बिहार और नेपाल के तराई क्षेत्रों में हो रही लगातार बारिश से कई नदियों के जलस्तर में वृद्घि जारी है। बाढ़ से राज्य के 13 जिले प्रभावित हैं। उधर पिछले 24 घंटे के दौरान बाढ़ से आठ लोगों की मौत हो गई, जिससे मरने वालों की संख्या बढ़कर 17 पहुंच गई है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग लगातार राहत और बचाव कार्य चलाने का दावा कर रहा है। राज्य आपदा प्रबंधन विभाग के संयुक्त सचिव सुनील कुमार ने मंगलवार को बताया कि सुपौल, मुजफ्फरपुर, दरभंगा, सहरसा, पश्चिम चंपारण और नालंदा जिले में बाढ़ की स्थिति गंभीर बनी हुई है। उन्होंने बताया कि बाढ़ से अब तक 17 लोगों की मौत हो गई है जिसमें सबसे अधिक नालंदा जिले में 10 लोग शामिल हैं।
पटना स्थित बाढ़ नियंत्रण कक्ष के मुताबिक बिहार की करीब सभी प्रमुख नदियां विभिन्न स्थानों पर खतरे के निशान से ऊपर बह रही हैं। नियंत्रण कक्ष में प्रतिनियुक्त सहायक अभियंता दीपक कुमार ने बताया कि मंगलवार को वीरपुर बैराज में कोसी नदी का जलस्तर 2़ 13 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया जबकि वाल्मीकिनगर बैराज में गंडक का जलस्तर 1़ 50 लाख क्यूसेक दर्ज किया गया। कहलगांव में गंगा नदी तथा हायाघाट और बेनीबाद में बागमती नदी, झंझारपुर में कमला बलान तथा कुर्सेला में कोसी खतरे के निशान के ऊपर बह रही है।
आपदा प्रबंधन विभाग के मुताबिक बिहार के 13 जिलों के 43 प्रखंडों के 582 गांवों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है। बाढ़ से राहत एवं बचाव के लिए राष्ट्रीय आपदा प्रतिक्रिया बल (एनडीआरएफ) की 12 और राज्य आपदा प्रतिक्रिया बल (एसडीआरएफ) की चार टीमों को लगाया गया है। बाढ़ प्रभावित सहरसा, सुपौल, दरभंगा और गोपालगंज में अब तक 37 हजार से ज्यादा लोगों को राहत शिविरों में पहुंचाया गया है।
नालंदा जिले में मंगलवार को राहत को लेकर प्रखंड कार्यालय में बाढ़ पीड़ितों ने जमकर हंगामा किया तथा सरकार के विरोध में नारे लगए। ग्रामीणों का आरोप है कि इस क्षेत्र में किसी प्रकार की कोई राहत नहीं पहुंच रही है।