केन्द्र सरकार ने विपक्ष के नेता के बिना ही देश के अहम संवैधानिक नियुक्तियां करने का फैसला कर लिया है। देश के कई अहम कमिशन विपक्ष के बिना संभव नहीं है पर सरकार ने विजिलेंस कमिशन, ह्यूमन राइट्स कमिशन और लोकपाल जैसी संस्थाओं के प्रमुखों का चयन विपक्ष के बिना करने का फैसला कर चुकी है दरसल इन पदों का चयन करने वाली समिति में लोकसभा में विपक्ष के नेता के होने का प्रावधान है।
डिपार्टमेंट ऑफ पर्सेनल ऐंड ट्रेनिंग ने लोकसभा में विपक्ष के नेता के बारे में जानकारी के लिए लोकसभा सचिवालय को पत्र लिखा था। सचिवालय ने जवाब दे दिया है कि लोकसभा में कोई नेता विपक्ष नहीं है। सूत्रों ने बताया कि सरकार ने बिना नेता विपक्ष के ही नियुक्तियां करने का फैसला कर लिया है। लोकसभा स्पीकर सुमित्रा महाजन ने कांग्रेस की नेता विपक्ष का पद देने की मांग को खारिज कर दिया था।
इस समिति में प्रधानमंत्री, गृह मंत्री और विपक्ष के नेता होंगे। लेकिन, ऐक्ट में यह भी प्रावधान है कि नेता विपक्ष न होने की सूरत में चयन समिति में लोकसभा के सबसे बड़े विपक्षी दल के नेता को शामिल किया जा सकता है। सरकार ने फिलहाल चीफ इन्फॉर्मेशन कमिश्नर की नियुक्ति को रोक रखा है क्योंकि विपक्ष का नेता नहीं है। इस वजह से पहली बार ऐसा हुआ है कि 2005 में अपनी स्थापन के बाद से इन्फॉर्मेशन कमिश्न का कोई मुखिया नहीं है।