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आम आदमी की बुनियादी समस्याओं को घोषणा पत्र में शामिल करवाने को लेकर नागरिक संगठन सक्रिय

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गया। नागरिक संगठन आगामी आम चुनाव को देखकर सक्रिय हो उठा है। नागरिक संगठन के लोग अव्वल अपनी बैठककर जन घोषणा पत्र तैयार कर रहे हैं। इसके बाद जन घोषणा पत्र को लेकर संसदीय क्षेत्र में चले जाएंगे। खासकर वंचित समुदाय के क्षेत्र में जाएंगे। वहां पर बैठक करके जन घोषणा पत्र के बारे में जागरूक करेंगे। आने वाले राजनीतिक पार्टी के नेताओं और प्रत्याशियों को सीधे संवाद करके जन घोषणा पत्र को राजनीतिक पार्टी के घोषणा पत्र में शामिल करने की मांग करेंगे। अगर कोई राजनीतिक पार्टी जन घोषणा पत्र को अपने घोषणा पत्र में शामिल नहीं करेंगे। तब ऐसे लोगों को सबक भी सिखाने की योजना है। 

 यह सब गैर सरकारी संस्थाओं से ताल्लुकात रखने वाले आम लोगों के द्वारा दिल्ली विधान सभा के चुनाव में फतह करने के बाद तय किया गया। आम आदमी अब तो आम आदमी पार्टी बना ली है। इसके 28 प्रत्याशी विधायक बन गये। एक बार में ही आम आदमी से खास आदमी बन गये। हां,बहुमत नहीं मिलने के बावजूद भी आम आदमी पार्टी मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा कर लिया। भले ही कांग्रेस की वैशाखी के सहारे ही राज सत्ता भोग जाएगा। 

 आम आदमी से राजनीतिक में खास आदमी बन जाने की सफलता से उत्साहित होकर नागरिक संगठनों के सामाजिक कार्यकर्ता भी राजनीतिज्ञों को घेरने के मूड में आ गये हैं। हालांकि नागरिक संगठन सदैव ही जन सरोकारों से दो-दो हाथ होते रहते हैं। अब जन सरोकारों को पूर्ण करने करवाने की जिम्मेवारी राजनीतिक पार्टियों के भी कंधे पर डालना चाह रहे हैं। आगामी आम चुनाव को देखते हुए जन घोषणा पत्र बनाने की कवायद तेज कर दी गयी हैं। कभी वंचित समुदाय की समस्या को लेकर पदयात्रा सत्याग्रह यथा जनादेश 2007 और जन सत्याग्रह 2012 की मांग को अब जन घोषणा पत्र 2014 में शामिल करवाना चाहते हैं। ताकि चुनाव के बाद जन सरोकारों की मांग को राजनीतिक पार्टी पूर्ण करें। ऐसा नहीं करने जन सराकारों को लेकर राजनीतिक दलों को भविष्य में घेरने का अवसर मिल जाएगा। 

इस बार पुअरेस्ट एरिया सिविल सोसायटी पैक्स के द्वारा पहल की गयी है। वादा न तोड़ो अभियान के तहत बिहार से लेकर मध्य प्रदेश तक जन घोषणा पत्र तैयार करने की कवायद तेज कर दी गयी है। वंचित समुदाय की बुनियादी समस्याओं में आवास,पेयजल,बिजली,सड़क आदि को प्रमुखता दी जाएगी। सबसे अधिक आवासीय भूमिहीनों को दस डिसमिल जमीन और भूमिहीनों को दो एकड़ जमीन खेती करने की मांग को भी शामिल की जाएगी। पैक्स ने राज्य के 16 निर्वाचन क्षेत्रों से विचार विमर्श और साझा करने का नेतृत्व किया है। प्रतिभागियों को निर्वाचन क्षेत्र में जाकर गांव स्तरीय बैठकों के आयोजन में मदद मिलेगी। सामाजिक रूप से बहिष्कृत समूहों के आधार पर प्रत्येक निर्वाचन क्षेत्र का मैप तैयार किया गया है। करीब 200 सिविल सोसायटी को शामिल करने का निश्चय किया गया है। 

जन घोषणा पत्र को संसदीय क्षेत्र के लोगों के समक्ष लिया जाएगा। जो निर्मित घोषणा पत्र को समर्थन करेंगे। आने वाले राजनीतिक दल के नेताओं के समक्ष घोषणा पत्र को रखेंगे। जो राजनीतिक पार्टी अपने घोषणा पत्र में वंचित समुदाय की बुनियादी समस्याओं को समावेश करेंगे। उनको समर्थन करने का निर्णय लिया जा सकता है। परन्तु धोखेबाजों को सबक भी सीखाया जाएगा। 

आलोक कुमार
बिहार 


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