पटना। आज ईसाई समुदाय सभी ‘संतों’ का पर्व मना रहे हैं। कल ईसाई समुदाय मुर्दों का पर्व मनाएंगे। अल्पसंख्यक सभी संतांे का पर्व को लेकर उत्साहित रहे। वहीं मुर्दों का पर्व मनाने की तैयारी में लग गए हैं। कब्रों को रौनकदार बनाने में लगे हैं। कम्प्यूटर से मिलाकर रंगों से कब्र को रंगा जा रहा है। क्रूस को रंगकर नाम लिखा जा रहा है। परेशानी यह है कि प्रायः कब्र में एक से अधिक लोगों को दफनाया गया है। किसका नाम लिखे और किसका नाम नहीं लिखे को लेकर उहापोह की स्थिति बन जा रही है। जो भी क्रूस पर जरूर ही नाम लिखा जा रहा है।
ईसाई समुदाय सभी संतांे का पर्व मना रहे हैंः आज शनिवार को ईसाई समुदाय सभी संतों का पर्व मना रहे हैं। आज धर्मावलम्बी लोग गिरजाघर में गए। वहां पर जाकर श्रद्धापूर्ण ढंग से प्रार्थना किए। प्रार्थना के दौरान श्रद्धालुओं ने सभी संतों से परिवार में सहयोग देने और कृपा बरसाने का आग्रह किए। पुरोहितों ने पवित्र परमप्रसाद वितरण किए। जिसे भक्तिभाव से ग्रहण किया गया।
ईसाई धर्मावलम्बी ‘संतांे’ं के नाम से ही नाम रखते हैंः ईसाई समुदाय के अनेक ‘संत’ हैं। इनका अनेक नाम है। इन्हीं ‘संतों’ का नाम रखा जाता है। यह नाम स्नान संस्कार ‘बपतिस्मा’ के समय रखा जाता है। चर्चित संतांे ंके नामों में जोसेफ, मरिया, जौर्ज, जोन, थोमस, अगस्तीन, लुकस जेवियर, फ्रांसिस आदि हैं। इन्हीं ‘संतों’ के नाम से संस्थाओं का नाम भी रखा जाता है। ईसाई समुदाय ‘संतों’ का नाम और अपने जन्म दिन को उत्साह से मनाते हैं। अब तो ‘संतों’ का नामों का हिन्दीकरण भी हो गया है। अब लोग हिन्दीकरण ही नाम को स्वीकार करने लगे हैं। पहले के नाम को विदेशी नाम करके उन नामों को ठुकराने लगे हैं।
मुर्दों का पर्व 2 नवम्बर कोः ईसाई समुदाय को कब्र में दफनाया जाता है। इसी को कब्रिस्तान कहा जाता है। कोई ईसाई व्यक्ति मर जाते हैं। तो उनके शव को बाॅक्स रखकर कब्र के नीचे उतारा जाता है। उस वक्त अंतिम संस्कार में भाग लेने आए लोग ‘मिट्टी’डालते हैं। अब तो फूल भी डालते हैं। ऐसे लोगों को यानी मुर्दों का पर्व 2 नवम्बर को मनाया जाता है। मृतकों के कब्र को सावधानी से रखा जाता हैं इसके लिए कब्र के ऊपर क्रूस लगाया जाता है। लोहे के क्रूस पर मृतक का नाम लिख दिया जाता है। ताकि पहचान कायम रहे। इस कब्र को रौनकदार बनाया जा रहा है।
कुर्जी कब्रिस्तान में 2 बजे से अनुष्ठानः कुर्जी कब्रिस्तान में मुर्दों का पर्व के अवसर पर 2 बजे से अनुष्ठान होगा। इस दिन तीन बार मिस्सा पूजा की जाती है। दो बार सुबह में मिस्सा पूजा होती है। अंतिम तीसरी बार कब्रिस्तान में पूजा की जाती है। आज के दिन सूबे के सभी ईसाई कब्रिस्तान में मिट्टी को समर्पित लोगों की याद में कब्र के पास परिजन आंसू बहाने लगते हैं। यह भावनात्मक बिखराव और घनिष्ता को दर्शाता है। इसी कारण सप्ताह भर पहले ही कब्र को दुरूस्त करने का कार्य आरंभ कर दिया जाता है।मृतक के परिजन कब्रों की सुन्दरता लाने का प्रयास को अंतिम रूप दे रहे हैं। कल कब्र पर फूल,अगरबत्ती,मोमबत्ती चढ़ाया जाएगा। दोपहर समय में मोमबत्र्ती और अगरबत्ती जलाया जाएगा। पुरोहितों के द्वारा धार्मिक अनुष्ठान, परमप्रसाद आदि रस्म अदायगी करके अंत में सभी कब्रों के पास पहुंचकर पवित्र जल का छिड़काव करते हैं।
आलोक कुमार