Quantcast
Channel: Live Aaryaavart (लाईव आर्यावर्त)
Viewing all articles
Browse latest Browse all 79216

आलेख : एक स्वच्छता अभियान तीर्थ स्थलों के शुद्धिकरण के लिए भी चले मोदीजी...!!

$
0
0
live aaryaavart dot com
मैं जिस शहर में रहता हूं, वहां से जगन्नाथ धाम पुरी की दूरी यही कोई पांच सौ किलोमीटर के आस - पास होगी। लेकिन अब तक मैं सिर्फ दो बार ही वहां जा पाया हूं। बचपन में अभिभावकों के साथ एक बार पुरी गया था। तब ट्रेन के पुरी पहुंचने से करीब 50 किलोमीटर पहले मध्यरात्रि में ही कई पंडों ने हमें घेर लिया। पंडे  हर किसी तीर्थ यात्री से एक ही सवाल पूछते... कौन जिला बा...। भूल कर भी अगर किसी ने जवाब दे दिया, तो फिर शुरू हो गए। आपसे पहले यहां आपके फलां - फलां पुरखे आ चुके हैं। उन्होंने फलां - फलां संकल्प किया था, जिसे आपको पूरा करना चाहिए। लाख कोशिशों के बावजूद इन पंडों से पीछा छुड़ा पाना लगभग असंभव था। इस वजह से कई सालों तक फिर वहां जाने की न हिम्मत हो पाई और न इच्छा। अरसे बाद कुछ साल पहले संयोगवश फिर पुरी गया, तो मैने महसूस किया कि पंडे तो वहां भी अब भी है। लेकिन उनका दबदबा  काफी कम हो गया है। वे लोगों से पूजा - पाठ में सहयोग का प्रस्ताव सामान्य दक्षिणा के एवज में रखते तो हैं, लेकिन ज्यादा जोर - जबरदस्ती नहीं करते। स्थानीय लोगों से पता चला कि यह राज्य सरकार की कड़ाई का नतीजा है। इससे मुझे सुखद आश्चर्य हुआ कि यदि पुरी में एेसा हो सकता है तो देश के दूसरे तीर्थ स्थलों में भी यह होना चाहिए। ताकि देश का हर नागरिक बेखटके तीर्थ के बहाने ही सही लेकिन भ्रमण पर जा सके। 

हालांकि दूसरी बार पुरी जाने पर मैने देखा कि देश के कोने - कोने से तीर्थ के लिए पहुंचे सैकड़ों तीर्थ यात्री कमरा न मिलने की वजह से भीषण गर्मी में भी सड़कों पर लेटे हैं या फिर इधर - उधर भटक रहे हैं। आलम यह कि किसी धर्मशाला या होटल में कमरे के बार में पूछने पर बगैर सिर उठाए कर्मचारी जवाब देते... नो रूम...। सैकड़ों यात्री सिर छिपाने के लिए एक अदद कमरे को इधर से उधर भटक रहे थे। इस स्थिति में महिलाओं व बच्चों की हालत खराब थी। क्या पर्यटन को बढ़ावा देने का दम भरने वाली सरकारें यह सूरत नहीं बदल सकती। जिससे तीर्थ स्थलों पर पहुंचने वालों को कमरे की सुनिश्चितता की गारंटी दी जा सके।  सच्चाई यही है कि दक्षिण भारत को छोड़ दें तो शेष भारत के हिंदू तीर्थ स्थलों पर पंडों - पुरोहितों , ठगों व लुटरों का राज चला आ रहा है। आस्था कहें या किसी मजबूरी में उत्तर भारत के तीर्थ स्थलों पर जाने वाले लोगों के साथ बदसलूकी , ठगी और इसके बाद भी सीनाजोरी आम बात है। एेसे कड़वे अनुभव के बगैर कोई तीर्थ यात्री वहां से लौट आए, यह लगभग असंभव है। अस्थि - विसर्जन व कर्मकांड के लिए उत्तर भारत जाने वाले तीर्थ यात्रियों से पूजा - पाठ के नाम पर हजारों की ठगी आम बात है। मेरे कई अहिंदी भाषी मित्र मुझसे कहते हैं कि पिंडदान व अन्य धार्मिक कृत्य के लिए उनकी गया, बनारस , इलाहाबाद , हरिद्वार व अन्य तीर्थ स्थानों को जाने की इच्छा है। लेकिन भाषा की समस्या तथा ठगे जाने के डर से वे वहां जाने का साहस नहीं जुटा पा रहे हैं। 

देश में नई केंद्र सरकार अस्तित्व में आए या राज्य सरकार। यह दावा जरूर किया जाता है कि निवेश व पर्यटन के जरिए रोजगार व राजस्व बढ़ाने पर जोर दिया जाएगा। लेकिन कुछ दिनों बाद ही दावों की हवा निकल जाती है। कई साल पहले रेलवे ने अाइआरसीटीसी के जरिए देश में पर्यटन बढ़ाने की कोशिश की थी, लेकिन यह योजना भी सफल नहीं हो सकी। क्योंकि आज भी देश की 80 प्रतिशत आबादी के लिए पर्यटन व भ्रमण विलासिता जैसी चीजें हैं। हां देश की शत प्रतिशत आबादी को तीर्थ स्थलों से जरूर जोड़ा जा सकता है। क्योंकि देशवासियों की आस्था ही कुछ एेसी है। ग्रामांचलों में बुढ़ापे में बद्रीनाथ - केदारनाथ की यात्रा हर बुजुर्ग की अंतिम इच्छा होती है। यह करा पाने वाले बेटों को समाज में सम्मान की नजरों से देखा जाता है। ग्रामांचलों में देखा जाता है कि पूरी जिंदगी जद्दोजहद में गुजार देने वाले बुजुर्ग शरीर से सक्षम रहने के दौरान भले कहीं न जा पाते हों, लेकिन शरीर जवाब दे पाने की स्थिति में भी उनके वारिस उन्हें गया - पुरी व अन्य तीर्थ स्थलों को ले जाने की भरसक कोशिश करते हैं। इसलिए समूचे देश में झाड़ू अभियान चला रहे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को तीर्थ स्थलों की स्वच्छता के लिए भी विशेष अभियान शुरू करना चाहिए , ताकि लोग तीर्थ स्थलों को जाने के लिए स्वतः प्रेरित हो सके। इससे केंद्र व राज्य सरकारों की आय भी बढ़ेगी, और रोजगार के अवसर भी बढ़ेंगे। 






तारकेश कुमार ओझा, 
खड़गपुर ( पशिचम बंगाल)
संपर्कः 09434453934 
लेखक दैनिक जागरण से जुड़े हैं।

Viewing all articles
Browse latest Browse all 79216

Trending Articles



<script src="https://jsc.adskeeper.com/r/s/rssing.com.1596347.js" async> </script>