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बिहार : अपने मुद्धे को सरल और सहज तरीके से समझने के लिए 32 सामाजिक कार्यकर्ता जुटेंगे ग्वालियर में

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land-reform-fightपटना। आजादी के 66 साल के बाद भी देश-प्रदेश में बेहतर ढंग से भूमि सुधार को क्रियान्वयन ही नहीं गया। प्रायः यह देखा जाता है कि सरकार के द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में भूमि सुधार संबंधी मुद्दे को शामिल किया जाता है। चुनाव जीतकर आने से चुनावी घोषणा पत्र को अमल में नहीं लाया जाता है। यह मात्रः घोषणा बनकर रह जाती है। इस ओर सरकार की प्रतिबद्धता नहीं रहती है।

खैर,आज भी भू-अधिकार जटिल समस्या बनकर रह गयी है। मध्यम वर्ग,शासकीय अधिकारी और राजनैतिक दल वालों के समक्ष भू-अधिकार पहेली बनकर रह गयी है। यहां पर दो चीज है। प्रथम ऐसे लोग भूमि अधिकार के बारे में जानकारी नहीं रखते हैं। दूसरा जानकारी रखने के बाद भी भू-अधिकार को बेहतर ढंग से लागू नहीं करने देना चाहते हैं। अब तो पॉलीग्राफिक जांच से ही पता चल सकता है कि हमरे लोग समझदार और नासमझदार हैं। वहीं हम भी दोषी हैं कि ऐसे लोगों को सरल और सहजता से नहीं समझा पा रहे पा रहे हैं। 
 इसके आलोक में देश-प्रदेश-विदेश में भू-आंदोलन को मुकाम तक पहुंचा देने को अमादा जन संगठन एकता परिषद का कर्त्तव्य बन जाता है कि संदर्भ में जन संगठन से जुड़े लोगों को कुशलता प्रदान करें। इसके लिए ग्वालियर के मुरैना में स्थित महात्मा गांधी सेवा आश्रम संसाधन केन्द्र में 30 जनवरी से 1 फरवरी तक तीन दिवसीय कार्यशाला का आयोजन किया गया है। 

इसमें एकता परिषद के संचालन समिति के सदस्य डा.रन सिंह परमार, रमेश शर्मा, राकेश दीक्षित, प्रदीप प्रियदर्शी अनीस टी. और शारदा कश्यप उपस्थित रहेंगे। मुम्बई के समन्वयक यतीश मेहतात्र, निर्भय सिंह,बीजू के. विनोद, विनोद टी.के.,अनिल गुप्ता, रविन्द्र सक्सेना, जयंत तोमर, प्रीति तिवारी, पीलाराम पटेल, विश्वात्मा, आलोक कुमार, संतोष सिंह, अजय चौधरी, रवि बादरी,ऋषि शर्मा, विक्रम नायक, प्रवीण प्रगाढ़े, विरेन्द्र, स्नेहलता, राजकलि, मंजू डुंगडुंग, पुष्पा, प्रेमा,माइकल हुजर और माइकल मुल्लर भी रहेंगे। सभी सामाजिक कार्यकता इस तीन दिनों में अपने मुद्धे को किस तरह से लोगों के सामने सजह तरीके से पेश करके बताने का प्रयास करेंगे। देश में प्रचलित सोशल मीडिया और अपने प्रस्तुतिकरण की कला को मजबूत करने पर चर्चा करेगे। 

यू.के. में 15 वर्षों से शानदार कार्य करने वाले अनुभवी कै अविला और कमल पराशर कुशलता प्रदान करने भारत आएंगे। इन दोनों का प्रयास होगा कि भूमि अधिकार के मुद्दे को किस तरह से सरल और सहज ढंग से संबंधित लोगों तक पहुंचाया जा सकता है। अपने मुद्धे को सरल और सहज तरीके से समझने के लिए कुल 32 सामाजिक कार्यकर्ता 29 जनवरी को मुरैना पहुंच जाएंगे। 



आलोक कुमार
बिहार 

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