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तेलंगाना कानून-व्यवस्था राज्यपाल को सौंपने के खिलाफ

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esl narasimhan
तेलंगाना सरकार और केंद्र सरकार के बीच टकराव की स्थिति अपरिहार्य लगने लगी है, क्योंकि तेलंगाना सरकार ने हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपने संबंधित एक निर्देश को खारिज कर दिया है। केंद्र सरकार की तरफ से हैदराबाद के कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपे जाने से संबंधित पत्र के भेजे जाने के अगले दिन राज्य सरकार ने केंद्र को पत्र लिखकर इसके विभिन्न मानदण्डों को लागू न करने की बात कही है।  आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, सरकार ने कहा कि राज्यपाल को मंत्रि परिषद की सलाह के अनुसार काम करना चाहिए।

मुख्य सचिव राजीव शर्मा ने मुख्यमंत्री से शनिवार सुबह मुलाकात कर केंद्र के पत्र के संबंध में चर्चा की। शर्मा इसके बाद राजभवन पहुंचे और राज्यपाल ई.एस.एल.नरसिम्ह्न से मुलाकात की। इसके बाद मुख्य सचिव ने केंद्र को पत्र भेजा।  मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव ने केंद्र सरकार को 'फासीवादी'करार देते हुए मुख्य सचिव राजीव शर्मा को शुक्रवार रात को ही निर्देश दे दिया था कि केंद्र सरकार के निर्देश को खारिज करते हुए उसे एक पत्र भेज दिया जाए। उन्होंने केंद्र के फैसले को राज्य के संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन करार देते हुए गैर-राजग शासित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की एक बैठक बुलाने का भी निर्णय लिया है। 

मुख्यमंत्री ने मुख्य सचिव को यह निर्देश तब दिया, जब उन्हें केंद्रीय गृह मंत्री का पत्र मिला, जिसमें उन्हें हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की जिम्मेदारी राज्यपाल को सौंपने को कहा गया था। आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, केसीआर ने यह स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार केंद्र सरकार के फैसले को लागू नहीं करेगी और उन्होंने इसे राज्य के मामले में हस्तक्षेप करार दिया। पृथक तेलंगाना आंदोलन का नेतृत्व कर चुके और जून में इस राज्य के पहले मुख्यमंत्री बने केसीआर ने केंद्र सरकार पर लोकतांत्रिक तरीके से चुनी हुई सरकार की शक्तियां छीनने का आरोप लगाया है। 

केंद्र की तरफ से भेजे गए पत्र के मुताबिक, राज्यपाल के पास हैदराबाद की कानून-व्यवस्था की समीक्षा का अधिकार होगा, जो कि तेलंगाना और आंध्र प्रदेश की संयुक्त राजधानी घोषित की गई है। राज्यपाल के पास शीर्ष पुलिस अधिकारियों के स्थानांतरण का भी अधिकार होगा। हैदराबाद में रह रहे आंध्र प्रदेश के नागरिकों की सुरक्षा के लिए विशेष पुलिस इकाई होगी। गृह मंत्रालय ने इसके लिए आंध्र प्रदेश विभाजन अधिनियम 2014 का हवाला दिया है। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) सरकार कानून-व्यवस्था को राज्य का विषय बताते हुए इस पर राज्यपाल के नियंत्रण का विरोध कर रही है। 

टीआरएस प्रमुख ने अपने सांसदों से इस मुद्दे को सोमवार को संसद में उठाने के लिए कहा है। इस बीच, सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री के.टी.रामाराव ने कहा कि केंद्र सरकार का कदम संघीय भावना के खिलाफ है। उन्होंने राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार से उसके फैसले पर विचार करने की मांग की। मुख्यमंत्री के बेटे रामा राव ने कहा, "प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा यह कदम उठाना उचित नहीं है। एक राज्य के मुख्यमंत्री की जिम्मेदारी संभाल चुकने के कारण उन्हें इस फैसले पर दोबारा विचार करना चाहिए।"

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