दिल्ली हाई कोर्ट ने आज केंद्र सरकार और निर्वाचन आयोग से कहा कि कानून का उल्लंघन कर विदेशी चंदा लेने के मामले में कांग्रेस और बीजेपी के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। न्यायमूर्ति प्रदीप नंदराजोग और न्यायमूर्ति जयंत नाथ की खंडपीठ ने केंद्रीय गृह मंत्रालय की दलील खारिज कर दी और कहा कि दोनों राष्ट्रीय पार्टियों ने विदेशी योगदान अधिनियम का उल्लंघन किया है।
उच्च न्यायालय ने केंद्रीय गृह मंत्रालय और निर्वाचन आयोग को निर्देश दिया है कि विदेशी चंदे की पहचान करने के लिए राजनीतिक पार्टियों की प्राप्तियों की जांच की जाए और छह महीने के भीतर उनके खिलाफ कार्रवाई की जाए। एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफार्म्स ने भूषण के जरिए यह याचिका दर्ज करवाई है, जिसमें कहा गया है कि ब्रिटेन स्थित वेदांता रिसोर्सेज और इसकी सहायक कंपनियां, स्टरलाइट इंडस्ट्रीज, सेसा गोवा और माल्को- ने कांग्रेस और भाजपा जैसी राजनीतिक पार्टियों को कई करोड़ रुपये चंदा दिए हैं। उच्च न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा है कि वेदांता कंपनी अधिनियम 1956 के तहत एक विदेशी कंपनी है और विदेशी योगदान अधिनियम, 1976 के तहत वेदांता और इसकी सहायक कंपनियां विदेशी स्त्रोत हैं। इस मुद्दे पर पीठ ने कहा कि कांग्रेस और भाजपा ने कानून के दायरे में विदेशी स्त्रोत माने जाने वाले स्टरलाइट और सेसा से चंदा स्वीकार कर विदेशी योगदान अधिनियम का प्रत्यक्ष उल्लंघन किया है।
एनजीओ और केंद्र सरकार के पूर्व सचिव ई.ए.एस शर्मा द्वारा दायर याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि दोनों पार्टियों ने वेदांता रिसोर्सेज से चंदा लिया है। याचिका में कहा गया है कि दोनों ने जनप्रतिनिधित्व अधिनियम 1951 और विदेशी योगदान अधिनियम (एफसीआरए) का उल्लंघन किया है। याचिका के मुताबिक, वेदांता के 2012 की वार्षिक रिपोर्ट के अनुसार उसने 2011-12 में 20.1 लाख डॉलर का चंदा दिया है। याचिका में यह आरोप लगाया गया है कि वित्त मंत्री पी.चिदंबरम मई 2004 तक वेदांता के निदेशक थे, इसलिए सरकार ने खुद इस समूह पर कोई कार्रवाई नहीं की।