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महेश भट्टजी ! तो हो जाए शशि - सुनंदा पर भी एक फिल्म ...!!

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tharoor sunanda
सचमुच जीवन विरोधाभासों से भरता जा रहा है। व्यवहार में जो बातें असंभव प्रतीत होती है,दुनिया में वही होता दिखाई देता है। अब देश के  सर्वाधिक संभ्रांत कहे - समझे जाने वालें राजनेता शशि थरुर का ही उदाहरण लें। विचार और जीवन - शैली में फिल्म निदेशक महेश भट्ट के करीब नजर आने वाले  थरूर के मामले में मुझे बड़ी हैरत होती है, कि महेश भट्ट की  फिल्मों में हीरो या खुले विचारों वाले  हीरो के ग्लैमरस  बाप - भाई  या ससुर की भूमिका निभाने के बजाय यह आदमी राजनीति में कैसे आ गया। आ गया तो किसी पार्टी में जगह कैसे मिल गई। जगह मिल गई तो टिकट कैसे मिल गया और टिकट मिल भी गया, तो जीत कैसे गया। क्योंकि राजनीति की थोड़ी - बहुत समझ बताती है कि मोहल्ला स्तर के नेताओं के पास भी इतने काम होते हैं कि बेचारा खुद को भूल जाता है। 

लेकिन पेज  थ्री कल्चर के नुमाइंदे इस नेता के पास ट्वीट करने का भी समय है और सुंदर स्त्रियों से दोस्ती निभाने  का भी। यही नहीं यह शख्स आइपीएल मैच के  आयोजन - आनंद में  भो रस लेने का समय निकाल लेता है, तो राष्ट्रीय - अंतर राष्ट्रीय मीडिया से बतकही भी खूब  करता है। समझ में नहीं आता यह शख्स  केंद्रीय मंत्री पद पर रहते हुए  इतना सब करने का समय कैसे निकाल लेता है। सेवन स्टार होटल से कम पर कदम न रखने वाले इस शख्स ने  सिर्फ 57 साल की उम में तीसरी शादी रचा कर अपनी प्रतिभा का लोहा पहले ही मनवा लिया था। अफसोस की कदाचित चौथी की  ओर बढ़ते रुझान के तनाव में  थरूर की तीसरी बीवी सुनंदा पुष्कर अपने पीछे गहरा रहस्य छोड़ संसार से विदा हो गई। लेकिन इससे भी गहरा आश्चर्य मुझे इस बात पर हो रहा है कि विचारों के स्तर पर थरुर के समकक्ष फिल्म निदेशक महेश भट्ट शशि - सुनंदा ट्रेजेडी पर फिल्म की घोषणा करने में इतना विलंब क्यों कर रहे हैं। जबकि इस शानदार पटकथा पर आशिकी थ्री आसानी से बन सकती है। 

आखिर अपनी  फिल्मों के माध्यम से महेश भी तो जनता को यही संदेश देना चाहते हैं कि जब तक जीयो  , शान से जीयो । और हां प्यार करना कभी न छोड़ो। भले ही   उम्र नाती - पोतो से खेलने की हो जाए या इश्क और  शादी दर शादी में बेटे - बेटी ही नहीं नाती - पोते भी बाराती बन कर नाचे -  कूदे। सचमुच देश ऋणी रहेगा कांग्रेस का।जिसने शशि थरूर जैसे नई सोच वाला नेता हमें दिया। अब कांग्रेस ने शशि को पदोन्नत करते हुए पार्टी का प्रवक्ता बना दिया है। यानी शशि नई उर्जा के साथ नई पारी खेल सकते हैं। तो महेश भट्टजी , हो जाए  शशि - सुनंदा की जिदंगी पर भी एक फिल्म...इनलाइन चित्र 1






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल) 
संपर्कः 09434453934
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं। 

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