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बिहार में भूमि की समस्याओं को जल्द से जल्द नहीं सुलझाने से 3 महिलाओं की मौत

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  • 2007 में सत्याग्रही तेतरी देवी की मौत
  • 2011 में चन्द्री देवी की मौत
  • 2014 में माण्डवी देवी की हत्या
  • सरकार भूमि सुधार को प्रभावशाली ढंग से लागू करें


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पटना। विख्यात गांधीवादी विचारक पी.व्ही.राजगोपाल हैं। जन संगठन एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष राजगोपाल उर्फ राजाजी हैं। जल,जंगल और जमीन सदृश्य प्राकृतिक संसाधन जनता के अधीन रहे। इसकी मांग की जाती है। 2007 में जनादेश पदयात्रा सत्याग्रह आयोजित की गयी थी। बिहार में विस्थापन के पूर्व पुनर्वास की मांग को लेकर नौ महीने तक सत्याग्रह किया गया। इसी सत्याग्रह के दरम्यान तेतरी देवी का देहांत हो गया।

2007 में सत्याग्रही तेतरी देवी की मौतःजन संगठन एकता परिषद के बैनर तले दानापुर अंचल कार्यालय परिसर में फरवरी 2007 से बेमियादी सत्याग्रह प्रारंभ किया गया। सत्याग्रह पर तेतरी देवी भी बैठकर सरकार से मांग कर रही थीं। पूर्व मध्य रेल परियोजना से विस्थापित होने वाले 274 से अधिक भूमिहीनों और आवासहीनों को पुनर्वास करने की मांग हो रही थी। सरकार के द्वारा जिद्दीपन के कारण तेतरी देवी की मौत हो गयी। इस तरह सत्याग्रह स्थल पर मौत को गले लगाने वाली तेतरी देवी शहीद हो गयी। 7 साल के बाद भी विस्थापित लोगों को पुनर्वास नहीं किया गया है। इन लोगों को दीघा नहर के किनारे ढकेल दिया गया। एक लम्बी दीवार खड़ी कर दी गयी  है। इसी दीवार के अंदर झोपड़ी में लोग रहने को बाध्य हो रहे हैं।

2011 में चन्द्री देवी की मौतःवर्ष 1994 में बरिआती पंडित के पुत्र भोनो पंडित और पुत्रवधू सुमा देवी की नियत खराब होने लगी। इस संदर्भ में विधवा चन्द्री देवी का कहना है कि इन लोगों की 2 एकड़ 80 डिसमिल जमीन का प्लांट बाजू में ही है। इसके कारण बरिआती पंडित के पुत्र भोनो पंडित और पुत्रवधू सुमा देवी ने 4 एकड़ 80 डिसमिल जमीन पर दावा करने लगे। दावा को पुख्ता करने हेतु अंचल कार्यालय के कर्मचारी एवं अन्य पदाधिकारियों को काम के बदले दाम देकर गलत दस्तावेज तैयार करा दिया गया। भोना पंडित ने 2 एकड़ 60 डिसमिल और उनकी धर्मपत्नी ने 2 एकड़ 20 डिसमिल का दस्तावेज तैयार करा लिया है। इस धोखाधड़ी से विधवा चन्द्री देवी टूट गयी हैं। न्याय के लिए जन षिकायत कोषांग,बांका में फरियाद दर्ज करायी है। इसकी जांच की गयी। कोषांग के अधिकारी ने लिखा है कि उक्त जमीन पर शंतिपूर्ण ढंग से कब्जा है किसी अन्य व्यक्ति का कब्जा नहीं है। मगर यह वास्तविकता से कोसो दूर की बात है। इसके कारण ही चन्द्री देवी की जान चली गयी। चन्द्री देवी नामक विधवा ने 18 सालों तक जिन्दाबाद और मुर्दाबाद का नारा बुलंद की है। यह तस्वीर विधवा की है। जो अपनी जमीन को कब्जाधारियों के चंगुल से मुक्त करवाने के लिए राजधानी में आयी थी। पहले वह बांका जिले के अधिकारियों तक फरियाद दर्ज करायी जब उनके द्वारा न्यायपूर्ण कार्यवाही नहीं की गयी तो राजधानी पटना आ धमकी। ‘हां, यहां के आलाधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के समक्ष गुहार लगायी। इन नौकरशाहों तक गुहार लगाने के बाद भी विधवा को सुषासन बाबू की धरती पर न्याय नहीं मिल सका। वह लगातार 18 वर्षों तक जमीन की जंग लड़ी। राजधानी तक की दौड़ लगायी। अंत में जमीन की जंग में जान गंवा दी। इस तरह एक विधवा की जान भूमि की जंग में चली गयी । भूमि अधिकार आंदोलन चलाने वालों की नजर में चन्द्री देवी ष्शहीद हो गयी। ष्शहीद विधवा के पुत्र रिक्सा चालक है। अब प्रषासन का फर्ज बनता है कि ष्शहीद के पुत्र को कब्जाधारियों के जबड़े से जमीन निकालकर रिक्साचालक को बतौर तौहफा के रूप में प्रदान कर दें।

2014 में माण्डवी देवी की हत्याः सुबोध कुमार, पिता-चन्द्रदेव दास,ग्राम नेऊरी, पो. नेऊरी, थाना-बिहटा, जिला-पटना का रहने वाला हूं। दिनांक 20-07-2014 समय 4ः30 बजे शाम में मेरी मां माण्डवी देवी, समेकित बाल विकास केन्द्र (नेऊरी) झोपड़ी के पास बैठी हुई थीं कि झोपड़ी से पूरब-दक्षिण कोने पर ही गांव के श्री राजदेव राय, पिता-स्व. रामप्यारे राय, सुरेन्द्र राय, पिता राजेन्द्र राय, उमेश राय, पिता राजदेव राय, सुनील राय, पिता राजदेव राय ये सभी चारों व्यक्ति आए और मेरे जमीन पर शीशम का पौधा लगाने लगे। तो मेरी मां ने उसे पौधा लगाने से मना किया। तो ये सभी लोग अभद्र भाषा का प्रयोग कर चमार, डोम कहकर गाली देने लगे। उनलोगों ने बोला कि तुम चमार लोगों को यहां नहीं रहने दूंगा। उसके बाद तीन आदमी ने पकड़ लिया और चैथा आदमी सुनील राय ने कुदाल से सर पर लगातार प्रहार कर सर को चुर डाला। जिसके कारण उनकी वही पर मृत्यु हो गई। हल्ला होने पर मेरे बगल के बगलगीर मुन्नी देवी, पति-जितू मोची, मारो देवी, पति-अनिल मोची तथा सुबोध कुमार, पिता- चन्द्रदेव दास , देखा कि सुनील राय हाथ में कुदाल लेते हुए भागने लगा। भागते समय यह कह रहा था कि तुम चमार लोग को नहीं रहने देंगे और वहां से भाग गया। आंगनबाड़ी केन्द्र की सेविका माण्डवी देवी थी। वह 15 साल से बांध पर रहती थी। गड्ढों में मिट्टी भरकर रहने लायक बनायी थी। इसके बगल में दबंग यादव ने जमीन पर जबरन कब्जा कर लिया। इसको लेकर तनाव चलता रहा । इसकी शिकायत बिहटा थाना और पटना जिले के जिलाधिकारी महोदय से की थीं। मामला कोर्ट में चला गया। इसका परिणाम हत्या होकर सामने आया।

त्वरित कार्रवाई करने की मांग को पूर्ण करें सरकारःजन संगठन एकता परिषद के संस्थापक अध्यक्ष पी.व्ही.राजगोपाल के नेतृत्व में 2007 में जनादेश 2007 और 2012 में जन सत्याग्रह 2012 में पदयात्रा सत्याग्रह किया गया। सरकार से वार्ता के अनुसार राष्ट्रीय भूमि सुधार नीति बनाने की मांग की गयी। भूमि विवाद पर कार्रवाई के लिए त्वरित कोर्ट आदि की मांग की गयी।
आवासीय भूमि अधिकार कानून (2013)

इस कानून के मुताबिक ग्रामीण क्षेत्रों में उन गरीब परिवारों को भूमिहीन तथा आश्रयहीन माना गया है, जिनके पास वैधानिक तौर पर कोई भी आवासीय भूमि नहीं है। इन सभी परिवारों के लिए प्रस्तावित आवसीय भूमि का तात्पर्य ऐसी भूमि से है जो परिवार अथवा व्यक्ति के लिए निजी उपयोग हेतु सुनिश्चित हो। प्रत्येक भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवार को न्यूनतम 10 डिस्मिल (4400 वर्ग फीट) भूमि का आबंटन किया जायेगा। यह भूमि, वंशानुगत प्रक्रियाओं को छोड़कर अहस्तांतरणीय होगी। उपरोक्त प्रक्रियाओं को पूर्ण करने हेतु इस कानून की अधिसूचना जारी होने के 6 माह के भीतर सभी राज्य सरकारें क्रियान्वयन की नीति और नियोजन प्रस्तुत करेंगी। जिसके तहत ग्राम सभा द्वारा प्रस्तुत सूची के अनुसार जिला प्रशासन का दायित्व योग्य परिवारों को न्यूनतम 10 डिस्मिल भूमि का आबंटन करना होगा। राज्य प्रशासन की ओर से इन प्रक्रियाओं में होने वाले विवादों के निपटारे हेतु उपयुक्त न्यायिक निकायों की स्थापना भी की जायेगी। आवासीय भूमि का अधिकार, वयस्क महिला सदस्य के नाम पर किया जायेगा। उन परिस्थितियों में जहाॅं वयस्क महिला सदस्य नहीं है भूमि का आबंटन वयस्क पुरूष के नाम पर किया जायेगा। इस प्रक्रिया में महिला मुखिया आधारित परिवार, एकल महिला, अनुसूचित जाति,अनुसूचित जन जाति, घुमंतु जनजाति तथा विकलांग परिवारों को विशेष प्राथमिकता दी जायेगी।

इस कानून के वित्तीय प्रबंधन के लिए भारत सरकार की भागीदारी 75 प्रतिशत् तथा राज्य सरकारों की भागीदारी 25 प्रतिशत् होगी। ग्राम पंचायतों का दायित्व होगा कि सभी भूमिहीन तथा आश्रयहीन परिवारों का पहचान करके ग्राम सभा से अनुमोदन करके सूची तैेयार करे और इसे विकासखंड तथा जिला पंचायतों को प्रस्तुत करे। इस कानून के क्रियान्वयन हेतु प्रत्येक जिला स्तर पर अधिसूचना जारी की जायेगी तत्पश्चात् चिन्हित परिवारों को दो वर्ष के भीतर भूमि का आबंटन सुनिश्चित् किया जायेगा। किसी भी राज्य और जिला स्तर पर यह कानून अधिकतम 5 वर्ष के भीतर पूर्णतः लागू कर दिया जायेगा। राज्य सरकारों का यह दायित्व होगा कि नयी आबादी बस्तियों में पेयजल तथा अन्य नागरिक सुविधाएं भी मुहैया करायें। भारत सरकार द्वारा इस कानून की अधिसूचना जारी होने के पश्चात् राज्य सरकार के स्तर पर इसे लागू करने हेतु नियमों का निर्धारण 6 माह के भीतर किया जायेगा। इन तीनों परिवार के लोगों के साथ सहानुभूति है। भूमि की जंग में शहीद होने वाली वीरांगना तेतरी देवी, चन्द्री देवी और माण्डवी देवी को नमन और श्रद्धांजलि पुष्प अर्पित। 




आलोक कुमार
बिहार 

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