- देश के विभिन्न हिस्सों से भाग ले रहे हैं केंद्रीय नेता
- अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों, बिहार विधानसभा चुनाव, आने वाले विभिन्न राज्यों में विधानसभा चुनावों, सांगठनिक सम्मेलनों और पार्टी विस्तार के एजेंडे पर हो रही है बैठक
पटना 13 दिसंबर 2015, भाकपा-माले की तीन दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक आज से पटना के फुलवारी शरीफ के हरनीचक मोहल्ले में आरंभ हो गयी है. 59 सदस्यों वाली केंद्रीय कमिटी की बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों से वरिष्ठ माले नेतागण भाग ले रहे हैं. माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार राज्य के सचिव कुणाल, उत्तरप्रदेश के सचिव काॅ. रामजी राय, कविता कृष्णन, तमिलनाडु से कुमारस्वामी, वी शंकर, बांगर राव, उड़ीसा से युद्धिष्ठर महापात्रा, असम से रूबुल शर्मा, बंगाल से कार्तिक पाल, पार्थो घोष, राजस्थान से महेन्द्र चैधरी, दिल्ली से रवि राय, राजीव डिमरी, स्वप्न मुखर्जी, पंजाब से गुरूमीत सिंह, उत्तराखंड के राजा बहुगुणा, मीना तिवारी, कृष्णा अधिकारी, प्रभात कुमार चैधरी, प्रतिमा इंगपी, सरोज चैबे, अमर, धीरेन्द्र झा, षषि यादव, रामेष्वर प्रसाद, रामजतन शर्मा, नंदकिशोर प्रसाद, आदि नेता भाग ले रहे हैं.
बिहार विधानसभा चुनाव पर चर्चा करते हुए कहा गया है कि इस चुनाव ने पूरे देश को आश्वस्त किया है. राष्ट्रीय राजनीति को बिहार चुनाव ने एक निर्णायक मुकाम पर ला खड़ा किया है। बिहार का फैसला देश में संघनित और विकसित होते भाजपा-विरोधी मिजाज की एक अभिव्यक्ति है। लेकिन बिहार चुनाव से कुछ भी सबके सिखने की बजाए भाजपा उलटा सबक ही ले रही है. भाजपा व संघ परिवार एक बार फिर से राम मंदिर को मुद्दा बनाकर देश में सांप्रदायिक विभाजन की राजनीति खेलना चाहती है. तो दूसरी ओर पिछले 26 नवंबर को संविधन दिवस के नाम पर देश के गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने धर्मरिपेक्षता पर ही प्रश्न चिह्न खड़े कर दिये. संघ व भाजपा परिवार द्वारा देश के संविधान, लोकतंत्र व धर्मनिरपेक्ष मूल्यों पर लगातार हमला जारी है. हमें इसका जोरदार प्रतिरोध करना होगा.
2016 की शुरुआत में ही पश्चिम बंगाल, असम, तमिलनाडु, केरल और पुद्दुचेरी के विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। केंद्रीय कमिटी में इसपर जोरदार अभियान चलाने पर बातचीत कर रही है. भाकपा-माले अन्य वाम दलों व लोकतांत्रिक ताकतों से एकता स्थापित करते हुए इन चुनावों में भाग लेगी. पार्टी की केंद्रीय कमिटी की बैठक में इस पर सहमति बनी कि पिछले एक साल में ताकतवर जनांदोलन, पहलकदमियाँ लेते हुए,पार्टी ने अगुवा कैडरों और समूची पार्टी कतारों को वैचारिक-राजनैतिक रूप से गोलबंद किया है और कठिन-कठोर सांगठनिक काम चलाने का कार्य किया है. इसी राजनैतिक इच्छाशक्ति और सांगठनिक ताकत का असर हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में दिखा है। केंद्रीय कमेटी ने 18 दिसंबर, जो कामरेड विनोद मिश्र 17 वीं बरसी का दिन है, के लिए एक संकल्प-पत्र किया है और और 18 दिसंबर से 15 फरवरी तक सीमाबद्ध सदस्यता विस्तार और नवीनीकरण अभियान चलाने का निर्णय किया है। पार्टी सदस्यता व ढांचे के विस्तार के अलावा जनसंगठन के मोर्चे के भी विस्तार की योजनायें ली जा रही हैं. खासकर ठेका-मानेदय कर्मियों, छात्र-नौजवानों की बड़ी संख्या को संगठन से जोड़ने का निर्णय लिया गया है. विभिन्न प्रदेशों के सम्मेलनों आदि विषय भी बैठक के एजेंडा में शामिल है.
बैठक में अंतर्राष्ट्रीय घटनाक्रमों खासकर हाल के दिनों में पश्चिमी ताकतों के संरक्षण में पल रहे खतरनाक आतंकी संगठन आइएसआइएस, पेरिस, बेरूत, बगदाद पर आतंकी हमला और नेपाल में मधेसी संकट व उसमें मोदी सरकार की दखलअंदाजी पर भी बातचीत की जाएगी.