वित्तीय घाटे से चिंतित सरकार ने गुरुवार को पेट्रोल और डीज़ल पर उत्पाद शुल्क में 1.50-1.50 रुपये प्रति लिटर बढ़ा दिया, जिससे सरकार को 13,000 करोड़ रुपये का अतिरिक्त राजस्व जुटाने में मदद मिलेगी। अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल के लगातार गिरते दामों से यह स्थिति बनी है। अगस्त के बाद से पेट्रोल के दाम लगातार छह बार घटे हैं, जबकि पिछले एक महीने में डीज़ल के दाम भी दो बार घटे हैं। ऐसी संभावना थी कि इस सप्ताहांत दोनों ईंधनों के दाम में और कमी की जा सकती है, लेकिन, अब जबकि सरकार ने राजस्व बढ़ाने के लिए उत्पाद शुल्क में वृद्धि का निर्णय किया है तो संभावित कटौती का असर नहीं दिखेगा।
सरकार की अधिसूचना के अनुसार सामान्य, यानि बिना ब्रांड वाले पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 1.20 रुपये से बढ़ाकर 2.70 रुपये लिटर कर दिया गया है, वहीं सामान्य डीज़ल पर उत्पाद शुल्क 1.46 रुपये से बढ़ाकर 2.96 रुपये प्रति लिटर कर दिया गया है। वहीं प्रीमियम, यानि ब्रांडेड पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क 2.35 रुपये से बढ़ाकर 3.85 रुपये लिटर तथा ब्रांडेड डीज़ल पर उत्पाद शुल्क मौजूदा 3.75 रुपये से बढ़ाकर 5.25 रुपये प्रति लिटर कर दिया गया है। राजकोषीय घाटा बढ़ने से चिंतित सरकार ने हाल ही में अपने खर्चों में मित्तव्ययता बरतने के लिए सरकारी अधिकारियों की विदेश यात्रा पर अंकुश लगाने सहित कई उपायों की घोषणा की है।