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प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने बिम्सटेक से आतंकवाद से मुकाबले के लिए मदद मांगी

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बिम्सटेक क्षेत्र में आतंकवाद के बढ़ते खतरे के प्रति आगाह करते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इसका प्रभावी तरीके से मुकाबला करने के लिए सात देशों के इस समूह से ज्यादा सहयोग की मांग की है. उन्होंने कहा कि इन देशों की सुरक्षा को अलग अलग करके नहीं देखा जा सकता. तीसरे बिम्सटेक सम्मेलन को संबोधित करते हुए सिंह ने कहा कि इस क्षेत्र को कई तरह की एक सी चुनौतियों - प्राकृतिक आपदा से लेकर आतंकवाद तक - का सामना करना पड़ रहा है जिसका समाधान सामूहिक तौर पर करना होगा ताकि एशिया और विश्व में शांति, समरसता, सुरक्षा और संपन्नता में महत्वपूर्ण योगदान किया जा सके.

उन्होंने कहा हमारी संपन्नता की तरह हमारी सुरक्षा भी एक दूसरे से जुड़ी है - चाहे हमारे क्षेत्र में संचार के सामुद्रिक संपर्क की सुरक्षा का मामला हो या फिर आतंकवाद की निरंतर चुनौती या फिर अंतरराष्ट्रीय अपराध से सुरक्षा की बात. इस समूह में शामिल सात सदस्य देशों - भारत, बांग्लादेश, श्रीलंका, थाइलैंड, म्यामां, भूटान और नेपाल - में विश्व की 20 प्रतिशत से अधिक आबादी रहती है और इनका सकल घरेलू उत्पाद 2,500 अरब डालर है.

प्रधानमंत्री ने कहा बिम्सटेक क्षेत्र में बढ़ते आतंकवाद के खतरे के स्वरूप को देखते हुए इससे मुकाबले के लिए ज्यादा सहयोग की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इस प्रक्रिया के अंग के तौर पर समूह को अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद प्रतिरोध में सहयोग, अंतरराष्ट्रीय संगठित अपराध में सहयोग और नशीली दवाओं के गैरकानूनी कारोबार के संबंध में सहयोग के जल्दी समर्थन करने और आपराधिक मामलों में आपसी कानूनी सहयोग पर बिम्सटेक सम्मेलन पर जल्दी हस्ताक्षर करने की कोशिश होनी चाहिए. इसके अलावा प्रत्यर्पण पर बिम्सटेक सम्मेलन के संबंध में वार्ता शुरू होनी चाहिए.

प्रधानमंत्री ने बिम्सटेक देश व्यापार, आर्थिक सहयोग और संपर्क के क्षेत्र में उपलब्ध मौकों के बारे में भी बात की और कहा कि यह हमारे उज्जवल भविष्य का संकेतक है. उन्होंने कहा कि बिम्सटेक के सपने को साकार करने के लिए भौतिक और डिजिटल संपर्क अहम है और यह इस क्षेत्र में सहयोग और एकजुटता से संभव है. बहु-क्षेत्रीय तकनीकी एवं आर्थिक सहयोग पर बंगाल की खाड़ी की पहल (बिम्सटेक) भारत की 1990 के दशक की पूर्वोन्मुख नीति की अभिव्यक्ति है. यह थाइलैंड की पश्चिमोन्मुख नीति के साथ शुरू हुई थी.

सिंह ने कहा कि इकट्ठा होने पर समूह न सिर्फ दक्षिण एशिया या दक्षिण-पूर्व एशिया जैसी संकीर्ण, पारंपरिक परिभाषा के दायरे से निकलेगा बल्कि एशिया के सबसे उल्लेखनीय और गतिशील खंड को जोड़ने का भी काम करेगा. उन्होंने कहा कि भारत बिम्सटेक सदस्यों के बीच भारत-म्यांमा-थाईलैंड त्रिपक्षीय राजमार्ग, कलादान बहु-स्वरूपीय पारगमन परिवहन परियोजना, एशियाई राजमार्ग नेटवर्क, आसियान संपर्क योजना और अन्य योजनाओं के जरिए भौतिक संपर्क बढ़ाने की कोशिश कर रहा है. उन्होंने कहा हम जल्दी ही म्यामां के लिए सीधा जहाजमार्ग शुरू करेंगे जिससे हमारे क्षेत्र में बढ़ते सामुद्रिक संपर्क में और इजाफा होगा.

प्रधानमंत्री ने कहा भौतिक बुनियादी ढांचे के विकास के साथ-साथ नियम भी बनाने की जरूरत है ताकि अंतरराष्ट्रीय गतिविधियों में सुविधा हो. व्यापार एवं आर्थिक सहयोग के संबंध में सिंह ने कहा कि यह बिम्सटेक देशों की प्राथमिकता की सूची में उच्च स्तर पर रहेगा. उन्होंने वस्तु व्यापार पर बिम्सटेक मुक्त व्यापार समझौते को जल्दी पूरा करने और इसमें निवेश और सेवा क्षेत्र को भी जोड़े जाने के महत्व पर जोर दिया. उर्जा को एक अन्य प्राथमिक क्षेत्र बनाने के महत्व को रेखांकित करते हुए सिंह ने कहा कि भारत और इसके कुछ पड़ोसी देश उर्जा ग्रिड के जरिए जुड़ रहे हैं और उन्हें इसका उर्जा सहयोग के मामले में क्षेत्रीय व राष्ट्रीय फायदा मिल रहा है. उन्होंने कहा हमें इसलिए अपने आपको एक दूसरे से पारेषण राजमार्गों और गैस एवं तेल पाइपलाइनों के जरिए जोड़ना चाहिए. साथ ही नवीन उर्जा के क्षेत्र में सहयोग के मौकों का परीक्षण भी करना चाहिए. प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि बेंगलुरू में जिस बिम्सटेक उर्ज केंद्र बनाने की योजना बनी है उसकी इसमें प्रमुख भूमिका होगी. पर्यटन को आर्थिक विकास का महत्वपूर्ण स्रोत बताते हुए सिंह ने कहा कि यह अवाम और संस्कृति को भी जोड़ने का काम करता है.

प्रधानमंत्री ने 2015 को बिम्सटेक पर्यटन वर्ष घोषित करने का भी सुझाव दिया. इस क्षेत्र में मौसम पर आर्थिक निर्भरता और प्राकृतिक आपदा के प्रति संवेदनशीलता का हवाला देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि इस क्षेत्र में सहयोग महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा कि दिल्ली के पास नोएडा स्थित बिम्सटेक मौसम एवं जलवायु केंद्र तुरंत ही परिचालन में आ जाएगा. आज इस केंद्र के गठन के संबंध में समझौते पर हस्ताक्षर किया गया. सिंह ने घोषणा की कि भारत अपने यहां पारंपरिक दवाओं के अध्ययन के लिए बिम्सटेक छात्रों को दी जाने वाली 30 आयुष छात्रवृत्ति की पेशकश का नवीकरण करेगा. नयी दिल्ली में 2008 में हुए सम्मेलन में सिंह ने बिम्सटेक देशों के छात्रों के लिए 450 छात्रवृत्तियों की घोषणा की थी जो अब तिगुनी बढ़ गई है और यह भारत के बिम्सटेक भागीदारों को मिल रही है.

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