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प्राचीनकाल में किसानों के कारण शुरू हुई ग्लोबल वार्मिग

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global warming
अमूमन वैश्विक तापमान में वृद्धि के लिए औद्योगिकरण, अत्यधिक वाहनों के इस्तेमाल, तथा आधुनिक जीवनशैली को जिम्मेदार बताया जाता रहा है, लेकिन एक ताजा अध्ययन के अनुसार प्राचीनकाल में किसानों के कारण पृथ्वी के वैश्विक तापमान में शुरुआती वृद्धि हुई। अध्ययन के मुताबिक प्राचीनकाल में किसानों के कारण 8,000 वर्षो में पृथ्वी के तापमान में 0.9 डिग्री सेल्सियस तापमान की वृद्धि हुई, जो कि पिछले 150 वर्षो में हुई वैश्विक तापीय वृद्धि के समान है।

मैडिसन के विस्कांसिन विश्वविद्यालय के जलवायु वैज्ञानिक फेंग हे के मुताबिक, प्राचीनकाल में कृषि वर्तमान युग में हुई औद्योगिक क्रांति के ही समान सशक्त थी। अध्ययन में हालांकि कहा गया है कि, प्राचीनकाल के मनुष्यों के कारण वैश्विक तापमान में 0.73 डिग्री सेल्सियस की ही वृद्धि हुई, क्योंकि खुली भूमि के कारण सूर्य की किरणें अधिक से अधिक मात्रा में परावर्तित हो जाती थीं।

अध्ययन में आगे कहा गया है कि, प्राचीन मानव सभ्यता के कारण बेहद धीमी गति से वैश्विक तापमान में वृद्धि हुई, तथा यह वृद्धि हजारों वर्षो में हुई, जबकि औद्योगिकरण के बाद वैश्विक तापमान में बहुत तेज गति से वृद्धि हुई। जलवायु परिवर्तन पर अंतर्राष्ट्रीय पैनल (आईपीसीसी) के अनुसार, औद्योगिक क्रांति करने वाली मानव सभ्यता के कारण 1880 से 2012 के बीच ही पृथ्वी के वातावरणीय तापमान में 0.85 डिग्री सेल्सियस की वृद्धि हो गई।

जलवायु परिवर्तन और ग्लोबल वार्मिग से संबंधित यह अध्ययन पत्रिका 'जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स'में प्रकाशित किए गए हैं।

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