भारी हंगामे और हाथापाई के बीच आखिरकार तेलंगना विधेयक संसद से पास हो गया। इसके साथ ही तेलंगाना की शक्ल में देश के 29वें राज्य का गठन तय हो गया है। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने सीमांध्र इलाके की भरपाई के लिए उसे पांच साल तक विशेष दर्जा दिए जाने के साथ कई आश्वासन दिए हैं। प्रधानमंत्री के भाषण के दौरान भी सीमांध्र के सांसदों ने जमकर हंगामा किया। इस दौरान कागज फाड़कर पीएम के ऊपर फेंके गए। बीजेपी ने विधेयक पास करवाने में सरकार का साथ तो दिया लेकिन कड़ी आलोचना के साथ।
बिल का टीडीपी सांसदों ने जबरदस्त विरोध किया। सीमांध्र इलाके के केंद्रीय मंत्रियों ने भी विरोध किया। विरोध में पार्टी लाइन के खिलाफ गए चिरंजीवी। डीएमके ने विधेयक के विरोध में वॉकआउट किया। समाजवादी पार्टी और वामदलों ने भी विरोध किया। तृणमूल कांग्रेस विधेयक के पक्ष में नहीं थी जबकि मायावती ने विधेयक का समर्थन किया।
सरकार, लोकसभा से पास हो चुके अलग तेलंगाना विधेयक को हर हाल में राज्यसभा की हरी झंडी दिलाना चाहती थी, लेकिन विरोधियों के तेवर भी तल्ख थे। बार-बार स्थगित हो रहे सदन में गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे ने चर्चा के लिए तेलंगाना विधेयक रखा तो टीडीपी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल और कई दूसरी पार्टियों का हंगामा मर्यादा की सारी हदें पार कर गया। नौबत हाथापाई तक आ गई और कई सांसदों ने शिंदे के हाथ से बिल की कॉपी छीनने की कोशिश की। हालात पर काबू पाने के लिए मार्शल सदन में बुलाने पड़े। आखिरकार किसी तरह विरोधियों को यकीन में लेकर सरकार ने चर्चा शुरू करवाई और बिल पास करवाने में कामयाब हो गई।
इससे पहले विधेयक पर चर्चा के दौरान प्रधानमंत्री ने सीमांध्र के लिए छह सूत्रीय विकास एजेंडे की घोषणा की तो मंजर अभूतपूर्व था। फाड़ दो-फेंक दो की जबर्दस्त नारेबाजी के साथ विरोधी पार्टियों के सांसद तेलंगाना विधेयक के पुर्जे हवा में उड़ा रहे थे और किसी अनहोनी की आशंका के मद्देनजर कांग्रेस सांसद प्रधानमंत्री को चारों तरफ से घेरकर खड़े थे।
प्रधानमंत्री की घोषणा में केंद्रीय सहायता के लिए सीमांध्र को 5 साल के लिए विशेष दर्जा देने, तेलंगाना के साथ सीमांध्र के आर्थिक सुधार के लिए टैक्स में फायदे जैसे कदम उठाने, सीमांध्र के पिछड़े इलाकों के लिए विधेयक में पहले से विशेष पैकेज का प्रावधान, पोलवरम प्रोजेक्ट के लिए जरूरत मुताबिक संशोधन या सुधार का आश्वासन शामिल है। गौरतलब है कि बुधवार को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने प्रधानमंत्री को फोन कर सीमांध्र को विशेष दर्जा दिए जाने की मांग की थी। सदन में बीजेपी का रुख तो तेलंगाना के समर्थन का था लेकिन विधेयक पास करवाने के दौरान उसने सरकार को जमकर कोसा। नेता विपक्ष अरुण जेटली ने कहा कि बीजेपी ने तीन राज्य बनाए लेकिन कोई विरोध नहीं हुआ। कोई धरना नहीं हुआ। कांग्रेस ने इसे गलत तरीके से डील किया है।
संसद के दोनों सदनों से पास हो चुके तेलंगाना विधेयक को अब सिर्फ राष्ट्रपति की मुहर का इंतजार है। इसके बाद तेलंगाना की शक्ल में देश के 29वें राज्य के गठन की तमाम अड़चनें दूर हो जाएंगी।