नयी दिल्ली,06 दिसंबर, विज्ञान के क्षेत्र में शोध एवं अनुसंधान के लिए सकल घरेलु उत्पाद का एक प्रतिशत से भी कम खर्च होने के बावजूद भारत शोध कार्यों में दुनिया के 13 वें नम्बर पर है और रसायनशास्त्र के मामले में विश्व के श्रेष्ठ संस्थानों को टक्कर दे रहा है। रसायन शास्त्र के क्षेत्र में शोध की दृष्टि से भारत दुनिया में 9 वें स्थान पर है। भारतीय उद्योग परिसंघ (सीआईआई) द्वारा पांचवे भारतीय उद्योग शिक्षा कांग्रेस में गत दिनों जारी रिपोर्ट से यह तथ्य सामने आया है ।इंडिया साइंस असेंडिंग नेचर इंडेक्स रिपोर्ट के अनुसार 2012 से भारत में वैज्ञानिक शोधपत्रों के प्रकाशन में तेजी आयी है जिसके कारण वह अब दुनिया में 13वें स्थान पर आ गया है जबकि अमेरिका पहले स्थान पर, चीन दूसरे तथा जर्मनी तीसरे स्थान पर है। तीस देशों की सूची में भारत ,रूस, हॉलैंड, सिंगापुर, और स्वीडन जैसे देशों से आगे है ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत विकसित देशों की तुलना में शोध एवं अनुसंधान पर बहुत कम खर्च कर रहा है फिर भी 13वें स्थान पर है जबकि रूस और ब्राज़ील जैसे देश भारत से अधिक खर्च करके भी उस से पीछे हैं । रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में शोध एवं अनुसंधान कार्यों के लिए धन की कमी है और मोदी सरकार ने भी इसमें कुछ ठोस नहीं किया। पिछले दो बजट निराशाजनक रहे हैं । 2014 के बजट में आठ मंत्रालयों में शोध एवं अनुसंधान कार्य के लिए 362,69 अरब की राशि थी वहीं 2015 के बजट में इसके लिए 419 अरब की राशि आवंटित की गई थी । रिपोर्ट के अनुसार सरकार ने शोध एवं अनुसंधान कार्यों को बढ़ाव देने के लिए करों में छूट दी है लेकिन नौकरशाही की उदासीनता, नियुक्तियों में अनियमितताओं और उचित माहौल न होने के कारण हम आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं।