पुणे के मालिण गांव में भूस्खलन में रविवार को 21 और शव बरामद किए गए। इस तरह मरने वालों की संख्या रविवार को 103 हो गई। एक अनुमान के मुताबिक अब भी 130 ग्रामीण या तो मलबे में दबे हैं या लापता हैं। राष्ट्रीय आपदा कार्य बल (एनडीआरएफ) की टीम और अन्य एजेंसियों ने पिछले तीन दिनों में 23 लोगों की जान बचाई है, जिनमें तीन महीने का बच्चा रुद्र भी शामिल है। मालिण में बुधवार को लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के बाद हुए भूस्खलन में करीब 200 लोग मलबे के नीचे दब गए। बारिश, दलदली मिट्टी और शवों से आने वाली बदबू के कारण राहत कार्य में बाधा आ रही है। एनडीआरएफ ने अब एक भी व्यक्ति के जिंदा बचे होने की संभावना से इनकार किया है।
हालांकि, गांव के मंदिर में शरण लिए उन लोगों की तलाश की जा रही है, जो मंदिर के पास बहने वाली नदी की धार में बह गए थे। अधिकारी ने बताया कि बचाव कार्य रविवार तक जारी रहेगा। बचावकर्मी इलाके में रासायनिक पदार्थ का भी छिड़काव कर रहे हैं जिससे महामारी फैलने से रोका जा सके। मालिण से पहले 13 जुलाई, 2013 को मुंबई के साकीनाका इलाके में हुए भूस्खलन में 75 झुग्गी वालों की मौत हो गई थी।
महाराष्ट्र सरकार ने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये सहायता राशि देने और घायलों का उचित उपचार कराने और घटना में जिदा बच गए लोगों के पुनर्वास पैकेज की घोषणा की है। रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया के राज्यसभा सदस्य रामदास अठावले ने यहां पुनर्वास कार्य के लिए अपने सांसद कोष से 25 लाख रुपये देने की घोषणा की। इससे पहले मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट्र ने पुनर्वास कार्य के लिए 50 लाख रुपये देने की घोषणा की।