भारतीय रिजर्व बैंक की एक समिति ने बैंकिंग ढांचे में आमूल चूल बदलाव का सुझाव देते हुए कहा है कि जनवरी 2016 तक हर नागरिकों का बैंक खाता होना चाहिये। समिति ने इस सिलसिले में कम आय वाले परिवारों के लिए विशेष बैंक स्थापित करने का सुझाव दिया है। इसके साथ ही समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि देश भर में कहीं भी 15 मिनट की दूरी पर पैसे निकालने, जमा करने तथा भुगतान की सुविधा होनी चाहिये।
नचिकेत मोर की अध्यक्षता वाली छोटे कारोबारियों तथा कम आय वर्ग के परिवारों के लिए विस्तृत वित्तीय सेवाओं पर गठित समिति ने अपनी रपट में यह सुझाव दिया है। मोर ने इस रपट में कहा है, 1 जनवरी 2016 तक 18 साल से अधिक आयु वाले हर नागरिक के पास एक व्यक्तिगत, पूर्ण सेवाओं वाला सुरक्षित इलेक्ट्रानिक बैंक खाता होना चाहिए। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक के गवर्नर रघुराम राजन ने अपना पदभार ग्रहण करते ही आईसीआईसीआई बैंक के पूर्व कार्यकारी निदेशक नचिकेत मोर की अध्यक्षता में यह सुमिति गठित की थी। इसका उद्देश्य वित्तीय समावेशन को बढावा देने के उपाय सुझाना है।
समिति ने छोटे कारोबारियों तथा कम आय वाले परिवारों को भुगतान सेवाएं तथा जमा उत्पाद सेवायें उपलब्ध कराने के लिए भुगतान बैंक स्थापित करने का सुझाव दिया है। इसमें प्रति ग्राहक अधिकतम बैलेंस 50,000 रुपये का होगा। समिति का कहना है कि इस तरह के बैंक 50 करोड़ रुपये की न्यूनतम पूंजी जरूरत के साथ स्थापित किए जा सकते हैं।
रपट में समिति ने कहा है कि बैंकों को कृषि ऋण की कीमत आधार दर से नीचे रखने की अनुमति वापस ली जानी चाहिए। समिति ने सुझाव दिया है कि आधार कार्ड को बैंक खाता स्वत: (आटोमेटिक) ही खोलने के लिए इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उल्लेखनीय है कि रिजर्व बैंक इस समय नए बैंक के लिए 25 आवेदनों पर विचार कर रहा है। मोर समिति ने कहा है कि कृषि क्षेत्र की ऋण गतिविधियों पर फिर से विचार की जरूरत है और इसमें ब्याज सब्सिडी तथा कर्ज छूट को समाप्त करने का सुझाव दिया है।