- डब्लूटीओ की बैठक में भारतीय हितों की दे दी गयी तिलांजलि, संगठन/आंदोलनों के विस्तार पर जोर
- जनादेश का सम्मान करे नीतीश सरकार, माले के केंद्रीय कमिटी की बैठक दूसरे दिन भी जारी
पटना 14 दिसंबर 2015, भाकपा-माले की तीन दिवसीय केंद्रीय कमिटी की बैठक के दूसरे दिन आज प्रेस को जानकारी देते हुए माले की पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. कविता कृष्णन, पोलित ब्यूरो सदस्य काॅ. धीरेन्द्र झा और केंद्रीय कमिटी सदस्य काॅ. रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि मोदी सरकार की जनविरोधी नीतियों के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन पर बैठक में सहमति बनी है. नैरोबी में डब्लूटीओ की बैठक में मोदी सरकार पूरी तरह विकसित देशों के दबाव में आ गयी है. किसानों की सब्सिडी कम करने, शिक्षा-स्वास्थ्य के निजीकरण आदि की प्रक्रियायें और तेज हो जाएंगी. इसमें मोदी सरकार ने भारतीय हितों की पूरी तरह तिलांजलि दे दी है.
देश में लोकतंत्र व लोकतांत्रिक संस्थाओं पर तेज होते हमले पर भी बैठक में गहरी चिंता व्यक्त की गयी. आज देश में फासीवादी ताकतों द्वारा देश की साझी-संस्कृति को तोड़ने के प्रयास किए जा रहे हैं और इसपर सरकारी सहमति है. सहिष्णुता की आड़ में असहिष्णु हिंसक वारदातों और प्रतिरोध करने वालों, एवार्ड वापस करने वाले बुद्धिजीवियों एवं संस्कृतिकर्मियों को राष्ट्रदोही घोषित करने जैसी कार्यवाइयों ने देश में अस्थिरता एवं भय का माहौल बनाया है. इतिहास से लेकर शिक्षा-संस्कृति पर हमले व संस्थाओं के भगवाकरण के खिलाफ देशव्यापी आंदोलन का निर्णय किया गया.
पार्टी ने अगुवा कैडरों और समूची पार्टी कतारों को वैचारिक-राजनैतिक रूप से गोलबंद किया है और कठिन-कठोर सांगठनिक काम चलाने का कार्य किया है. इसी राजनैतिक इच्छाशक्ति और सांगठनिक ताकत का असर हालिया बिहार विधानसभा चुनाव में दिखा है। केंद्रीय कमेटी ने 18 दिसंबर, जो कामरेड विनोद मिश्र 17 वीं बरसी का दिन है, के लिए एक संकल्प-पत्र किया है और और 18 दिसंबर से 15 फरवरी तक सीमाबद्ध सदस्यता विस्तार और नवीनीकरण अभियान चलाने का निर्णय किया है। पार्टी सदस्यता व ढांचे के विस्तार के अलावा जनसंगठन के मोर्चे के भी विस्तार की योजनायें ली जा रही हैं. खासकर ठेका-मानेदय कर्मियों, छात्र-नौजवानों की बड़ी संख्या को संगठन से जोड़ने का निर्णय लिया गया है. विभिन्न प्रदेशों के सम्मेलनों आदि विषय भी बैठक के एजेंडा में शामिल है.
ेकेंद्रीय कमिटी की बैठक में बिहार विधानसभा चुनाव के जनादेश पर भी बात हुई. बैठक के हवाले से कहा गया है कि जनादेश का तकाजा है कि नीतीश सरकार जनता के सवालों को एड्रेस करे. 2005 में भाजपा के साथ जब नीतीश कुमार बिहार की सरकार में आए थे, उन्होंने पहला काम किया था अमीरदास आयोग को भंग करने का. जिसका बिहार की जनता ने कत्तई स्वागत नहीं किया था. भाजपा को ही खुश करने के लिए नीतीश जी की सरकार ने अपने ही द्वारा गठित भूमि सुधार आयोग की सिफारिश को ठंडे बस्ते में डाल दिया था. मुचकुंद दूबे आयोग की सिफारिशों के साथ भी वैसा ही किया था. भाजपा-जदयू शासन में रणवीर सेना द्वारा रचाए गए जनसंहारों के हत्यारों को थोक भाव में बरी कराया गया. महादलितों-अतिपिछड़ों तक भाजपा की ताकत बढ़ायी और बिहार में सांप्रदायिक माहौल निर्मित किया गया. फारबिसगंज जैसे गोलीकांड हुए, मुस्लिम युवाओं को प्रताडि़त किया गया. बिहार की जनता ने इसे कभी स्वीकार नहीं किया और लगातार प्रतिवाद आंदोलन होते रहे. यह जनादेश जनता के उन्हीं आकांक्षाओं को प्रतिबिंबित करता है. भेाजन का अधिकार भी एक महत्व्पूर्ण सवाल है.
भूमि सुधार, बटाईदारों किसानों के रजस्ट्रिेशन, भोजन अधिकार, वास-आवास का अधिकार आदि सवालों पर भाकपा-माले विघानसभा के अंदर और बाहर संघर्ष को और तेज करेगा. आज से पटना के फुलवारी शरीफ के हरनीचक मोहल्ले में आरंभ हो गयी है. 59 सदस्यों वाली केंद्रीय कमिटी की बैठक में देश के विभिन्न हिस्सों से वरिष्ठमाले नेतागण भाग ले रहे हैं. माले महासचिव काॅ. दीपंकर भट्टाचार्य, पोलित ब्यूरो के सदस्य काॅ. स्वदेश भट्टाचार्य, बिहार राज्य के सचिव कुणाल, उत्तरप्रदेश के सचिव काॅ. रामजी राय, कविता कृष्णन, तमिलनाडु से कुमारस्वामी, वी शंकर, बांगर राव, उड़ीसा से युद्धिष्ठर महापात्रा, असम से रूबुल शर्मा, बंगाल से कार्तिक पाल, पार्थो घोष, राजस्थान से महेन्द्र चैधरी, दिल्ली से रवि राय, राजीव डिमरी, स्वप्न मुखर्जी, पंजाब से गुरूमीत सिंह, उत्तराखंड के राजा बहुगुणा, मीना तिवारी, कृष्णा अधिकारी, प्रभात कुमार चैधरी, प्रतिमा इंगपी, सरोज चैबे, रामजतन शर्मा, नंदकिशोर प्रसाद आदि नेता भाग ले रहे हैं.