भारत और चीन सेमी हाई स्पीड ट्रेन और वर्ल्ड क्लास रेलवे स्टेशनों के निर्माण के लिए एक दूसरे का सहयोहग करेंगे। इस बात का निर्णय भारतीय योजना आयोग के उपाध्यक्ष मोटेंक सिंह अहलूवालिया की हालिया चीन यात्रा के दौरान दोनों देशों के अधिकारियों की बैठक में लिया गया है।
रेलवे बोर्ड के चेयरमैन अरुणेंद्र कुमार ने कहा, 'हमने बैठक में इस बात की चर्चा की कि चीन हमें हमारे मौजूदा ट्रैक की क्षमता को बढ़ाकर 160-200 किमी तक करने के लिए क्या टैक्निकल सपॉर्ट उपलब्ध करा सकता है।'रेलवे के पीएचडी कॉन्फ्रेंस में कुमार ने कहा, 'जिन अन्य क्षेत्रों में सहयोग पर चर्चा की गई उनमें वर्ल्ड क्लास स्टेशनों का निर्माण करना शामिल है। हमने उनसे कहा है कि वह हमारे स्टेशन डिवेलपमेंट कॉरपोरेशन के साथ एक जॉइंट वेंचर की स्थापना कर सकते हैं। वह हमें जल्द ही बताएंगे कि वह हमारी इस योजना पर आगे बढ़ने को तैयार हैं या नहीं।'
साथ ही भारत को चीन से बड़े निर्माण कार्यों में भी टेक्निलक सहयोग मिलेगा। रेलवे मंत्रालय की हाई स्पीड रेल नेटवर्क डिवलेप करने की योजना है, जिसमें चीन पहले ही महारत हासिल कर चुका है। हालांकि इस क्षेत्र में सहयोग मांगे जाने की संभावना कम ही है। कुमार ने कहा, 'हम पहले ही जेआईसीए के साथ हाई स्पीड रेल नेटवर्क पर स्टडी कर रहे हैं इसलिए हम मौजूदा ट्रैक्स की स्पीड बढ़ाने जैसे मुद्दों पर मिलकर काम करेंगे।'
नवंबर 2012 में दोनों देशों ने 5 साल की अवधि के एक सहमति पत्र पर हस्ताक्षर किया था जिसके अंतर्गत ये दोनों हाई स्पीड रेल, बड़े निर्माण कार्य और स्टेशनों के डिवेलमेंट जैसे रेल टेक्नॉलजी के क्षेत्रों में परस्पर सहयोग प्रदान करेंगे। सहमति पत्र पर हस्ताक्षर के समय इस बात पर सहमति बनी थी कि रेलेवे पर दोनों दोनों देशों के बीच परस्पर सहयोग इंफ्रास्ट्रक्चर वर्किंग ग्रुप के अंर्तगत किया जाएगा, जिसका गठन भारत-चीन सामरिक आर्थिक वार्ता के अंतर्गत किया गया था।