मुंबई 01 दिसंबर, रिजर्व बैंक गवर्नर रघुराम राजन ने आज कहा कि केंद्र सरकार के कर्मचारियों और पेंशन भोगियों के लिये सातवें वेतन आयोग की सिफारिशें लागू करने से अर्थव्यवस्था की वित्तीय स्थिति पर असर नहीं पड़ेगा। श्री राजन ने चालू वित्त वर्ष की पांचवीं ऋण एवं मौद्रिक नीति समीक्षा की घोषणा के बाद संवाददाताओं से कहा कि वेतन आयोग की सिफारिशों से जो अतिरिक्त बोझ पड़ना है उसका इंतजाम अधिशेष राजस्व अथवा खर्चों में कटौती करके किया जायेगा। वेतन आयोग ने अपनी सिफारिशों में 23.6 प्रतिशत बढ़ोतरी की बात कही है। सातवां वेतन आयोग एक जनवरी 2016 से लागू होगा। इसके लागू होने पर 2016-17 के दौरान 102100 करोड़ रूपये का अतिरिक्त बोझ पड़ेगा जो वित्त वर्ष के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का 0.65 प्रतिशत होगा।
छठे वेतन आयोग के लागू करने पर (जीडीपी) का 0.77 प्रतिशत भार पड़ा था। श्री राजन ने कहा कि मोटे तौर पर वेतन आयोग लागू करने से अतिरिक्त वित्त भार बढ़ेगा किन्तु इसको अतिरिक्त राजस्व अथवा खर्चों में कटौती कर वहन कर लिया जायेगा ताकि वित्त व्यवस्था मजबूती के रास्ते पर बनी रहे। उन्होंने कहा कि सरकार को वेतन आयोग की सिफारिशों की पहले से ही उम्मीद थी इसलिये वित्तीय मजबूती के रास्ते पर बने रहने के दिशा में कदम उठाये गये हैं। सरकार ने चालू वित्त वर्ष के बजट में वित्तीय घाटा जीडीपी के 3.9 प्रतिशत पर रखने का लक्ष्य रखा है। इसे अगले वित्त वर्ष में घटाकर साढ़े तीन प्रतिशत और वित्त वर्ष 2017-18 में घटाकर तीन प्रतिशत पर लाया जायेगा। समाप्त वित्त वर्ष में यह जीडीपी का चार प्रतिशत रहा था।