- पूरे दिन भूखे-प्यास रह मां गौरी को विधि-विधान से पूजा
- सुहाग, बच्चों समेत पूरे परिवार के सुख-समृद्धि, संपन्नता और पुत्र रत्न प्राप्ति की कामना की
- सोलहों श्रृंगार के साथ व्रती महिलाएं पहुंची शंकर-पार्वती को पूजने मंदिरों में
- सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वस्थ्य जीवन साथी की चाहत में कुंवारी युवतियां ने भी रखा व्रत
शहर हो या देहात हर जगह सजना की लंबी उम्र के लिए पत्नियों ने गुरुवार को निर्जला व्रत रखकर मां गौरी व शिव से कामना की। पूरे दिन भूखे-प्यासे रहकर कुछ ने घर में तो कुछ मंदिरों में पहुंचकर मां पार्वती व बाबा भोलेनाथ की विधि-विधान से पूजन-अर्चन कर कथ सुनी। बदलें में सुहाग, बच्चों समेत पूरे परिवार के सुख-समृद्धि, संपन्नता और पुत्र रत्न प्राप्ति का मां गौरी व शिव से वरदान मांगा। सुयोग्य, सुन्दर, मनोवांछित, सुशील और स्वस्थ्य जीवन साथी की चाहत में कुंवारी युवतियां ने भी व्रत रखकर मां-गौरी से आर्शीवाद मांगा। आज सुबह से ही महिलाएं व युवतियां स्नान-ध्यान कर व्रत का शुभारंभ कर दी थी। इसके बाद संजने व संवरने के साथ ही पूजन-अर्चन की तैयारी में जुटी रही। दोपहर में व्रतियों ने नियम व निष्ठा से प्रसाद तैयार की। इस दोरान बाजारों में भी मिठाई, फल-फूल व पूजन सामाग्रियों के दुकानों में काफी भी़-भाड़ देखी गयी।
मेंहदी लगाने का सिलसिला सुबी से ही शुरु था। कईयों ने बुधवार को ही मेहदी रचा ली थी। शाम ढलते ही पूरे सोलह श्रृंगार में सज-धजकर कुछ ने तो अपने घर में ही तो कुछ ने मंदिरों में जाकर शंकर-पार्वती की पूजा में हिस्सा लिया। महिलाएं व कन्याएं भगवान शिव को गंगाजल, दही, दूध, शहद आदि से स्नान कराकर उन्हें फल समर्पित किया। रात्रि के समय अपने घरों में सुंदर वस्त्रों, फूल पत्रों से सजाकर फुलहरा बनाकर भगवान शिव और पार्वती का विधि-विधान से पूजन-अर्चन की। मंदिरों में पंडित जी ने भगवान शंकर-पार्वती के विवाह की कहानी विस्तार से बताई। पूजा समाप्ति के बाद सुहागिनों ने सोलहो श्रृंगार से सजी थाली के सामाग्री, फल-फूल व दक्षिणा पंडित जी को समर्पित कर आर्शीवाद अखंड सौभाग्यती का वरदान मांगा। इसके अलावा घर हरि चर्चा व भजन, कीर्तन आरती की।