पटना। स्वास्थ्यकर्मियों के वेतनमंद से आयकर की राशि काट ली गयी। कोषागार के लापरवाही या भष्टाचार के कारण काटी गयी राशि को आयकर विभाग में जमा नहीं की गयी। जब आयकर विभाग की नोटिस आती है। 1 लाख 60 हजार रू0 जमा करने का आदेश पाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, धनरूआ में हड़कंप मच गया। आननफानन में मामले को रफादफा करने और दबाने की कोशिश होने लगी। अधिक की राशि होने के कारण मामला कर्मचारियों के सामने रखा गया। सभी से हजार-हजार रू0 चंदा संग्रह कर केस लड़ने की तैयारी शुरू कर दी गयी है। भारत से पोलियो मुक्त करने की जंग फतह करने के बाद आंतरिक जंग में स्वास्थ्यकर्मी फंस गए हैं। अब देखना है कि इसका यह मामला क्या गूल खिलाएगा?
बापू की कर्मभूमि बिहार में और सुशासन सरकार के राज्य में राज्यकर्मियों के हौसल्ले सातवें आसमान पर चढ़ गया है। वजह साफ है कि बिहार में अधिकांश मंत्रियों का अधिकार मुख्यमंत्री की कुर्सी में सिमट कर रह गयी है। उनके पास वक्त नहीं है कि सभी विभागों को व्यक्तिगत तौर से अनुश्रवण कर सके। इसके कारण नौकरशाहों समेत अन्य कर्मचारी बेखौफ हो गए हैं। इसे आप क्या कहेंगे?आपके मासिक वेतन से आयकर की राशि काट ली जाती है और उक्त रकम को आयकर विभाग में जमा ही नहीं की जाती है। अब आयकर विभाग ने फाइन लगाकर कागजात स्वास्थ्य विभाग के पास अग्रसारित कर दिया है। आननफानन में तमाम कर्मचारियों से हजार रू0 की मांग कर ली गयी है। ताकि वकील साहब को रखकर डिग्री प्राप्त किया जा सके।
मामला पटना जिले के मसौढ़ी कोषागार से जुड़ा हुआ है। इसी कोषागार से प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,धनरूआ के कर्मचारियों का आय-व्यय होता है। वित्तीय वर्ष की समाप्ति के पूर्व ही आयकर विभाग को कर्मचारियों के आयकर की रकम काटकर मसौढ़ी कोषागार के द्वारा वेतनादि भुगतान करने की प्रक्रिया की जाती है। वर्ष 2012-13 का आयकर की रकम फरवरी,2013 के वेतन से काट ली गयी। आयकर की रकम तो काट ली गयी मगर उसे आयकर विभाग में जमा ही नहीं की गयी। नतीजा आयकर विभाग ने नोटिस जारी कर दी है।
इस तरह की आफत से निकलने के लिए प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र,धनरूआ के कर्मचारियों से हजार-हजार रू0 चंदा कर लिया गया है। इस चंदा से वकील रखा जाएगा। वकील के माध्यम से कोषागार पर हमला किया जाएगा। अब वकील साहब ही कर्मचारियों को न्याय दिलवाएंगे। यहां तो सीधे कोषागार के कर्मचारियों का कॉलर पकड़ना चाहिए ताकि दूध का दूध और पानी का पानी हो सके। यह तो भष्टाचार का मामला है। इसमें कर्मचारियों को ही नुकसान पहुंच रहा है। आयकर विभाग के लिए आयकर की रकम वेतनादि से कटवा चुके हैं। अब हजार-हजार रू0 चंदा भी दे चुके हैं। इसके बाद आवंटन नहीं रहने के अलाप लगाकर कई माह से तनख्वाह भी रोक दिया गया है। इस पर सरकार को हस्तक्षेप करने की जरूरत है। जो भष्टाचार करने वालों को लगाम लगा सके।
आलोक कुमार
बिहार