जम्मू एवं कष्मीर राज्य अपनी खुूबसूरती की वजह से पूरी दुनिया में मषहूर है। हर साल देष विदेष से बड़ी तादाद में पर्यटक जम्मू एवं कष्मीर का रूख करते हैं। लेकिन यह लोग इस बात से पूरी तरह अंजान हैं कि राज्य के दूरदराज़ के क्षेत्रों में रहने वाले लोग किन कठिनाईयों में अपना जीवनयापन कर रहे हैं। आज़ादी के 67 सालों के बाद भी जम्मू प्रांत के दूरदराज़ क्षेत्र आज भी तमाम मूलभूत सुविधाओं से वंचित हैं। कहने को जम्मू एवं कष्मीर राज्य को धरती का स्वर्ग कहा जाता है। लेकिन तमाम मूलभूत सुविधाओं की कमी के चलते धरती का यह स्वर्ग लोगों के लिए नर्क बनता जा रहा है। कुछ इसी तरह का हाल जम्मू प्रांत के पुंछ जि़ले की तहसील सुरनकोट का है। सुरनकोट में बिजली, पानी, सड़क, स्वास्थ्य, षिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी आज भी एक विकराल रूप लिए हुए है। सुरनकोट के हाड़ी बुढ्ढा के मोहल्ला नडि़या में कुछ ऐसी समस्याए हैं जो मुख्यधारा की मीडिया में कम ही आती हैं। इस इलाके की बिजली, पानी, सड़क, षिक्षा, नरेगा, आंगनबाड़ी केन्द्र और डिस्पेंसरी से जुड़ी समस्याओं को मुख्यधारा की मीडिया में लाने का काम चरखा ने बखूबी किया है।
यहां मूलभूत सुविधाओं की स्थिति का जायज़ा लेने के लिए मैं यहां के सरपंच मोहम्मद रषीद इंकलाबी से मिली। नडि़या के रहने वाले रषीद इंकलाबी ने सबसे पहले सड़क के बारे में बताया कि मदाना से लेकर नडि़या तक बनने वाली सड़क का काम 2011 में षुरू हुआ था जो अभी तक पूरा नहीं हो सका है। 1800 मीटर सड़क के लिए पैसे की अदायगी की जा चुकी है मगर अभी तक सड़क पक्की नहीं हुई है। इसके अलावा उन्होंने यह भी जानकारी दी कि गांव के 42 परिवारों के घर की ज़मीन भारतीय सेना ने ले ली थी। इसके बदले में लोगों को मुआवज़ा मिलना था। लेकिन अभी तक इन लोगों को न तो कोई मुआवज़ा मिला है और न ही इनके आवास का कोई इंतज़ाम किया गया है। इसके बाद मेरी बात मोहल्ला बाड़ा के वार्ड नंबर दो में रहने वाले बाग हुसैन से हुई तो इन्होंने अपनी परेषानी बताते हुए कहा कि हमारे गांव में आज भी तकरीबन 50 घर ऐसे हैं जो पानी से वंचित हैं। दूऱ से पानी लाने ़में हम लोगों को एक घंटे का समय लगता है। गर्मियों के दिनों में तो समस्या और भी ज़्यादा रूप विकराल ले लेती है क्योंकि चष्मों में पानी सूख जाता है। गर्मियों के दिनों में दूर से पानी लाने में हम लोगों का दो घंटे का समय बर्बाद होता है।
गांव के स्थानीय निवासी अब्दुल अज़ीज ने बताया कि मैं एक गरीब षख्स हंू और मेरी ज़मीन सड़क में निकल गई, जबकी हमने अभी डोंगा भी नहीं बनाया था। बारिष होने की वजह से ज़मीन खिसकती है जिससे हमें परेषानी होती है। इसलिए ज़मीन को खिसकने से रोकने के लिए हम लोग डोंगा बनाते हैं। उन्होंने आगे बताया कि हमारे यहां बिजली की हालत बहुत ही दयनीय स्थिति में है। खास बात यह है कि बिजली समय पर नहीं आती है मगर 108 रुपए का बिजली का बिल हर महीने समय से आता है। उन्होंने यह भी बताया कि बिजली की तारें बहुत ही जर्जर हालत में है। पोल न होने की वजह से कहीं-कहीं पर पेड़ों से तारों को बांधकर लाइन को आगे ले जाया गया है जिससे जान-माल के नुकसान का खतरा भी बना रहता है। इसके अलावा यहां के बच्चों को षिक्षा ग्रहण करने के लिए बहुत दूर जाना पड़ता है क्योंकि यहां पर कोई हाई स्कूल नहीं है। एक हाईस्कूल मोहल्ला कोट किल्सां में है और वहां पर भी सिर्फ एक ही अध्यापक है। पूछे जाने पर स्कूल के अध्यापक ने बताया कि यहां आंगनबाड़ी केन्द्र भी है जो महीने में सिर्फ एक बार खुलता है। इसके अलावा मिड-डे मील के खाने के लिए जो समान आता है, उसका भी बंदरबाट हो जाता है। वार्ड नंबर पांच में रहने वाली बानो बी ेंने बताया कि यहां पानी की बड़ी समस्या है। यहां पानी लगातार नहीं आता है। इसकी वजह यह है कि अगर कोई पाइप टूट जाता है तो इसे सही होने में महीनों का समय लगता है। यहां के लोगों की समझ में नहीं आ रहा कि वह अपनी समस्याओं को लेकर किसके पास जाएं। जितनी बार भी यहां के लोग अपनी समस्याओं को लेकर अधिकारियों के पास गए हैं सिवाय नाउम्मीदी के टोकरे के कुछ भी हाथ नहीं लगा है। इन लोगों ने इन्हीं परेषानियों के बीच जिंदगी जीने की आदत डाल ली है। हां अगर केन्द्र की नई सरकार इनकी समस्याओं का हल करने के लिए थोड़ी सी पहल कर दे तो इन लोगों की समस्याओं का बोझ कुछ कम हो सकता है।
सफीना इतरत
(चरखा फीचर्स)