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धर्म छोड़कर आध्यातिमक बनें

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satsabha patna
काला दियारा।'सतसभा'। 22 फरवरी 2014।  पंचायत के मध्य विधालय परिसर में वैज्ञानिक कुमार राजीव ने कहा कि धर्म छोड़कर आध्यातिमक बनें। शनिवार को सुंदर जीवन कि ओर... प्रशिक्षण के शुभ अवसर पर उन्होंने हमें याद दिलाया कि धर्म और पुंजीवाद सगे भार्इ है और इन लोगों ने पूरे विश्व को नरक बना रखा है। हमें स्वंय को परिष्कृत कर ज्ञानर्जन करने कि आवश्यकता है। हमें शैक्षणिक, बौद्धिक, आर्थिक, आध्यातिमक और सांस्कृतिक प्रगति सरलता से करना हंै- तो 'देशप्रेम'दर्शन को आत्मसात करना होगा।

'देशप्रेम'करने के लिए दोस्ती करना होगा। दोस्ती करने के लिए झुकना पड़ेगा। ठहरकर सोंचे हम हर चीज के पीछे क्यों भागतें हैं, तो पता चलेगा कि हम अपने सपने को पुरा करने के लिए दोस्त ढुढ़ ते हंै। पर दोस्ती करने का सहुर नहीं है। हम अत्यंत सुंदर और प्रतिभाशाली हैं, दुनिया में महान उद्देश्य पुरा करने हेतु अवतरित हुए हैं। पर गुलामी की व्यवस्था बुरा, कुकर्म करने को मजबुर करती है। 'सतसभा'हमें महौल देता है, जहां निडर होकर दिल की बात कहने, अपने जीवन के य थार्थ और व्यवहारिक अनुभव सुनाने, अपने जीवन के अनसुलझे प्रश्न, जिज्ञासा, समस्या का निराकरन पुछने, अपने जीवन के सपने को अकार देने का प्रस्ताव देकर, सहयोग प्रप्त कर सांस्कृतिक प्रस्तुति करने, जागृत, केंदि्रत, आनंदित होने का विश्व में ए कल मंच है। घर-घर में 'सतसभा'हो य ही मेरी कमना है। आध्यात्म पूर्णरूपे व्यकितगत है, इसका थोपवाद कभी नहीं होना चाहिए। प्रयोग, प्रमाण, अनुभव पर कहे, सुने और करें। य ही वैज्ञानिक दृषिटकोण है। 

 देशप्रेम अभियान को गति देने के लिए अपना जीवन समर्पित करने वाले प्रशिक्षु लोककर्ता नीतेश कुमार, सोनु कुमार, प्रेम कुमार, नवल कुमार, धन्नजय, मनोज कुमार, हमसफर पुष्कर, संजय सरफरोस, संजीव, समर्थक सीताराम राय, शिवजी, परम लाल, पप्पुजी ए वं दिलिप ने कहा मेरा जीवन नरक था, इस प्रशिक्षण को लेने से हमारा जीवन बेहतर हुआ है।

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