सूत्रों के मुताबिक, मान-मनौव्वल के बाद बीजेपी के दिग्गज नेता लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर सीट से लोकसभा चुनाव लड़ने के लिए तैयार हो गए हैं। भोपाल से उम्मीदवार न बनाए जाने के बाद आडवाणी नाराज हो गए थे और कल से पार्टी के कई बड़े नेता उन्हें मनाने में लगे हैं। पार्टी के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी खुद आडवाणी के घर पहुंचे और करीब एक घंटे तक वहां रहे। मोदी के निकलने के बाद सुषमा स्वराज भी आडवाणी के घर पहुंचीं। वह वहां मौजूद थीं इसी दौरान वेंकैया नायडू भी वहां पहुंचे और उनके बाद अरुण जेटली। इस बीच संघ ने साफ 'संदेश'दे दिया था कि अगर आडवाणी पार्टी द्वारा तय की गई सीट पर नहीं लड़ना चाहते हैं, तो रहने दें। पार्टी नेतृत्व और संघ के रुख को देखते हुए भोपाल में आनन-फानन में वे होर्डिंग्स हटा लिए गए जो वहां आडवाणी की दावेदारी का स्वागत करते हुए लगाए गए थे।
इससे पहले मोदी ने संकट को सुलझाने के लिए बुधवार की रात संघ प्रमुख मोहन भागवत से मुलाकात की थी, जबकि सुषमा स्वराज और नितिन गडकरी ने भी आडवाणी से मुलाकात की थी। बाद में गडकरी और सुषमा पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह से मिलने पहुंचे।
मोदी से तनावपूर्ण संबंध के अलावा आडवाणी की नाराजगी के कई कारण बताए जा रहें हैं। आडवाणी के कट्टर समर्थक और अहमदाबाद (पूर्व) से मौजूदा सांसद हरिन पाठक के टिकट कटने की चर्चा है। इसके अलावा जसवंत सिंह को भी अभी तक टिकट नहीं मिला है। वह बाड़मेर से चुनाव लड़ना चाहते हैं, लेकिन बताया जाता है कि राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे उन्हें लड़ाने के पक्ष में नहीं हैं। भोपाल से लड़ने के दांव को आडवाणी की अपने नजदीकियों को टिकट दिलाने के लिए मोदी पर दबाव की रणनीति के रूप में भी देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि हरिन पाठक को अहमदाबाद (पूर्व) से टिकट देने की घोषणा अब हो जाएगी।
सूत्रों के मुताबिक, कुछ ही दिन पहले अपने संसदीय क्षेत्र गांधीनगर से ही चुनाव लड़ने की सार्वजनिक इच्छा जता चुके आडवाणी अब शायद इससे खफा है कि उनकी सीट घोषित होने में देर क्यों लगी, जबकि पार्टी के दूसरे बड़े नेताओं को लेकर संशय पहले ही खत्म हो गया था। सूत्रों के मुताबिक पहली चार लिस्टों में भी नाम की घोषणा न होने से वह आहत थे। इसी बीच भोपाल से उनको लड़ने का अनुरोध आया और यह बढ़ता गया, तो पार्टी के गलियारों में आडवाणी समर्थकों ने पूछ लिया कि जब सब अपनी पसंद की सीट पर लड़ रहे हैं, तो वह अपनी पसंद की भोपाल सीट पर क्यों नहीं लड़ सकते? इशारा मोदी की पसंद की वाराणसी, राजनाथ सिंह की पसंद की लखनऊ और ऐसी ही अन्य सीटों और नेताओं की तरफ था।
सूत्रों के अनुसार आडवाणी को इस बात का भी कष्ट है कि गुजरात बीजेपी यूनिट ने उनका विरोध किया था, लेकिन मुख्यमंत्री मोदी के हस्तक्षेप के बाद प्रदेश समिति ने गांधीनगर से उनके नाम की सिफारिश की। गुजरात में आडवाणी के करीबी एक बीजेपी लीडर ने कहा कि उनको अहसास है कि गुजरात में पार्टी काडर उन्हें हो सकता है कि पूरा सपॉर्ट न दे। 2009 के कैंपेन में भी उन्हें ज्यादा सपोर्ट नहीं मिला था। बीजेपी लीडर ने कहा कि इसे देखते हुए आडवाणी ने मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान का न्योता स्वीकार करने का फैसला किया था।
बीजेपी की केंद्रीय चुनाव समिति के एक सदस्य ने बताया कि मोदी बैठक में कहते रहे कि आडवाणी को किसी भी कीमत पर गांधीनगर से लड़ने के लिए मनाया जाना चाहिए। दरअसल, गुजरात से उनके चले जाने से मोदी पर बुरा असर पड़ा होता। इससे विरोधियों को पूरे कैंपेन के दौरान निशाना साधने के लिए हथियार मिल जाएगा कि मोदी पार्टी के सबसे सीनियर लीडर को अपने राज्य में जगह नहीं दे सके। दूसरा डर यह था कि आडवाणी अगर भोपाल से चुनाव लड़ते हैं तो कहीं गुजरात के विकास की तुलना वह फिर से मध्य प्रदेश से न कर दें।
बुधवार को बीजेपी ने 67 उम्मीदवारों के नाम तय किए। इसमें मथुरा से हेमा मालिनी को जबकि जयपुर (ग्रामीण) से ओलिंपिक में मेडल जीतने वाले निशानेबाज राज्यवर्द्धन सिंह राठौड़ को टिकट दिया गया। बीजेपी की ताजा लिस्ट में गुजरात और राजस्थान के 21-21 कैंडिडेट्स, यूपी के 15, बिहार के 3, महाराष्ट्र के 2 और केरल, झारखंड, अंडमान निकोबार, दादर एवं नागर हवेली और दमन और दीव से एक-एक कैंडिडेट शामिल हैं।