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गैंडा प्रजनन ने पटना चिड़ियाघर को बनाया नंबर-1

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ऐसे तो पटना के संजय गांधी जैविक उद्यान को पटना का 'हृदय'माना जाता है परंतु गैंडा के मामले में यह न केवल देश का बल्कि विश्व का नंबर -1 चिड़ियाघर बन गया है। पिछले रविवार को मादा गैंडा लाली द्वारा एक शिशु के जन्म देने के बाद यहां गैंडों की कुल संख्या 16 हो गई है। 

संजय गांधी जैविक उद्यान के निदेशक एस़ चन्द्रशेखर ने मंगलवार को बताया कि वर्तमान समय में यहां 16 गैंडे हैं जो विश्व के किसी भी चिड़ियाघर से अधिक है। उन्होंने बताया कि अब तक अमेरिका का सेंट डियागो चिड़ियाघर 14 गैंडों के साथ पहले स्थान पर था। आंकड़ों के अनुसार पूरे देश के चिड़ियाघरों में गैंडों की कुल संख्या 33 है। 

संजय गांधी जैविक उद्यान में पिछले नौ महीने के दौरान चार गैंडों का जन्म हुआ है। सर्वाधिक शक्तिशाली जीवों में शुमार गैंडों के प्रजनन के मामले में यह उद्यान एशिया में अव्वल है। उद्यान के एक अन्य अधिकारी ने बताया कि इस उद्यान में वर्ष 1979 में असम से दो वर्ष के एक नर और एक मादा गैंडा लाया गया था और 1988 में इन दोनों से एक मादा गैंडे का जन्म हुआ और उसके बाद यहां गैंडों की संख्या में वृद्धि होती गई। 

गैंडों के प्रजनन को लेकर चिड़ियाघर प्रशासन पहले से ही प्रयास कर रहा था परंतु प्रजनन में आशातीत सफलता मिलने के बाद प्रशासन ने अब प्रयास को और तेज कर दिया है। चन्द्रशेखर कहते हैं कि पटना चिड़ियाघर में अब गैंडों की चार ब्लड लाइन मौजूद है। उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर के 10 एकड़ के एक हिस्से में गैंडा संरक्षण क्षेत्र विकसित करने का प्रस्ताव है। यहां प्राकृतिक वातावरण में उन्हें न केवल विकसित होने का मौका मिलेगा बल्कि इन क्षेत्रों में दर्शकों को भी जाने पर पाबंदी होगी जिससे उन्हें प्रजनन के दौरान भी किसी भी प्रकार का व्यवधान उत्पन्न नहीं होगा। 

चंद्रशेखर के मुताबिक 'केन्द्रीय चिड़ियाघर प्राधिकरण ने इस उद्यान को भारतीय गैंडा संरक्षण केन्द्र के रूप में विकसित करने के लिए चयनित किया है।'उन्होंने कहा कि गैंडों की संख्या अधिक हो जाने के बाद गैंडों को बिहार के वाल्मीकीनगर वन क्षेत्र में छोड़ दिया जाएगा। उल्लेखनीय है कि गैंडों की संख्या अधिक हो जाने के बाद इस चिड़ियाघर को बदला-बदली पर मुंहमांगे वन्य जीवन उपलब्ध हो रहे हैं। देश के कई चिड़ियाघरों की तरफ से गैंडों को उपलब्ध कराने के लिए आवेदन चिड़ियाघर प्रशासन के पास आए हैं। 

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