बिहार के दरभंगा जिले के विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र में पिछले तीन साल से अपने ससुराल के शौचालय में कैद गुंजा को पुलिस ने रविवार को मुक्त करा लिया। पुलिस की मदद से मुक्त होने के बाद गुंजा तीन वर्ष बाद सूर्य की रोशनी देख सकी। पुलिस के अनुसार, गुंजा का विवाह चार वर्ष पूर्व विश्वविद्यालय थाना क्षेत्र के रामबाग मुहल्ले के रहने वाले प्रभाष कुमार सिंह के साथ हुआ था। आरोप है कि गुंजा को बराबर ससुराल वाले दहेज के लिए प्रताड़ित किया करते थे। उसे अपनी तीन साल की बेटी से भी नहीं मिलने दिया जाता था और उसे एक शौचालय में कैद रखा गया था। दरभंगा के पुलिस अधीक्षक कुमार एकले ने मंगलवार को बताया कि गुंजा के पिता श्यामसुंदर सिंह की शिकायत है कि उनकी बेटी को ससुराल वाले अक्सर दहेज के लिए प्रताड़ित किया करते थे। वह जब भी बेटी से मिलने उसकी ससुराल गए, उन्हें उससे नहीं मिलने दिया गया।
जानकारी के अनुसार, गुंजा के पिता ने सामाजिक रूप से इस मामले को सुलझाने की कोशिश की थी, लेकिन जब ऐसा नहीं हो पाया तो रविवार को उन्होंने पुलिस अधीक्षक के जनता दरबार में गुहार लगाई, जिसके बाद पुलिस को तुरंत कार्रवाई के लिए भेजा गया। पुलिस ने रविवार को ही गुंजा को मुक्त करा लिया। बाद में गुंजा के बयान पर जिले के महिला थाना में रविवार को ही मामला दर्ज कराया गया। मुक्त होने के बाद गुंजा ने कहा कि वह तीन वर्ष बाद सूर्य की रोशनी देख रही है। गुंजा को उसकी तीन साल की बेटी भी नहीं पहचान पाई।दरभंगा महिला थाना की प्रभारी सीमा कुमारी के अनुसार, पुलिस ने गुंजा को मुक्त कराकर उसके मायके वालों को सौंप दिया है। आरोपियों में गूंजा के पति प्रभाष कुमार सिंह, ससुर धीरेन्द्र कुमार सिंह और सास इंद्रा देवी को हिरासत में ले लिया गया है। पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है।