उच्चतम न्यायालय ने आज कहा कि उत्तर प्रदेश की अखिलेश यादव सरकार मुजफ्फरनगर जिले के लोगों के मूलभूत अधिकारों की रक्षा करने में असफल रही, जहां पिछले वर्ष दंगे के दारौन 60 से अधिक लोगों की जानें गयीं।
न्यायालय ने याचिका पर सुनावाई के दौरान राज्य सरकार परउदासीन रवैया अपनाने का भी आरोप लगाया, हालांकि उसने दंगे की केन्द्रीय जांच ब्यूरो अथवा किसी विशेष टीम से जांच कराये जाने की मांग को अस्वीकार कर दिया।
याचिकाकर्ताओं ने आरोप लगाया था कि उत्तर प्रदेश की समाजवादी पार्टी सरकार गत वर्ष सितम्बर में हुये दंगे पर नियंत्रण पाने में विफल रही थी। उसने दंगे की निष्पक्ष जांच भी नहीं करवायी और वह दंगाइयों के बचाव की कोशिश कर रही है।
उल्लेखनीय है कि गत सितम्बर में मुजफ्फरनगर जिले में दो जाट और एक मुस्लिम युवक के मारे जाने के बाद दंगा भड़क गया था। राजनेताओं और धार्मिक नेताओं के भडकाऊ भाषण के कारण जिले के कई गांव साम्प्रदायिक हिंसा की चपेट में आ गये। जिले में कई दिनों तक अशान्ति की स्थिति बनी रही।