटैक कोर्ट बनाने की मांग की। 

वर्ष 2011 में 2042, वर्ष 2012 में 1963, वर्ष 2013 में 3050 व 2014 में अब तक 2500 से अधिक बलातकार की घटनाएं हो चुकी है। लूट-हत्या-डकैती, चोरी की घटनाओं का हाल यह है कि प्रायः हर रोज व्यापारियों की हत्या कर लाखों की लूट हो रही है। 2013 में सूबे में हत्या के 2961 अभियोग दर्ज हुए जबकि इस साल 2758 मुकदमें दर्ज हो चुके है। वर्ष 2013 में 3287 लूट की घटनाओं में 35 करोड़ से भी अधिक लूट हुई, जबकि 2014 में अब तक 3367 लूट की घटनाओं में 55 करोड़ की लूट हो चुकी है। लूट के सर्वाधिक शिकार व्यवसायी तबका ही हुआ है। इसमें दर्जनभर से अधिक बैंक लूट भी शामिल है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के संसदीय क्षेत्र बनारस में हर रोज एक-दो व्यापारी लूट व हत्या के शिकार हो रहे है। नेशनल क्राइम रेकार्ड्स ब्यूरों के मुताबिक देश में महिलाओं के साथ हुई 32546 वारदातों में से साढ़े 10 प्रतिशत यूपी में हुई है।  

इलाहाबाद, अलीगढ़, बाराबंकी, अमेठी, कानपुर, इटावा, फैजाबाद, मेरठ, बदायूं, सीतापुर, मउ, इटावा, गोरखपुर, बलिया, बरेली, महोबा, फर्रुखाबाद, भदोही, बनारस आदि जनपदों में किशोरियों संग हुई सामूहिक गैंगरेप की घटनाओं में शामिल अपराधी अभी पकड़े भी नहीं जा सके, अदब व तहजीब का शहर लखनउ में महिला संग गैंगरेप की हृदय विदारक घटना ने पूरे प्रदेश को हिलाकर रख दिया है। इसकी बड़ी वजह सूबे की मुखिया द्वारा दिए गए संवेदनहीन बया नही बताएं जा रहे है। पुलिस की घोर संवेदनहीनता, लापरवाही व संलिप्तता के साथ ही दबंग लोगों को राजनीतिक संरक्षण भी एक कारणों में एक है। बलातकार की बढ़ती घटनाएं राज्य की शासन व्यवस्था की पोल खोल रही है, तो सूबे बिजली कटौती, जर्जर सड़कों से रोज हो रही दुर्घटनाओं, डग्गामार बसें, उटपटांग बयानबाजी, गुंडागर्दी, योजनाओं में बंदरबांट आदि से पता चलता है कि आम आदमी से जुड़े मुद्दों पर सरकार का क्या रवैया है। ढाई साल के अपने कार्यकाल में अखिलेश सरकार अभी तक लोगों की सुरक्षा तो दूर अभी तक बिजली-पानी-सड़क जैसे जरुरी आवश्यकताओं की रोडमैप तक नहीं तैयार करा सके। सपा के अपराधी व अधिकारी खुलेआम मनमानी कर रहे है। विकास की बड़ी-बड़ी बातें कर जनता के साथ सिर्फ मजाक किया जा रहा है। पीड़ितों की जांच के नाम पर झूठी आश्वासन या आरोपित पुलिसकर्मियों से ही जांच कराकर झूठी रिपोर्ट देकर मामले को रफा-दफा कर दिया जा रहा है।  

पति की पहले ही हो चुकी मौत, बच्चों के सिर से उठा मां का साया 
गैंगरेप की शिकार मृत महिला देवरिया की थी। वर्ष 1978 में जंमी महिला का विवाह 19 वर्ष की अवस्था में ही गांव के एक युवक से हुआ था। युवक परिवार समेत लखनउ में ही रहकर एक निजी मेडिकल संस्थान में काम करता था। दो साल पहले किडनी की बीमारी के चलते उसकी मौत हो चुकी है। बताते हुए कि महिला के पति का जब पहला किडनी खराब था तो उसकी मां ने देकर जान बचाई और जब दुसरा खराब हुआ तो स्वयं महिला ने अपनी किडनी देकर जान बचाने की कोशिश की। महिला को दो बच्चे है। पति कक मौत के कंपनी में उसकी बेटी काम करती थी। गत बुधवार को वह किसी के फोन आने के बाद घर से निकली थी। इसके बाद गुरुवार को सुबह मोहनलालगंज स्थित स्कूल के पास उसका शव मिला। महिला के साथ अपराधी गैंगरेप के बाद किस कदर अमानवीय व्यावहार किए थे, पीड़िता ने आंखिरी सांस तक कैसे संघर्ष किया यह पोस्टमार्टम रिपोर्ट बता रही है। अपराधियों ने उसके साथ अप्राकृतिक दुष्कर्म भी किया। महिला के दोनों घुटनों में चोट के निशान थे। उसके गुप्तांग पर काफी वजनी वस्तु व धारदार से प्रहार किया गया। चिकित्सकों की मानें तो वारदात निर्भया से भी विभत्स थी। 

मृत महिला की 'निर्भया'जैसी है कहानी 
लखनऊ के मोहनलालगंज गांव बलसिंह खेड़ा के प्राथमिक विद्यालय में गैंग रेप और दरिंदगी की शिकार मृतक महिला की पहचान हो गई है। उनके पति की मौत पहले हो चुकी थी और वह अकेले अपने दो बच्चों को लखनऊ के ही एक हॉस्पिटल में नौकरी करके पाल रही थीं। परिवार के लोगों ने लाश देखकर पहचान की है। पुलिस के मुताबिक वारदात में 5 से 6 लोग शामिल थे। कमर के निचले हिस्से में आगे और पीछे गंभीर चोट है। लाश के आस-पास जमीन पर बिखरा खून हैवानियत की सारी हदों को तोड़ने की गवाही दे रहा था। साफ लग रहा था कि महिला ने मरने से पहले एक से ज्यादा लोगों के साथ मुकाबला जरूर किया होगा, लेकिन वह अकेले दरिंदों से कब तक मुकाबला करती। दरिंदों ने जिस बेरहमी से महिला के साथ गैंग रेप के बाद कत्ल किया, पुलिस की संवेदनहीनता उससे कम बेरहम नहीं रही। इस मामले एडीजीपी सुतपा सान्याल ने माना कि निर्वस्त्र पड़े पीड़ित महिला के शव को घंटों ढकने का प्रयास नहीं हुआ,  इस मामले में पुलिस से गलती हुई है। मोहनलालगंज के इंस्पेक्टर कमरुद्दीन खान और एसआई मुन्नी लाल को सस्पेंड कर दिया गया है। महिला के परिवार में 13 साल की बेटी और छह साल का बेटा है। पति की मौत के बाद उनकी जगह पर ही वह नौकरी कर रही थीं। महिला के फोन पर बुधवार रात नौ बजे कॉल आई थी। वह अपनी बेटी से अस्पताल जाने की बात कह घर से निकलीं, लेकिन वापस नहीं लौटीं। कुछ दूरी पर उनका फोन स्विच ऑफ हो गया। कुछ देर बाद फोन ऑन हुआ। इस दौरान तीन कॉल्स उस पर आईं। एक कॉलर की लोकेशन मोहनलालगंज में महिला के फोन के साथ ही मिली। महिला की शिनाख्त होने के बाद पुलिस को आखिरी नंबर से आए फोन के जरिए ही संदिग्धों का सुराग मिला है। 

पति को दी थी एक किडनी 
महिला पति की मौत के बाद से अकेले ही बच्चों को संभाल रही थीं। ससुरालवालों ने भी मुंह मोड़ लिया था। वह अक्सर अपनी बेटी से सबकुछ छोड़कर मायके आने की बात कहते थे, तो बेटी उनसे सिर्फ जमाने से लड़ने का हौसला और आशीर्वाद मांगती थी। कहती थी, 'कुछ सपने हैं, जिन्हें पूरा करना है।'महिला के पिता देवरिया में टीचर है। पीड़ित तीन बच्चों में सबसे बड़ी थी। उसकी शादी 15 साल पहले देवरिया में ही हुई थी। दामाद लखनऊ के एक हॉस्पिटल में कॉन्ट्रैक्ट पर नौकरी करते थे। दामाद की किडनी खराब थी और बेटी ने अपनी एक किडनी पति को दे दी थी। छह साल पहले दामाद की मौत हो गई। उनकी जगह बेटी को अस्पताल में नौकरी दे दी गई। वह अपनी 13 साल की बेटी और छह साल के बेटे के साथ किराए के मकान में रहती थी।'बृहस्पतिवार दोपहर घर न आने की जानकारी पाकर वह राजधानी पहुंचे और देर रात बेटी के साथ हैवानियत का पता चला तो सदमा सा लग गया। 




---सुरेश गांधी---
लखनऊ 

Viewing all articles
Browse latest Browse all 78528

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>