कोयला क्षेत्र में भी अब नियामक बनने का रास्ता साफ हो गया है। कार्यपालिका के एक आदेश के जरिए यह नियामक अस्तित्व में आएगा। यह जानकारी सरकार ने गुरुवार को दी।
एक वरिष्ठ मंत्री ने यहां बैठक के बाद बताया कि आर्थिक मामलों पर कैबिनेट समिति (सीसीईए) ने कार्यपालिका के ऑर्डर के जरिए कोयला सेक्टर में नियामक की स्थापना करने के प्रस्ताव को अपनी मंजूरी दे दी है।
कच्चे कोयले, वॉश्ड कोल और धुलाई के दौरान प्राप्त होने वाले किसी भी अन्य उप उत्पाद की कीमतें तय करने के तौर-तरीके बताने का अधिकार इस नियामक को दिया जाएगा। कोल रेगुलेटर इसके अलावा कोयले की गुणवत्ता अथवा ग्रेड घोषित करने के लिए अपनाए जाने वाले परीक्षण तरीकों का भी नियमन करेगा।
ऑटोमैटिक कोल सैंपलिंग के लिए कौन सा तरीका अपनाया जाए, यह भी कोल रेगुलेटर ही बताएगा। विभिन्न कोयला खदानों को बंद किए जाने की प्रक्रिया की मॉनीटरिंग करने की भी जिम्मेदारी कोल रेगुलेटर को सौंपी गई है। माइनिंग प्लान को मंजूरी देने और संबंधित पार्टियों के बीच उभरने वाले विवादों को सुलझाने में भी कोयला नियामक की अहम भूमिका रहेगी।
कोयला सेक्टर में नियामक के गठन का रास्ता साफ करने वाला विधेयक फिलहाल संसद में लंबित है। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल ने कुछ दिन पहले संसद को बताया था कि कार्यपालिका के आदेश के जरिए एक गैर विधायी कोयला नियामक का गठन किया जाएगा।
टेपरिंग लिंकेज वाली कुछ ताप विद्युत परियोजनाओं को तीन साल की तय अवधि के बाद भी कोयला सप्लाई सुनिश्चित करने वाले प्रस्ताव पर कैबिनेट फैसला गुरुवार को टाल दिया गया।