कोलकाता 14 दिसंबर, राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज यहां अपने गुरु देवरंजन मुखर्जी की स्मृति में व्याख्यान देते हुए कहा कि जब तक देश में विश्वस्तरीय शैक्षणिक संस्थान स्थापित नहीं होंगे, तब तक भारत दुनिया के श्रेष्ठ देशों में शुमार नहीं हो सकता है। श्री मुखर्जी ने यह भी कहा कि हाल के वर्षों में देश में उच्च शिक्षा का काफी विस्तार हुआ है और आज अपने देश में 712 विश्वविद्यालय तथा 36000 से अधिक काॅलेज हैं, लेकिन हाल तक दुनिया में श्रेष्ठ 200 शैक्षणिक संस्थानों में एक भी भारतीय संस्थान की गिनती नहीं होती थी। श्री देवरंजन मुखर्जी ने राष्ट्रपति को विद्यासागर काॅलेज में चार वर्ष तक पढ़ाया था। श्री देवरंजन मुखर्जी बर्दवान विश्वविद्यालय तथा आसनसोल के विधानचंद्र कालेज में भी साहित्य के शिक्षक थे।
राष्ट्रपति ने उनका स्मरण करते हुए कहा कि उस समय कालेजों में बहुत अच्छे शिक्षक होते थे। एक समय था जब प्राचीनकाल में तक्षशिला, नालंदा, विक्रमशिला, वल्लभी, सोमपुरा तथा उदन्तपुरी जैसे विख्यात विश्वविद्यालय होते थे। अब भारत को अपनी पुरानी गरिमा बहाल करनी है। उन्होंने कहा कि वह देश के कई केन्द्रीय विश्वविद्यालयों तथा शैक्षणिक संस्थानों के विजिटर के रूप में उनका स्तर बढ़ाने के लिए लगातार सम्मेलन आयोजित कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि हाल के प्रयासों से देश के दो शैक्षणिक संस्थान विश्व के 200 श्रेष्ठ शैक्षणिक संस्थानों की सूची में पहली बार आए हैं और उम्मीद है कि आने वाले वर्षों में और संस्थान इस सूची में आयेंगे।