केंद्र सरकार के साथ साथ राज्य सरकारें भले ही देष में चिकित्सा सुविधाओं के बेहतर होते निज़ाम के लाख दावे कर लें लेकिन दूर दराज़ के इलाके में चिकित्सा सुविधाओं की खस्ताहाली किसी से छिपी नहीं है। जम्मू एवं कष्मीर के दूरदराज़ के इलाके आज भी बेहतर चिकित्सा सुविधाओं से वंचित हैं। सरहदी इलाकों में चिकित्सा सुविधाओं की हालत और भी ज़्यादा बदतर है। प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र दूर दराज़ के इलाकों में रह रहे लोगों के स्वास्थ्य संबंधी प्राथमिक उपचार हेतु पहला बिंदु है। लेकिन दूरदराज़ के इलाकों में जितने भी प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र हैं उनमें ज़्यादातर की हालत बदतर है। कोई स्वास्थ्य केंद्र डाक्टर की राह देख रहा है तो किसी में डाक्टर हैं पर दवाईयां नहीं। जम्मू कष्मीर राज्य को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के मामले में सम्मान भी दिया जा चुका है। लेकिन ज़मीनी हकीकत को देखकर ऐसा लगता है कि यह सिर्फ कागज़ी कार्रवाई तक ही सीमित है।
जम्मू कष्मीर के पुंछ जि़ले में भी स्वास्थ्य सुविधाओं का हाल बेहाल ही है। जि़ला हेडक्र्वाटर से तकरीबन सात किलोमीटर दूर मगनाड गांव स्थित है। इस गांव में एक प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र है जिसमे तकरीबन 16 कर्मचारी कार्यरत हैं। इस स्वास्थ्य केंद्र की इमारत काफी अच्छी बनी हुई है। इमारत को देखकर आप समझेंगे कि इस स्वास्थ्य केंद्र के ज़रिए लोगों को तमाम स्वास्थ्य सेवाएं उपलब्ध करवाई जा रही होगीं लेकिन जैसे ही आप इमारत के अंदर झांककर देखंेगे तो डेंटल रूम पर आपको ताला नज़र आएगा। लेखक ने जब इस बारे में मालूमात की तो पता चला कि दांतो का डाक्टर तकरीबन दो साल से सीएमओ आॅफिस से अटैच हैं। समझ से परे है कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के डाक्टर का भला सीएमओ आॅफिस में क्या काम हो सकता है? इतना ही नहीं पुंछ के ज़्यादातर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों पर हफ्ते में सातों दिन 24 घंटे चिकित्सा सुविधा उपलब्ध है। फिर सवाल यह उठता है कि यह गांव फिर इस सुविधा से महरूम क्यों है? इस बारे में गांव के एक वृद्ध राम लाल (76 ) कहते हैं कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में दांतों का डाक्टर पिछले दो साल से नहीं है। इसके अलावा यहां पर एक स्त्री र¨ग विशेषज्ञ की भी ज़रूरत है।
इस बारे में हमने सीएमओ और बीएमओ से अपील की लेकिन कोई अमल नहीं हुआ। इसके अलावा प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पर चिकित्सा सुविधा 24 घंटे उपलब्ध होनी चाहिए जोकि नहीं है। रात में अगर कोई बीमार पड़ जाता है तो स्वास्थ्य केंद्र पर चैकीदार और नर्सिंग अस्सिटेंट के सिवा और कोई नहीं मिलता है। इस बारे में इलाके के स्थानीय निवासी कौषल कुमार कहते हैं कि अस्पताल में दांतों का डाक्टर पिछले दो साल से नहीं है। इसकेे अलावा सबसे बड़ी परेषानी यह है कि अगर रात में कोई बीमार पड़ जाए तो स्वास्थ्य कंेद्र पर उपचार की कोई सुविधा उपलब्ध नहीं हो पाती है। इसी कारण मरीज़ को पुंछ अस्पताल ले जाना पड़ता है। ऐसे में मरीज़ की जिंदगी भगवान भरोसे रहती है। इसी इलाके की स्थानीय निवासी पुश्पा देवी कहती हैं कि स्वास्थ्य केंद्र पर दांतो का डाक्टर न होने की वजह से काफी परेषानी उठानी पड़ती है।
लेख को पढ़ते वक्त पाठकों को अंदाज़ा हो रहा होगा कि षायद मगनाड़ की जनता को दांतों का दर्द नहीं होता होगा। सवाल यह पैदा होता है कि क्या दांत का दर्द पीड़ादायक नहीं होता, अगर होता है तो पिछले दो सालों से स्वास्थ्य केंद्र पर दांतो का डाक्टर क्यों मौजूद नहीं है? आखिर में यहां की आवाम सरकार से अपील करते हुए कहती है कि स्वास्थ्य केंद्र पर जल्द से जल्द दांतो का डाक्टर भेज दिया जाए क्योंकि यह दर्द बड़ा बेदर्द है।
बशारत हुसैन शाह बुखारी
(चरखा फीचर्स)