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उत्तराखंड की विस्तृत खबर (13 दिसंबर)

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सूखते नौले.धारे के मुद्दे पर कार्यशाला 

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देहरादून। उत्तराखण्ड में पीने का पानी और सिंचाई का बड़ा स्रोत नौले.धारे और जलस्रोत रहे हैं पर जंगलों के अंधाधुंध कटान, कंक्रीट के जंगल में तब्दील होते गाँव व शहर, अनियोजित व अंधाधुंध भूजल दोहन और मौसम परिवर्तन के चलते नौलों.धारों के अस्तित्त्व पर संकट मँडराने लगा है। साल.दर.साल पहाड़ों के भूजल स्तर की गिरावट से सैकड़ों नौले.धारे, चुपटौले समाप्त हो चुके हैं। और हजारों नौले.धारे संरक्षण की सुध न लिये जाने की वजह से बदहाल अवस्था में पहुँच गए हैं। नौलों.धारों के स्वरूप और बहाव में निरन्तर कमी की वजह से उत्तराखण्ड के गाँव पेयजल के अभूतपूर्व संकट में जूझ रहे हैं। इसी को ध्यान में रखते हुए नौलों.धारों के पुनर्जीवन के लिये दो दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया जा रहा है। देहरादून में होने वाला यह आयोजन हिमोत्थानए टाटा ट्रस्ट,अर्घ्यम और श्स्प्रिंग इनिशीएटिवश् की ओर से हो रहा है। 15 व 16 दिसम्बर को होने वाले इस कार्यशाला में स्वयंसेवी संगठनों के जनप्रतिनिधियों वैज्ञानिकों और सरकारी प्रतिनिधियों की भागीदारी हो रही है। नौले.धारे के मुद्दे पर काम करने वाले संगठन श्स्प्रिंग इनिशीएटिवश् की ओर से जारी एक बयान में बताया गया है कि उत्तराखण्ड की पानी सम्बन्धी अधिकांश जरूरतें नौले.धारे और प्राकृतिक जलस्रोत से ही पूरी होती हैं। अधिकांश गाँवों के वंचित तबकों के लिये पीने का पानी का इकलौता ज़रिया यही नौले.धारे, चुपटौले, बावड़ी और जलस्रोत ही हैं। भूजल में लगातार हो रहे गिरावट के कारण नौले.धारे से मिलने वाले पानी में भयानक रूप से कमी आ रही है। ज्यादातर नौले.धारे केवल मौसमी बनकर रह गए हैं। नौलों.धारों से सिंचाई करने वाले लोग बहुत बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं। हालांकि नौलों.धारों के संरक्षण की उत्तराखण्ड में ऐतिहासिक परम्परा रही है, लेकिन जल संरक्षण के परम्परागत तरीकों में संशोधन और संवर्धन की जरूरत हो गई है क्योंकि जलवायु परिवर्तन व दोहन के बोरवेल जैसी तकनीकों ने भूजल पर संकट पैदा किया है। जल संरक्षण के पहाड़ी परम्परागत तरीकों में नई जान डालने की जरूरत है। जल संरक्षण के पहाड़ी परम्परागत तरीकों में जलविज्ञान के नए ज्ञान को जोड़कर पहाड़ों के पानी पर आये जल.संकट से निजात पाया जा सकता है। और नौलों.धारों से घटते जल प्रवाह को रोका जा सकता है और भविष्य के लिये भी सुरक्षित किया जा सकता है। बयान के अनुसार नौलों.धारों के मुद्दों पर काम करने वाले संगठनों का सामुहिक मंच है ष्स्प्रिंग इनिशीएटिवष्। यह एक ऐसा मंच है जहाँ सामाजिक संगठन और सरकार मिलकर नौलों.धारों के सुधार पर काम करते हैं। नौलों.धारों के गाँव स्तर पर प्रबन्धन और बेहतरी के लिये लोगों से जुड़ने की कोशिश की जा रही है। उत्तराखण्ड में हुए एक अध्ययन के आधार पर यह पाया गया है कि प्रदेश स्तर पर नौलों.धारों के संरक्षण के लिये एक प्राधिकरण ष्स्प्रिंगशेड प्रबन्धन अथॉरिटी की आवश्यकता है ताकि नौलों.धारों के मामले में निरन्तर हो रहे लापरवाही को रोका जा सके। और फुटकर प्रयासों की बजाय एक प्रदेशव्यापी नौलों .धारों के संरक्षण का अभियान चलाया जा सके। इसके लिये सम्बन्धित विभागों, पानी.पर्यावरण के काम में लगे कार्यकर्ताओं, समुदायों तथा वैज्ञानिक संस्थानों के बीच तालमेल की अत्यधिक आवश्यकता होगी जिसके लिये श्स्प्रिंग इनिशीएटिवश् कोशिश कर रहा है। उत्तराखण्ड में नौलों.धारों के संरक्षण के लिये कार्यशाला में ठोस रणनीति बनाने की कोशिश की जाएगी। नौलों.धारों पर आधारित पम्पिंग पेयजल योजनाओं की सफलता के लिये जरूरी है कि नौले.धारे, चुपटौले, बावड़ी और जलस्रोतों को सदानीरा बनाया जाये। नौलों.धारों के पुनर्जीवन में जनसहभागिता सुरक्षित किया जाये। उत्तराखण्ड की ज्यादातर नदियाँ किसी नौले.धारे या प्राकृतिक जलस्रोत से ही निकलती हैं। इनके सदानीरा बनाए रखने के लिये सबसे पहले नौलों.धारों के ही संरक्षण पर काम करना होगा। प्राकृतिक जलस्रोतोंए नौलों.धारों के संरक्षण के ऐतिहासिक साक्ष्य आज भी ताम्रपत्रों पर मिलते हैं। हमें जल.संरक्षण की ऐतिहासिक परम्पराओं को बचाना होगा और नौलों.धारों को संरक्षित करना होगा। ताकि खेती बेहतर हो सके और पेयजल सुनिश्चित हो सके। और नौलों.धारों के संरक्षण के सरकार के हर प्रयास में हर सम्भव सहयोग की कोशिश श्स्प्रिंग इनिशीएटिवश् करेगी। उत्तराखण्ड बहुत सारी नदियों का मायका है। ये नदियाँ मैदानों में उतरकर उत्तर भारत के करोड़ों की आबादी को पानी पिलाती हैं। इसीलिये विकास के बहुत सारे काम उत्तराखण्ड में नहीं किये जाते क्योंकि इससे नदियों के प्रवाह पर असर पड़ेगा। और मैदानी इलाकों में दिक्कत होगी। परम्परा से ही उत्तराखण्डी समाज नदियों और पानी के संरक्षण को सेवा मानकर करता रहा है। उत्तराखण्डी समाज के नदियों और पानी के संरक्षण की सेवा को ष्ईको सर्विसष् का दर्जा मिलना चाहिए। श्स्प्रिंग इनिशीएटिवश् के सहयोगी माँग करते हैं कि राज्य को पानी संरक्षण के काम के लिये ष्वाटर बोनसष् के रूप में केन्द्रीय प्रोत्साहन.राशि मिलनी चाहिए।

नारी निकेतन प्रकरण में पूर्व अधीक्षिका और एक टीचर गिरफ्तार

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देहरादून, 13 दिसम्बर। नारी निकेतन में मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म के मामले में एसआइटी ने बड़ी कार्रवाई करते हुए नारी निकेतन की पूर्व अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और एक टीचर अनीता मंदोला को उनके घर से गिरफ्तार किया गया। एसआइटी उनसे पूछताछ कर रही है। उल्लेखनीय है कि नारी निकेतन में संवासिनियों के यौन शोषण संबंधी शिकायत पर अपर जिलाधिकारी झरना कामठान ने जांच की तो इस तरह की गड़बडि़यां सामने आई। इसके बाद 24 नवंबर को राज्य सरकार ने मामले की जांच के लिए एसआईटी गठित कर दी थी। देहरादून के एसपी सिंटी अजय सिंह टीम का नेतृत्व कर रहे हैं। एसआईटी की जांच में खुलासा हुआ कि 16 नवंबर को नारी निकेतन में रह रही एक मूक बधिर संवासिनी से दुष्कर्म और पता चलने पर उसका गर्भपात कराया गया। जांच टीम ने दूधली के जंगल से भू्रण भी बरामद कर लिया था। न्यायालय की अनुपति के बाद पुलिस ने भू्रण व पीडि़ता के डीएनए सैंपल विधि विज्ञान प्रयोगशाला भेजे थे। प्रयोगशाला से मिलान रिपोर्ट आ चुकी है। इसमें यह पुष्टि हुई है कि दूधली के जंगल से मिला भू्रण पीडि़ता संवासिनी का ही है, जिसे गर्भपात के बाद पहले नारी निकेतन और फिर दूधली के जंगल में दबाया गया था। डीएनए रिपोर्ट आने के बाद दुष्कर्म के आरोप में पकड़े गए केयर टेकर मोहम्मद हासिम व होमगार्ड ललित बिष्ट और षड़यंत्र रचने के आरोप में दो क्राफ्ट टीचर, एक अटेडेंट व एक चैकीदार पर पुलिस का शिकंजा कसता जा रहा है। आज इस मामले में एसआईटी ने नारी निकेतन की पूर्व अधीक्षिका मीनाक्षी पोखरियाल और एक टीचर अनीता मंदोला को उनके घर से गिरफ्तार किया है। अधिक्षिका पर सबूत नष्ट करने और लापरवाही बरतने का आरोप है। इस प्रकरण में अब तक आठ गिरफ्तारियां हो चुकी हैं। 

प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ की कार्यकारिणी ने ली शपथ

देहरादून, 13 दिसम्बर। मुख्यमंत्री हरीश रावत ने जीएमएस रोड स्थित सैफराॅन लीफ होटल में प्रान्तीय चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवा संघ उत्तराखण्ड की नवनिर्वाचित कार्यकारिणी के शपथ ग्रहण समारोह में शामिल हुये। इस अवसर पर संघ के नवनिर्वाचित सदस्यों को शुभकामनाएं व बधाई देते हुये मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि दुनिया में भगवान के बाद सिर्फ चिकित्सक ही ऐसा इंसान है जिसकी पूजा होती है, इसलिये यह पद बहुत ही सम्मानित है। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि हमारे कुछ अस्पतालों में क्षमता से अधिक बोझ पड़ा हुआ है। राज्य सरकार की कोशिश है कि इस अत्यधिक बोझ को कुछ कम किया जाये। इसके लिये लोग जुटाये जा रहे हैं। उन्होंने चिकित्सकों का दूर-दराज के क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने के लिये आगे आने को कहा। मुख्यमंत्री श्री रावत ने कहा कि स्वास्थ्य और शिक्षा के क्षेत्र में जितना निवेश किया जा रहा है उसके अनुसार हमें परिणाम नहीं मिल पा रहे हैं। स्वास्थ्य विभाग में उपकरणों पर खर्च तो किया गया है लेकिन इनमें से बहुत से ऐसे उपकरण हैं जिनकी अभी तक एक बार भी प्रयोग नहीं किया गया है। हमें इन कमियों को दूर करना होगा। इसके लिये हमारे चिकित्सकों को आगे आना होगा। यदि हमारे चिकित्सक दूर-दराज के क्षेत्रों में अपनी सेवाएं देने को तैयार हैं तो सरकार भी उन्हें अतिरिक्त सुविधायें देने पर विचार कर सकती है। कार्यक्रम के दौरान स्वास्थ्य मंत्री ने अपने कहा कि स्वास्थ्य विभाग द्वारा दूर-दराज के क्षेत्रों में कैम्प लगाकर मरीजों की इलाज किया जाना सुनिश्चित किया जाय। आँखों के आॅपरेशन के लिये भी कैम्प लगाये जायें। साथ ही उन्होंने राज्य के सभी सीएमओ को विकलांगों को दिये जाने उपकरणों के लिये चिन्हित करने को भी कहा।

मौजूदा कांग्रेस सरकार सबसे भ्रष्ट सरकारः खंडूड़ी

देहरादून, 13 दिसम्बर। पूर्व मुख्यमंत्री व गढ़वाल सांसद मेजर जनरल भुवन चंद्र खंडूड़ी (सेवानिवृत्त) ने प्रेमनगर के निकट चाय बगान में स्मार्ट सिटी बनाए जाने पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा कि इससे भारतीय सैन्य अकादमी समेत प्रदेश के तमाम सैन्य संस्थानों के लिए खतरा उत्पन्न हो सकता है। उन्होंने कांग्रेस की वर्तमान सरकार को सबसे भ्रष्ट सरकार बताते हुए कहा कि राज्य इससे पहले इतनी बुरी स्थिति में कभी नहीं रहा। उन्होंने कहा कि देहरादून में भीड़ लगातार बढ़ रही है। ग्रीन पैच कम हो रहे हैं, लगातार कम होती जमीन को देखते हुए चाय बागान स्मार्ट सिटी के लिए उचित नहीं है। सुरक्षा की दृष्टि से भी इसे सही नहीं ठहराया जा सकता। इसके सामने आईएमए जैसा सामरिक महत्व का संस्थान है। स्मार्ट सिटी बनने में लंबा समय लगेगा, इस दौरान वहां बाहर के लोगों का आना-जाना भी होगा। इसे सुरक्षा की दृष्टि से भी देखे जाने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि यदि देहरादून को राजधानी बनाया जाता है तो इसके विस्तार के लिए भी जमीन की आवश्यकता है। ऐसे में सरकार का यह कदम किसी भी दृष्टि से उचित नहीं है। उन्होंने प्रदेश सरकार की कार्यशैली को लेकर भी सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि सरकार का पूरा ध्यान भ्रष्टाचार पर लगा है। प्रदेश में अवैध खनन जोरों पर है, शराब नीति गलत तरीके से लगाू की गई है। प्रदेश में असमानता व अराजकता बढ़ रही है। राज्य बनने के बाद उत्तराखंड इससे बुरी स्थिति में कभी नहीं रहा। उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार हमेशा सांसदों पर आरोप लगाती रही है। उन्होंने कहा कि आज तक किसी सांसद से प्रदेश की समस्याओं को लेकर न तो कोई वार्ता की और न कोई पत्र लिखा। प्रदेश हित में सैनिक स्कूल खोले जाने के संबंध में कदम उठाए गए थे, केंद्र को एक वर्ष तक सवालों के जवाब नहीं दिए गए। 

अच्छा होता कि जनहित के मुद्दों को खंडूड़ी पीएम के समक्ष रखतेः सुरेंद्र

देहरादून। मुख्यमंत्री के मीडिया प्रभारी सुरेन्द्र कुमार ने भाजपा नेता एवं पूर्व मुख्यमंत्री मेजर जनरल (से.नि.) भुवन चन्द्र खण्डूड़ी के सवालों के जवाब में उलटे उनसे सवालों की झड़ी लगाकर सवाल कर डाले है। उन्होंने कहा कि अच्छा होता कि जनहित के मुद्दों को सांसद बीसी खंडूड़ी पीएम के समक्ष रखते। यहां एक रेस्टोरेंट में आयोजित पत्रकार वार्ता में श्री कुमार ने कहा कि वह श्री खण्डूड़ी पूछना चाहते है कि क्या यह सच नहीं है कि सारंगी काण्ड के भ्रष्टाचार के कारण उन्हें मुख्यमंत्री पद से हाथ धोना पड़ा था। क्या यह सच नही है, कि उन्होंने अपने एक मुख्यमंत्री को देश का भ्रष्टतम सरकार का मुखिया बताया था व उनके सहयोगी द्वारा इस बयान पर भाजपा के झण्डे फाड़े गये थे। क्या यह सच नही है कि वर्ष 2007-08 में मुख्यमंत्री बनते ही पहला पुण्य का काम सरकारी एजेंसियों से शराब का काम छीनकर पोंटी चड्डा के निजी हाथों को शराब व्यवसाय सौंपा गया था। जिनमें से एक नामधारी, जो भाजपा के राज्यमंत्री रहे है, जेल में है। क्या यह सच नही है कि मुख्यमंत्री पद से हटने के बाद डेढ़ वर्ष तक मुख्यमंत्री आवास केवल इस जिद के साथ कब्जाकर रखा गया, कि यमुना कालोनी में जब तक दो बंगलों को तोड़कर एक बंगला नही बनाया जायेंगा, तब तक आवास खाली नहीं करूंगा। क्या यह सच नही है कि प्रदेश भाजपा मुख्यालय में शराब सिंडिकेट से चुनाव के लिए आया धन चोरी हुआ था और शक की सुई उनके नजदीकियों की ओर घूमी थी। यह बात भी भाजपा द्वारा बनायी गई जांच समिति की रिपोर्ट में उजागर की गई थी। श्री कुमार ने कहा कि बेहतर होता कि सम्मानित श्री खण्डूड़ी राज्य के मुद्दों पर संसद के अंदर और बाहर अपनी चुप्पी तोड़ते और जनहित से जुड़े मुद्दों को प्रधानमंत्री के समक्ष रखते। उन्होंने कहा कि इन सबके बावजूद भी हम उन्हें केन्द्र सरकार में मंत्री पद पर देखने की शुभकामनाएं देते हैं। 

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