पटना, 07 दिसम्बर, भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की बिहार राज्य परिषद ने 5 एवं 6 दिसम्बर, 2015 को सम्पन्न अपनी दो दिवसीय बैठक में बड़े धूमधाम से पार्टी की स्थापना की 90वीं वर्षगांठ पूरे राज्य में मनाने का निर्णय किया है। बैठक की अध्यक्षता चक्रधर प्रसाद सिंह, राम चन्द्र सिंह एवं मिथिलेष झा की अध्यक्षमंडली ने की। आज राज्य कार्यालय से जारी एक बयान में पार्टी के राज्य सचिव सत्य नारायण सिंह ने कहा कि भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी की स्थापना 26 दिसम्बर, 1925 को कानपुर में हुई थी। 26 दिसम्बर, 2015 को पार्टी अपनी स्थापना का 90 वर्ष पूरी कर रही है। इसी दिन पूरे राज्य में पार्टी सदस्य अपने-अपने घर पर लाल झंडा फहराएंगे और पार्टी के कार्यालयों को अच्छी तरह सजाकर पार्टी की स्थापना के बारे में अपने नये सदस्यों को भलीभांति परिचय करावेंगे। 26 दिसम्बर को ही राज्य के सभी जिला मुख्यालयों में समारोह आयोजित किए जायेंगे। इसका मुख्य कार्यक्रम 29 दिसम्बर को पटना में होगा।
राज्य परिषद ने बिहार विधान सभा चुनाव की समीक्षा करते हुए चुनाव में सांप्रदायिक शक्तियों की करारी हार पर संतोष व्यक्त किया और इसके लिए बिहार के मतदाताओं को बधायी दी। चुनाव में वामपंथ को अपेक्षित सफलता नहीं मिली क्योंकि बड़े पैमाने पर महागठबंधन और एन॰डी॰ए॰ के बीच वोटों का धु्रुवीकरण हो गया। महागठबंधन (जदयू-राजद-कांग्रेस) की इस चुनाव में बड़ी सफलता महागंठबंधन के नेताओं की लोकप्रियता की वजह से नहीं मिली है बल्कि, भारतीय जनता पार्टी की आक्रामक सांप्रदायिकता, असहिष्णुता एवं महंगायी बढ़ाने वाली नीतियों के चलते मिली है। राज्य परिषद ने छः वामदलों के साथ एकता बनाकर चुनाव लड़ने को सही बताया तथा वामदलों के इस एकता को और अधिक मजबूत कर आगे बढ़ाने का फैसला किया। भाजपा की इस आक्रामक, सांप्रदायिक और महंगायी बढ़ाने वाली नीतियों का मुकाबला वामपंथी दल ही कर सकता है।
राज्य परिषद ने अपनी तमाम पार्टी इकाइयों से त्रिस्तरीय, पंचायत एवं नगर निकायों के चुनाव की तैयारियां अविलम्ब शुरू करने का आह्वान किया। केन्द्र सरकार की कारपोरेट पक्षी आर्थिक नीतियों से उपजे अनेक सवालों उपभोक्ता वस्तुओं की बढ़ती कीमतें, रेलयात्रियों पर पड़ते आर्थिक बोझ, बेरोजगारी आदि ने आम जनता की परेषानियों को बढ़ा दिया हैं। इसके साथ ही देष और बिहार के सामने प्रतिक्रियावादी दक्षिणपंथ की ओर मुड़ती केन्द्र सरकार की आक्रमक हिन्दुत्व की विचारधारा एक बड़ी चिन्ता का विषय बन गया है। राज्य परिषद ने इसके खिलाफ स्वतंत्र रूप से और अन्य वामदलों के साथ आन्दोलन तेज करने का फैसला किया है। राज्य परिषद ने यह भी फैसला किया है कि इस चुनाव के दौरान महागठबंधन के नेताओं द्वारा किए गए वादों को पूरा करने और वर्षों से लंबित भूमि सुधार, षिक्षा एवं स्वास्थ्य से संबंधित सवाल, वेघरों को घर, पेयजल, बिजली आदि सवालों को हल करने लिए पार्टी स्वतंत्र रूप से और अन्य वामदलों को साथ लेकर राज्य सरकार के साथ संघर्ष करेगी।