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बिहार : खुशी का इजहार गुरपा जंगल में मांदर के थाप पर

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फतेहपुर। आदिवासी पहली दफा जनतंत्र के महापर्व में शामिल होंगे। इसको लेकर आदिवासियों में काफी हर्ष है। मुझे इतनी खुशी मिली कि तन में न समाएं पलक बंद कराकर खुद की खुशी का इजहार गुरपा जंगल में मांदर के थाप पर नृत्य करके करने लगे। 

गया जिले के नक्सली प्रभावित फतेहपुर प्रखंड। इस प्रखंड में कठौतिया केवाल पंचायत है। जो बिहार और झारखंड राज्य के सीमा पर अवस्थित है। इस पंचायत के अलखोडहा आदिवासी टोला नामक गिद्धनी गांव है। घनघोर गुरपा जंगल में गिद्धनी गांव है। यहीं पर अनुसूचित जनजाति के लोग ठौर जमा लिए हैं। अलखोडहा आदिवासी टोला में ही 9 आदिवासी टोला है। आदिवासियों का दुर्भाग्य ही रहा कि 2 साल पहले तक आदिवासियों के टोले का नाम और न ही पहचान सरकारी मानचित्र में दर्ज तक था। इसके कारण गुरपासीनी पहाड़ की तलहट्टी में पसरे गुरपा जंगल में आदिम जाति वनवास की जिदंगी बीता रहे थे। गुरपासीनी पहाड़ से उतरते पानी को आदिवासी एक गड्डा में जमा करते और उसी गंदे पानी को पीने को विवष हो रहे थे। जब वाटर एड इंडिया के सहयोग लेकर प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकर्ता कार्य मार्च 2012 में शुरू किए। तब से वनवासी  जिदंगी जीने वाले आदिवासियों के जीवन में सुधार आने लगा है। 

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प्रगति ग्रामीण विकास समिति के परियोजना समन्वयक वृजेन्द्र कुमार कहते हैं कि प्रगति ग्रामीण विकास समिति के कार्यकर्ताओं ने अमेरिका की खोज तरह से अनुसूचित जनजाति के 9 टोले की पहचान कर सके। दुर्भाग्य है कि इन आदिवासी टोलों का नाम सरकारी दफ्तरों में नदारद था। काफी मशक्कत करने के बाद सरकारी दफ्तर में पहचान हो सकी। पहले आदिवासी गढ्डे का पानी पीते थे। इसे आदिवासी चुआं/हाड़ी/चुमडाअ भी कहते हैं। इसी तरह के गढ्डे वाले पानी को बर्तन के सहारे संग्रह किया करते थे। इसको पीने और अन्य घरेलू कार्य में उपयोग करते थे। सरकार से लिखापढ़ी करने के बाद ही पहली बार आदिवासी चापाकल का पानी पी सके। अभी यहां के 5 आदिवासी टोले में ही 5 चापाकल लगाया गया है। पहली बार वोटर आई.कार्ड बना है। इस आई.कार्ड का उपयोग 173 आदिवासी पहली बार 10 अप्रैल 2014 को मतदान करके करेंगे। मनरेगा से 170 लोगों का जॉब कार्ड बना गया है। आजादी के 65 साल के बाद मुंडा आदिवासियों के 300 बच्चों को पहली बार पोलियो की खुराक पिलायी गयी। प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में  चम्पा देवी का प्रसव हुआ। पगडंडी और जंगली राह को नापते एम्बुलेंस जंगल में गयी। गर्भवती को एम्बुलेंस में बैठाकर प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र में तीन माह पहले बच्ची को जन्म देकर रिकॉड बना दी। बच्ची का नाम दुगी कुमारी है। इसे जननी सुरक्षा योजना से 14 सौ रूपए हुआ है।


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