पटना 13 दिसम्बर, बिहार के राज्यपाल सह कुलाधिपति रामनाथ कोविन्द ने वर्तमान दौर में शिक्षा के महत्व को रेखांकित करते हुए आज कहा कि सूचना प्रौद्योगिकी के युग में विद्यार्थियों को अपने ज्ञान भंडार को तीव्र गति से बढ़ाने की जरूरत है। श्री कोविन्द ने स्थानीय श्रीकृष्ण मेमोरियल हाॅल में आयोजित नालन्दा खुला विश्वविद्यालय के नवम दीक्षान्त समारोह को संबोधित करते हुए कहा कि वर्तमान युग सूचना प्रौद्योगिकी का युग है, जिसमें इन्टरनेट से ज्ञान का भंडार किसी भी शिक्षार्थी के पास उपलब्ध है , इसलिए विद्यार्थियों को अपने ज्ञान के भंडार को निर्बाध बढ़ाते रहना चाहिए। इन्टरनेट से चन्द मिनट में ही सारी सूचनाएँ उपलब्ध हो जाती हैं लेकिन सूचनाओं की तत्काल संप्रेषणीयता एक कठिन चुनौती भी है। उन्होंने सुझाव दिया कि विद्यार्थियों को प्राप्त ज्ञान एवं सूचनाओं का परीक्षण करने के उपरान्त ही उनके सकारात्मक पक्ष को, अपने सम्बन्धित कार्यक्षेत्र में इस प्रकार लागू करना चाहिए ताकि वह कार्य समाज को सर्व समावेशी बनाने में सहायक सिद्ध हो सके।
राज्यपाल ने कहा कि बिहार की धरती अनेक ख्यातिप्राप्त महापुरुषों एवं साहित्यकारों की जन्मभूमि रही है। इस राज्य में हिन्दुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों एवं सूफी पैगम्बरों के अनेक ऐतिहासिक, धार्मिक एवं पवित्र स्थल अवस्थित हैं। नालन्दा एवं विक्रमशिला के प्राचीन विश्वविद्यालयों ने धर्म, दर्शन एवं साहित्य आदि के क्षेत्र में सम्पूर्ण विश्व को प्रभावित किया है। विश्व का प्रथम एवं प्राचीनतम गणराज्य भी इसी राज्य से विकसित हुआ। हमें अपनी इन सभी विरासतों को अक्षुण्ण रखने में अपना हर संभव प्रयास जारी रखना चाहिए तथा अपनी स्वतंत्र शोध, चिन्तन एवं बौद्धिक विकास के माध्यम से राष्ट्र को प्रगति के मार्ग पर ले जाने का भगीरथ प्रयत्न करना चाहिए।
कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के कार्यो पर प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि यह विश्वविद्यालय न केवल समाज में शिक्षा की मुख्य धारा से अभिवंचित वर्गों को शिक्षा का अवसर उपलब्ध करा रहा है बल्कि यह उन शिक्षार्थियों को भी शिक्षा प्रदान कर रहा है, जो माध्यमिक स्तरीय शिक्षा प्राप्त करने के उपरान्त, पारम्परिक शिक्षा प्रणाली के अन्तर्गत प्रवेश नहीं लेकर किसी वृत्ति अथवा उपजीविका की प्राप्ति के लिए उच्च शिक्षा के एक शिक्षार्थी के रूप में ज्ञानार्जन के इच्छुक हैं।
श्री कोविन्द ने कहा कि इस विश्वविद्यालय में पारम्परिक पाठ्यक्रमों के अतिरिक्त व्यावसायिक एवं कौशल-विकास से सम्बन्धित अधिकाधिक पाठ्यक्रमों का भी संचालन होना चाहिए ताकि देश के होनहार युवक-युवतियों को नियोजन एवं स्वरोजगार के अवसर सुगमता से उपलब्ध हो सकें। दीक्षांत समारोह के दौरान नालंदा खुला विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 रासबिहारी प्रसाद सिंह ने विश्वविद्यालय का प्रतिवेदन प्रस्तुत करते हुए कहा कि इस विश्वविद्यालय में छात्राओं को शुल्क में विशेष रियायतें दिये जाने का परिणाम है कि आज उपाधियाँ प्राप्त करनेवाले शिक्षार्थियों में लगभग आधी छात्राएँ हैं। उन्होंने विश्वविद्यालय द्वारा शुरू किए जानेवाले नए पाठ्यक्रमों के बारे में भी जानकारी दी। कार्यक्रम में सम्मानित अतिथि के रूप में इन्दिरा गाँधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ0 नागेश्वर राव ने दीक्षांत भाषण किया। वहीं धन्यवाद ज्ञापन प्रतिकुलपति प्रो0 आर0 पी0 उपाध्याय ने किया।