- दो बड़ी-बड़ी पार्टियों के बीच घमासान, कौन किस पर करेगा एहसान, होगा इस समस्या का क्या समाधान ?
झामुमों के युवा नेता हेमन्त सोरेन की नीतियों से खफा तथा झामुमों के विरुद्ध समय-असमय आग उगलने वाले संताल परगना के कद्दावर किन्तु विवादित नेता साईमन मराण्डी के भाजपा में घुसपैठ के बाद लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र का चुनाव इन दिनो काफी महत्वपूर्ण हो गया है। वर्ष 2014 के विधानसभा चुनाव में भाजपा ने लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र से श्री मराण्डी को प्रत्याशी बनाया है। झामुमों के कोटे में रहे इस विधानसभा सीट पर पार्टी ने अबतक प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, किन्तु माना जा रहा है कि साईमन मराण्डी को फूल व फाईनल डिफिट करने वाले को ही इस विस सीट से प्रत्याशी बनाया जाय। हेमन्त सोरेन के छोटे भाई वसंत सोरेन को यहाँ से लड़ाने की बातें अबतक चलती रही थी, कहना बड़ा मुश्किल है कि इस विधानसभा सीट से पार्टी किसे अपना प्रत्याशी घोषित करेगी। झाविमों नेता डाॅ0 अनिल मुर्मू को पार्टी ने इस विस सीट से अपना प्रत्याशी बनाया है, किन्तु प्रो0 स्टीफन मराण्डी के झाविमों से झामुमों में लौटा लाने की कवायद के बाद यह साफ हो गया है कि डाॅ0 अनिल मुर्मू भी शीध्र ही झाविमों से अपना नाता तोड़ लेगें और झामुमों में शामिल हो जाऐगें।
यह दिगर बात है कि अभी तक इस पर कोई बड़ा फैसला सामने नहीं आया है। जहाँ तक लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र की बात है तो यह विधानसभा पहाडि़या बहुल माना जाता है। आदिम जनजाति पहाडि़या समुदाय का वर्चस्व इस क्षेत्र पर है। माल पहाडि़या, सांवरिया पहाडि़या व कुमारभाग पहाडि़या के वर्चस्व वाले लिट्टीपाड़ा विस क्षेत्र से क्या साईमन मराण्डी विधानसभा की दहलीज तक पहुँच पाऐगें, या फिर झामुमों प्रत्याशी ही इस क्षेत्र पर अपना वर्चस्व स्थापित कर पाने में सफल होगें ? इस विधानसभा क्षेत्र का गणित समझना काफी मुश्किल भरा है। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र कुल चार प्रखण्डों के अन्तर्गत विस्तारित है। पाकुड़ जिला के प्रखण्ड अमरापाड़ा, लिट्टीपाड़ा व हिरणपुर सहित दुमका जिला के गोपीकान्दर प्रखण्ड को मिलाकर लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र बना है। सीपीएम ने इस क्षेत्र से उर्जावान पहाडि़या युवा नेता देवेन्द्र देहरी को अपना प्रत्याशी बनाया है।
वैसे भी आजादी के बाद से अबतक के इतिहास में पहाडि़या जनजाति को उसका वाजिब हक प्राप्त नहीं हुआ है। राज्य के 81 विधानसभा सीटों में से कोई भी ऐसा सीट नहीं है जो आदिम जनजाति पहाडि़या समुदाय के लिये आरक्षित हो। झारखण्ड के अबतक के इतिहास में विधानसभा की दहलीज पर एक भी पहाडि़या विधायक ने अपने पैर नहीं रखे हैं। सवा दो लाख मतदाताओं वाले लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र में संतालों के बाद दूसरी सबसे बड़ी आबादी पहाडि़या समुदायों की है। तीसरी बड़ी आबादी मुसलमानों की है। शेष आबादी वैश्य की विभिन्न जातियो सहित दलित, हरिजनों व अन्य जातियों की है। इस विधानसभा सीट पर झामुमों अपने पुराने वर्चस्व को बचा पाने में कामयाब होगी ? झामुमों से भाजपा में विलय के बाद साईमन मराण्डी पार्टी को अपनी जीत का तोहफा दे पाऐगें ? क्या सीपीएम दो बड़ी-बड़ी पार्टियों के बीच घमासान से खुद को निकाल पाने में सफल होगी ? उपरोक्त प्रश्नों का हल पाँचवें चरण (20 दिसम्बर) के मतदान के बाद 23 दिसम्बर को खुद-ब-खुद सामने आ जाऐगा।
अमरेन्द्र सुमन
दुमका