विवेकपूर्ण नवाचार की ओर एक कदम
एस.पी. जैन इंस्टीट्यूट ऑफ मैनेजमेंट एंड रिसर्च के डीन प्रो. वरुण नागराज ने कहा, "शिक्षा संस्थानों की ज़िम्मेदारी सिर्फ़ पढ़ाना नहीं, बल्कि यह भी है कि वे टेक्नोलॉजी के समाज पर पड़ने वाले प्रभावों पर संवाद को बढ़ावा दें। हमें उम्मीद है कि नवाचार और समाज के प्रभाव के मेल से बेहतरीन शोध सामने आएंगे। हम चाहते हैं कि हमारे छात्र सिर्फ़ डिग्री लेकर न जाएं, बल्कि उनके भीतर एक ऐसी सोच विकसित हो जो बौद्धिक और नैतिक रूप से सशक्त हो। सामाजिक ज़िम्मेदारी को बढ़ावा देने के लिए TaSIC जैसे सम्मेलन बेहद ज़रूरी हैं।"इस सम्मेलन में कई विशेषज्ञों ने अपने विचार रखे। प्रो. रामय्या कृष्णन (डीन, हेंज कॉलेज ऑफ इंफॉर्मेशन सिस्टम्स एंड पब्लिक पॉलिसी, कार्नेगी मेलन यूनिवर्सिटी) ने एआई और उभरती टेक्नोलॉजी के नीतिगत प्रभावों पर चर्चा की। प्रो. माइकल लूच्स (विलियम एंड मैरी, रेमंड ए. मेसन स्कूल ऑफ बिजनेस) ने उपभोक्ताओं के विवेकपूर्ण उपभोग और ज़िम्मेदार उपभोक्ता व्यवहार की भूमिका पर बात की। प्रो. यंगजिन यू (एसोसिएट डीन, वेदरहेड स्कूल ऑफ मैनेजमेंट, केस वेस्टर्न रिज़र्व यूनिवर्सिटी) ने डिजिटल दुनिया के बदलते स्वरूप और नवाचार पर इसके प्रभाव को समझाया। प्रो. जोआओ पिंटो (डीन, कैटोलिका पोर्टो बिजनेस स्कूल, पुर्तगाल) ने टिकाऊ वित्त की अहमियत और यह कैसे कंपनियों और निवेशकों के लिए दीर्घकालिक आर्थिक मूल्य पैदा कर सकता है, इस पर प्रकाश डाला। प्रो. यंगजिन यू ने सम्मेलन की ज़रूरत पर ज़ोर देते हुए कहा, "आज के दौर में टेक्नोलॉजी इतनी तेज़ी से बदल रही है कि उसके प्रभावों को गहराई से समझने के लिए उद्योग, शिक्षा जगत और नीति-निर्माताओं को एक साथ आना होगा। टीएएसआइसी इसी उद्देश्य से एक महत्वपूर्ण मंच प्रदान करता है, जहाँ इन विषयों पर सार्थक चर्चा हो सके।"