आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के मुख्यमंत्री रविवार को तेलुगू भाषी दोनों राज्यों के बीच निरंतर मुद्दों का समाधान बातचीत और आपसी सहयोग से करने पर राजी हो गए। राज्य बंटवारे से उत्पन्न खटास को परे रखते हुए आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन. चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के. चंद्रशेखर राव ने यहां मुलाकात की और दोनों राज्यों की तेलुगू भाषी जनता के हितों के लिए मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।
दोनों नेताओं ने कर्मचारियों के बंटवारे का मुद्दा दोनों राज्यों के मुख्य सचिवों को देने और बिजली एवं जल बंटवारा और पेशेवर पाठ्यक्रम वाले कॉलेजों में नामांकन आदि के मुद्दे के समाधान शुरू करने का फैसला लिया। दोनों राज्यों के बीच विधानसभा भवन में बुनियादी ढांचा साझा करने सहित विभिन्न मुद्दों पर मतभेदों को खत्म करने के लिए राजभवन में दो घंटे तक बैठक चली। इस दौरान वरिष्ठ अधिकारी भी मौजूद थे।
पहले एक घंटे तक चली वार्ता के दौरान दोनों राज्यों के राज्यपाल ई. एस. एल. नरसिम्हन भी मौजूद रहे। बाद में मुख्यमंत्रियों ने विस्तृत चर्चा की। आंध्र प्रदेश के मुख्यमंत्री एन.चंद्रबाबू नायडू और तेलंगाना से उनके समकक्ष के.चंद्रशेखर राव दोपहर 12 बजे के बाद औपचारिक मुलाकात के लिए राजभवन पहुंचे। बंटवारे और जून में सरकार गठन के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों के बीच यह पहली मुलाकात थी। यह बैठक राज्यपाल की पहल से हुई।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव आई.वाई.आर.किशन राव, तेलंगाना से उनके समकक्ष राजीव शर्मा, आंध्र प्रदेश विधानसभा अध्यक्ष कोडेला शिवप्रसाद राव, तेलंगाना से उनके समकक्ष मधुसुदन चारी और अन्य अधिकारी भी बैठक के दौरान मौजूद थे। नायडू ने इस बैठक से पहले कहा था कि वह हैदराबाद स्थित सचिवालय और निदेशालयों के कर्मचारियों के बंटवारे से जुड़े मुद्दे पर चर्चा करेंगे। कभी तेलुगू देशम पार्टी (तेदेपा) में नायडू के मित्र रहे राव के साथ बेहद सहयोगपूर्ण वातावरण में बैठक हुई।
बैठक के बाद दोनों मुख्यमंत्रियों ने अलग-अलग मीडिया से बात की और कहा कि उन्होंने लोगों के हित में आपसी सहयोग से कदम बढ़ाने का फैसला लिया है। इसे अच्छी शुरुआत करार देते हुए राव ने कहा कि वार्ता सार्थक रही। तेलंगाना राष्ट्र समिति (टीआरएस) के राव ने कहा, "अगर जरूरत पड़ी तो दो तीन बार और मुलाकात कर मुद्दों का समाधान कर लिया जाएगा।"
उन्होंने कहा कि 45000 कर्मचारियों के बंटवारे से संबंधित काम पूरा हो चुका है और अब शेष कुछ सौ कर्मचारियों से संबंधित मसले का समाधान दोनों राज्यों के अधिकारी कर लेंगे। उन्होंने कहा कि यदि जरूरत पड़ी बंटवारे के बाद के मुद्दों का समाधान करने के लिए दोनों राज्य मिलकर केंद्र पर दबाव बनाएंगे। उल्लेखनीय है कि विभाजन के बाद दोनों राज्यों के बीच कर्मचारियों के बंटवारे, बिजली, पानी और प्रोफेशनल कालेजों में नामांकन के मुद्दे पर तीखा मतभेद रहा है।