पटना। राजधानी पटना में स्थित दीघा की धरती धन्य हो गयी। यहां पर 51 कुण्ड के संतों का समागम हुआ है। प्रथम बार संतों का आगमन हुआ है। इनके आशीर्वाद से दीघावासी धन्य हो गए हैं। बड़े पैमाने पर प्रथम बार मां गंगा की स्तुति सफलतापूर्वक जारी है। भव्य कलश यात्रा में 11 सौ कलश महिलाओं ने उठाया था। इसे हवनकुण्ड स्थल के चारों तरफ रखा गया है। आज भी जवान से लेकर बुर्जुग तक हवनकुण्ड स्थल का परिक्रमा किए। राजीव नगर की गंजति देवी बताती हैं कि जो श्रद्धालु बहन कलश उठाए थे, केवल उनको ही प्याज-लहसून नहीं खाना है। इसके अलावे अन्य परिक्रमा में शामिल श्रद्धालुओं पर लागू नहीं है। मगर सभी को भूखे रहकर परिक्रमा करना है। इसे शुरू करने के पहले निश्चित तौर पर गंगा नदी में डूबकी लगानी ही है। किसी भी श्रद्धालु पर किसी तरह के नियम नहीं है। आप कितनी बार परिक्रमा करते हैं। अपने सार्मथ्य से कोई 8 बार,21 और 108 बार परिक्रमा कर रहे हैं। हाफ किलोमीटर में 1 बार परिक्रमा होता है। तो आप समझ सकते हैं। 8 बार परिक्रमा करने वाले 4 किलोमीटर चलते हैं। 21 बार परिक्रमा करने वाले साढ़े किलोमीटर और 108 बार परिक्रमा करने 54 किलोमीटर चलते हैं। परिक्रमा की गिनती के बादाम, मकर दाना और अन्य चीज का सहारा लेते हैं। उसे गिनकर हथेली में रख लेते हैं। एक निश्चित छोर से परिक्रमा शुरू करके वाले स्थल पर आने के बाद दाना को रख देते हैं। इस तरह दाना कम होते-होते परिक्रमा भी खत्म हो जाता है।
माता सीता की जन्मस्थल सीतामढ़ी से बुर्जुग अनार देवी आयी थीं। इनका पतिदेव ब्रह्मदेव ठाकुर जी का निधन हो गया है। वह बुर्जुग होने के बाद भी 8 बार परिक्रमा की। श्रद्धालुओं में काफी उत्साह देखा गया। जगह-जगह पर सिंधुर रखा गया था। परिक्रमा करके आने के श्रद्धालु सिंधुर से टीका लगाते और सुहाग के प्रतीक सिंधुर को माग में भरते चले जाते। इस बीच संत लोगों के द्वारा लगातार हवनकुण्ड में हवन किया जाता रहा। मां गंगा की स्तुति में प्राणी मात्र की सुख शांति के लिए हवन करते रहे। सयानों के लिए धर्म कमाने का और बच्चों के लिए मनोरंजन स्थल भी रहा। श्रद्धालुओं के द्वारा परिक्रमा करने के बाद सजाए गए होटलों में नास्ता
किया करते।
यह सब आचार्य किशोर कुणाल, अध्यक्ष,बिहार राज्य धार्मिक न्यास परिषद, आचार्य कृष्ण कृपादास, अध्यक्ष, इस्कॉन, श्री वाई.सी.अग्रवाल, समाजसेवी, दिल्ली,पटना, श्री मोतीलाल खेतान, अध्यक्ष, वन बंधु परिषद, श्रीमती कविता एस. सर्वेश, बेंगलूर, राष्ट्रीय महामंत्री, अस्मिता, श्री टुनटुन सिंह यादव उर्फ सी.सी.सिंह और प्रो. रामपाल अग्रवाल नूतन,अ.भा. गोशाला फेडरेशन को चेयरमेन के मार्गदर्शन में किया गया। श्री श्री 1008 महामण्डलेश्वर श्री ईश्वर दास जी महाराज, ऋषिदेव और आचार्य श्री श्री 1008 श्री बाबा पशुपति नाथ जी महाराज राजपुरोहित,रामपुरिया दरबार के यज्ञमार्गदर्शक में हुआ।
आलोक कुमार
बिहार