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विशेष : मांझी के बयान पर पल पल नजर रखने वाले एक पत्रकार की प्रतिक्रिया

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santosh singhदेर रात नीतीश की सम्पर्क यात्रा को बीच में ही छोड़ कर पटना लौटे हैं आज केन्द्रीय उर्जा मंत्री पीयूष गोयल बाढ थर्मल पावर और कांटी थर्मल पावर के व्यवसायिक गतिविधियो का शुभ आरम्भ करने वाले हैं जिससे बिहार को 440 मेगावाट बिजली मिलेगी। बिहार के लिए वाकई में आज का दिन ऐतिहासिक है इस ऐतिहासिक मौंके का गवाह बनना भी गौरव की बात होती है,,, इसलिए सिवान और छपरा के बीच जान मारु सड़को की चिंता छोड़ सरपट भागते हुए देर रात पटना पहंचे है।

सुबह जब नींद खुली और अखबार के सुर्खियो पर नजर पड़ी तो मैं हैरान रह गया मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के बयान पर बबाल मचा हुआ है। जबकि मैं पिछले तीन दिनो से उन्ही बगहा.बेतिया,मोतिहारी सिवान औऱ छपरा मैं मौंजूद था जहां मांझी कुछ अटपटा बयान दिए थे। लोगो से हमने बात भी की उस सभा मैं मौजूद लोगो से मुलाकात भी हुई,,, पत्रकारो से भी बात हुई जो कभर कर रहे थे। जिस सदर्भ में जिस समाज के बीच मांझी ने विदेशी और औरतो को लेकर जो बाते कही उसको लेकर लोग मजाक में बात तो जरुर कर रहे थे लेकिन मांझी के बातो को लेकर लोगो में वैसा कुछ आक्रोश देखने को नही मिला जो आज पटना में देखने को मिल रहा है। 

लेकिन इन सब के बीच एक सुखद खबर भी देखने को मिला उस विदेशी समाज के दर्द को महामहिम अनंत सिंह और सुनील पांडेय जैसे वीर पुरुष बया कर रहे हैं क्या बात है मांझी को तो जाना ही पड़ेगा।। ऐसे ऐसे महामहिम जो सामने है । लेकिन एक सवाल विदेशी लोगो से मेरा सीधा सीधा है मांझी के इस बयान से दर्द होना स्वभाविक है भारत के निर्माण में हम विदेशी लोगो ने भी बहुत कुर्वानी दी है अपने खून पीसने से सींच इस देश को यहां तक पहुंचाया है और ऐसे में कोई हमे विदेशी कहे गुस्सा आना तो स्वभाविक है। 

लेकिन मांझी जिस समाज से आते है जरा दिल पर हाथ रख कर बताये उस समाज के प्रति इस 21वी सदी में हमारा आपका क्या नजरिया है आज भी हम उन्हे दास(स्लेव) समझते और आज भी उनके साथ एक दास जैसा ही व्यवहार करते है कोई कहे ना तो इससे बड़ी झुठ और कुछ नही हो सकता है।ऐसे में वो हमे विदेशी कह दिया तो इतना गुस्सा कहा का इंसाफ है भाई।लोकतंत्र की तो यही खुबसूरती है ना एक भंगी का बेटा भी बिना किसी नरसंघार और युद्ध के राजा बन सकता है। मांझी हमारे आपके द्वारा चूने गये विधायको का प्रतिनिधुत्व कर रहे हैं सही है हमारे आपकी तरह सोफ्टीकेटेंड नही है।

ये व्यक्ति 1980 से सक्रिय राजनीति में हैं और विधायक और मंत्री बनते आ रहा है। इऩकी गलती यही है ना जब ये पहली बार विधायक बन कर पटना पहुंचे तो अपने परिवार बीबी बाल बच्चे को छोड़कर किसी शहरी गर्लफ्रेंड से शादी नही रचाया अपने गवईपन को नही छोड़ा। मालूम है जीतनराम मांझी से बिना किसी सुरछा जांच के मिलने वालो की सूची 158 लोगो की है आज तक बिहार के जितने मुख्यमंत्री हुए है उनके मिलने वालो की इतनी लम्बी सूची किसी मुख्यमंत्री का नही रही है। जो बिना किसी रोक के सीधे मुख्यमंत्री आवास एक अन्ने मार्ग में प्रवेश कर सकता है। इस सूची में राम जी मांझी है, सविया मांझी है, ननकी मांझी है, दुखिया मांझी है कितने मांझी का मैं नाम गिनाओ कभी मौंका मिले तो अन्ने मार्ग के सामने खड़े होकर मुख्यमंत्री के विशिष्ट अतिथि से आप भी मिल सकते हैं किसी के तन पर ठीक से कपड़े नही मिलेगे कभी कभी तो बिना चप्पल के एक मोटरी लेकर ही गांव से दुखिया मांझी पहुंच जाती है और पूरी ठसक के साथ सर पे आंचल लिये मुख्यमंत्री आवास में घुसती है,  कोई चाची है कोई भाभी है कोई समधन है तो कोई साली है। 

सुऱछाकर्मी भी हैरान रहते है मैं मानता हूं कि यही हमारी लोकतंत्र की सबसे बड़ी खुबसूरती है किसकी बजह से हम विदेशी लोग सुख और शांति से जीवन बसर कर रहे हैं।लेकिन हमलोग इनके बयान से दुखी है दुख इतना है कि बस चले तो मांझी तो एक मिनट भी गद्दी पर नही रहने दे। आरोप लग रहा है बेटी,, दमाम, बेटा सब दुकान खोले हुए हैं ट्रान्सर्फर पोस्टिंग का करोडो़ का खेल चल रहा है एक एक दलित ओफिसर को खोज खोज कर महत्वपूर्ण जगहो पर बिठाया जा रहा है। नीतीश मुख्यमंत्री थे तो कुर्मी की चलती थी अभी दलित अफसर की चलती है पटना के तमाम बड़े पद पर दलित अफसरो की तैनाती मांझी ने किया है। पूर्व का इतिहास देख लिजिए जो मुख्यमंत्री रहा है अपनी जाति के लोगो को प्रमोट किया है। मैं इसको सही नही मानता है लेकिन यही राजनैतिक कल्चर बिहार का रहा है।

चूहा खाते है,,, दारु पीते है,,, 23 प्रतिशत हमारी आवादी है दारु पीना कम कर दे पढना शुरु कर दे तो बिहार में सत्ता मेरी रहेगी मैं मुख्यमंत्री रहुंगा इसमें गलत क्या है ।।।कम से कम ये अपने समाज के साथ उसी गवई अंदाज में सुधार की बात तो कर रहा है । भले हम विदेशियो को ये बात नागवार गुजरे लेकिन बात चाय बेचने की करे और गले मिलने का बारी आये तो अंबानी मिया बीबी से गले मिले । बात दलित कि करे और पहली बार दिल्ली पहुंचे तो गवई बीबी को खगड़िया के सोहरबन्नी में छोड़ कर पंजाबी बाला से शादी रचा ले बेटा हीरो और बेटी अरबो की मालकिन यही चाहते है ना। मांझी के बातो को दिल पे मत ले यार ये भी अपना ही है इनके दर्द को समझिए।


संतोष सिंह के फेसबुक  वाल से 

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