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भारत का लोहा मानने लगी है दुनिया: नरेंद्र मोदी

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सिंगापुर 24 नवंबर, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश को विकास की नयी ऊंचाइयों पर पहुंचाने का संकल्प दोहराते हुए आज कहा कि पिछले कुछ समय में उठाये गये कदमों के कारण दुनिया अब भारत का लोहा मानने लगी है और उसके साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलना चाहती है। श्री मोदी ने यहां भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि सिर्फ अपने पांच हजार साल के पराक्रम का गुणगान करके हम आगे नहीं बढ़ सकते। हमें पिछली पीढ़ियों के पराक्रम से प्रेरणा लेकर अपने वर्तमान को उज्ज्वल बनाने और भविष्य की मजबूत नींव रखने के लिए पुरुषार्थ करना होगा। उन्होंने कहा कि दुनिया अब बदल रही है और भारत को भी दुनिया के साथ कदमताल करना होगा। आज दुनिया का समृद्ध से समृद्ध देश भी अकेले नहीं चल सकता। दुनिया के विभिन्न देशों के साथ रिश्ते बढ़ाने के लिए किए गये अपनी सरकार के प्रयासों का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सिर्फ चार देशों से दोस्ती बनाने से अब काम नहीं चल सकता। भारत को दुनिया में अपनी जगह बनानी है तो विभिन्न देशों के साथ अपने संबंधों को ताजगी देनी होगी। अब भारत का वक्त बदला है और दुनिया का हर देश भारत के साथ भागीदारी करना चाहता है। दुनिया आज भारत को एक बाजार के रूप में नहीं देखती है। उसकी सोच अब बदल चुकी है।

श्री मोदी ने कहा कि हमें अपने आपको कोसने की प्रवृत्ति छोड़नी होगी तभी दुनिया हमारा सम्मान करेगी। उन्होंने कहा कि हम लंदन के शेयर बाजार में पहली बार रेलवे रुपी बाॅड लेकर आ रहे हैं। यह दुनिया में भारत के प्रति विश्वास पैदा करने से संभव हुआ है। इसे भारत की आर्थिक क्षमता की मिसाल बताते हुए उन्होंने कहा कि हर भारतीय को इसे गौरव के रूप में देखना चाहिये। उन्होंने कहा कि पिछले 18 महीनों में कनाडा, ऑस्ट्रेलिया जैसे देशों ने हमारे साथ यूरेनियम आपूर्ति के लिए समझौते किये हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि यूरेनियम सिर्फ पैसों से नहीं खरीदा जा सकता है बल्कि इसके लिए दुनिया का आप पर भरोसा भी होना जरूरी है। देश को विकास की नयी ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए विदेशी निवेश की जरूरत बताते हुए उन्होंने कहा कि भारत दुनिया के लिए इस समय एक अवसर है। उनकी सरकार ने इसके लिए रेलवे में शत प्रतिशत, रक्षा क्षेत्र में 49 प्रतिशत और अहम प्रौद्योगिकी के साथ शत प्रतिशत प्रत्यक्ष विदेशी निवेश का रास्ता खोला है। रक्षा क्षेत्र में भारी आयात का उल्लेख करते हुए श्री मोदी ने कहा,“ आजादी के 70 साल बाद भी हर चीज हम आयात करें यह उचित नहीं है। देश के सवा सौ करोड़ लोग क्या इन्हें खुद नहीं बना सकते।” 

उन्होंने कहा,“ हम रोने के लिए आंसू गैस भी बाहर से लाते हैं। इस स्थिति को बदलने की जरूरत है और इसीलिये विदेशी निवेश को बढ़ावा दिया जा रहा है।” अपनी सरकार द्वारा पारदर्शिता बरते जाने का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पिछले कुछ माह में कई रक्षा सौदे किये गये हैं लेकिन एक पर भी उंगली नहीं उठी है। उन्होंने कहा कि अगर आप समर्पण के साथ अपने सपने पूरा करने के लिए काम करते हैं तो सिद्धि आपके चरण चूमने के लिए तैयार रहती है। सिद्धि के लिए तपस्या करनी पड़ती है। सिंगापुर की समृद्धि का उदाहरण देते हुए श्री मोदी ने कहा कि मछुआरों का एक गांव आज दुनिया का एक समृद्ध देश बन गया है और हमें उससे भी सीखने की जरूरत है। सिंगापुर में और दुनिया के अन्य देशों में बसे भारतीयों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि वे जहां भी गये वहां के लोगों को अपना बना लिया। 

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